बनारस वालों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व का भावुक पक्ष फिर चर्चा में आ गया है। जब कोई वाकया, या किसी का जेस्चर उनके हृदय को छू जाता है तो वे अपने रुंधे-भर्राए गले या नम होती आंखों को छिपाने का कभी प्रयास नहीं करते। प्रशंसकों की नजर में यह भावुकता फौलादी जिगर में छिपी कोमलता, मानवता है। उनके मुताबिक केवल बहादुर आदमी ही सार्वजनिक रूप से आंसू बहा सकता है। कायर कभी नहीं रो सकता क्योंकि वह अपनी इमेज बिगड़ने से डरता रहता है।

यह तो रहा प्रधानमंत्री के प्रशंसकों का पक्ष। लेकिन विरोधियों की नजर में मंच पर यह गला रुंधना..हिचकी-सी आना…चश्मे के पीछे आंखों का झिलमिल-झिलमिल हो जाना…माइक पर भर्राए गले की खरखराहट…और घूंट भर पानी पीना—–सब कुछ नौटंकी है, जिसको प्रधानमंत्री अपने अभिनय कौशल से मंच पर बहुत प्रभावशाली ढंग से मंचित करते हैं। प्रधानमंत्री के एक प्रथम कोटि के निंदक हैं। प्रकाश राज। नाम भी सुना होगा और इस बेजोड़ अभिनेता की खलनायकी भी देखी होगी। तो, इसी अभिनय सम्राट विलेन ने प्रधानमंत्री का एक ऐसा भावुकता भरा वीडियो खोज निकाला है। और, उसे फेसबुक पर अपने पेज पर अपलोड भी कर दिया है।

यह शायद मोदी का प्राचीनतम वीडियो होगा जिसमें उनका गला चोक हो रहा है। महज 22 सेकेंड का वीडियो पता नहीं किस वर्ष, किस जगह और किस मौके का है लेकिन इसमें मोदी जी 35 साल से ज्यादा के नहीं दिख रहे। सर के बाल काले। दाढ़ी पूरी काली। वीडियो में वे केवल 16 शब्द बोलते हैः रात भर वो जागते हैं…..उनका जो परिश्रम है….उन साथियों का मैं स्मरण करता हूं। वाक्य में खाली स्थान की जगह पॉज़ेज़ हैं और रुंधते गले के बीच हिचकियां।

प्रकाश राज ने इस वीडियो की व्याख्या इन शब्दों में की हैः (इतने) महान प्रदर्शन चुटकी बजाते नहीं हो जाते। टाइमिंग, पॉज़ेज़, स्वर का आरोह-अवरोह, बॉडी लैंगुएज बरसों की मशक्कत मांगती है…तो मैं पेश करता
हूं…हमारे अपने बाल नरेंद्र।

प्रकाश राज को इस वीडियो को पोस्ट करके निश्चय ही बहुत सुख मिला होगा लेकिन इसके बाद उन्हें फेसबुक पर जो-जो सुनने को मिल रहा है वह कोई भला आदमी सुनना नहीं चाहता। खैर…। इसी के साथ यह वीडियो प्रधानमंत्री के भावुक क्षणों का प्राचीनतम वीडियो बन गया है। इसके पहले उनका सर्वसुलभ वीडियो 2004 का है।

भुज के इस वीडियो में वे भुज में एक अस्पताल के उद्घाटन में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ गए थे। यह अस्पताल भूकंप में ध्वस्त हो गया था। उद्घाटन के बाद मोदी ने दो शब्द बोले थे। तब तीन साल पहले भूकंप में मारे गए लोगों की याद में उनकी आंखें भीग गई थीं।