राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर लंबे समय से अलग-अलग पार्टियों के प्रचार अभियान से जुड़े रहे हैं। किशोर ने भाजपा, AAP, YSRCP और टीएमसी जैसी पार्टियों को कई मौकों पर जीत भी दिलाई है। हालांकि, जब उन्हें राजनीति में आने का मौका मिला, तो इसके लिए उन्होंने जदयू को चुना था। दोनों का साथ लंबा नहीं चला, लेकिन जब तक पीके पार्टी में रहे अपने दल और नेता के बारे में संभल कर बोलते रहे। पार्टी में रहने के दौरान ही एक इंटरव्यू में जब किशोर से उनके पार्टी और नेता के चुनाव को लेकर सवाल पूछे गए, तो उन्होंने काफी सूझबूझ से जदयू को तत्कालीन समय की बेहतरीन पार्टी बताया था, साथ ही नीतीश कुमार से निजी रिश्ते होने की बात भी कही थी।

क्या थे प्रशांत किशोर से सवाल?: एक टीवी चैनल के इंटरव्यू में पीके से पूछा गया था- “जब आपने अपना राजनीतिक सफर शुरू किया तो आपने जदयू को चुना। आपने यह क्यों किया, आपका गृह राज्य है या कुछ और? बिहार के लोग जानना चाहते हैं कि नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर के संबंध क्या हैं? आपको जब अपनी राजनीति शुरू करनी थी तब आप नीतीश कुमार के पास गए, जबकि आपके पास कई सारे विकल्प थे। आपके कैसे संबंध हैं नीतीश कुमार से?”

इस पर प्रशांत किशोर ने कहा था, “जहां से आपको राजनीति शुरू करनी है, उस क्षेत्र को आप पहचानें, ये सबसे जरूरी है। मेरे लिए तो स्वाभाविक है कि मैं बिहार से राजनीति शुरू करना चाहता था। जब मैं बिहार के राजनीतिक इकोसिस्टम को देख रहा हूं, तो वहां जो भी पार्टी हैं उसी में से किसी को चुनना था। तो मुझे लगा कि जो मौजूद हैं वहां पार्टी, उनमें नीतीश कुमार जी की पार्टी अगर बिल्कुल आदर्श नहीं, तो कम से कम ऐसी पार्टी जरूर है, जो आप एक पार्टी में देखना चाहें। अब उनका अभी किसके साथ गठबंधन है, पहले किस के साथ था, ये बिल्कुल अलग मुद्दा है।”

बोले थे प्रशांत किशोर- एक है मेरी और पार्टी की विचारधारा: प्रशांत किशोर ने आगे कहा था, “दूसरा- ये पार्टी ‘लेफ्ट ऑफ सेंटर’ है, जो कि मेरी विचारधारा से भी मिलती है। तीसरा- लीडर बहुत जरूरी है। मैं किसका नेतृत्व मानने के लिए तैयार हूं। उस पैरामीटर पर भी नीतीश कुमार जी में वह सब है जो मैं देखना चाहता हूं।

उन्होंने बताया- “लोगों को नीतीश कुमार के विषय में बहुत तरह की भ्रांतिया हैं। उन्हें राजनीतिक मजबूरियों की वजह से हमेशा गठबंधन में रहना पड़ा है। इसलिए शायद उन्हें खुल कर किसी ने देखा नहीं है। उनकी मजबूरी है कि उन्हें किसी के साथ रहना है, ताकि बिहार में उनका एजेंडा आगे बढ़ पाए। लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि नीतीश जी गांधी, जेपी और लोहिया के जो मूलभूत सिद्धांत हैं, उनसे अलग नहीं हैं।”

नीतीश कुमार के साथ बताए थे निजी रिश्ते: पीके ने जेडीयू के साथ राजनीति में एंट्री को लेकर कहा था कि नीतीश जी के साथ जो मेरा संबंध है, वह पूर्ण राजनीतिक संबंध नहीं है। मैं और नीतीश कुमार राजनीतिक सहयोगी तो हैं ही, लेकिन हमारा एक निजी संबंध भी है। वो नीतीश जी को भी पता है और जो लोग बिहार राजनीति को फॉलो करते हैं, उन्हें भी पता है। मैं उनके साथ रहता था। वो सिर्फ प्योर पॉलिटिकल रिलेशन नहीं रहे थे।