Nitin Gadkari Lok Sabha: लोकसभा में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने देश में हो रही सड़क दुर्घटनाओं को लेकर चिंता जताई। गडकरी ने कहा कि हमने सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद 2024 तक सड़क दुर्घटनाओं में 50% की कमी लाने की बात कही थी। लेकिन दुर्घटनाएं कम तो नहीं हुईं, बल्कि स्थिति पहले से और ज्यादा बदतर हो गई।

चर्चा के दौरान लोकसभा में बोलते हुए गडकरी ने कहा कि दुर्घटनाओं की संख्या कम करने की बात भूल जाइए, मुझे यह स्वीकार करने में कोई झिझक नहीं है कि इसमें वृद्धि हुई है। जब मैं अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लेने जाता हूं जहां सड़क दुर्घटनाओं पर चर्चा होती है, तो मैं अपना चेहरा छिपाने की कोशिश करता हूं।

गडकरी ने प्रश्वनकाल के दौरान कहा कि जब तक सड़क सुरक्षा में सुधार के लिए मानव व्यवहार, सामाजिक दृष्टिकोण और कानून के शासन के प्रति सम्मान नहीं मिलेगा, तब इस चीज को रोकना काफी मुश्किल है। उन्होंने कहा कि यह एक ही सब्जेक्ट है, जिसमें हमारे डिपार्टमेंट को सफलता नहीं मिली। गडकरी ने कहा कि फिर हम आप सभी लोगों के सहयोग से सड़क दुर्घटनाओं को कम करने की कोशिश कर रहे हैं।

नितिन गडकरी ने इस दौरान एक निजी किस्सा साझा किया। उन्होंने कहा कि कई साल पहले मैं महाराष्ट्र में लीडर ऑफ अपोजिशन था। जब मेरी परिवार के साथ एक बड़ी दुर्घटना हुई। उस वक्त मेरा परिवार ट्रक के टायर के नीचे आ गया था। जिसमें लंबे समय तक मेरा परिवार अस्पताल में भर्ती रहा। लेकिन भगवान की कृपा से मैं और मेरा परिवार बच गया था। इसलिए मैं इसके प्रति तो बहुत ही ज्यादा संवेदनशील हूं।

गडकरी ने सड़क दुर्घटनाओं की सबसे बड़ी ट्रकों की गलत पार्किंग और लेन अनुशासन की कमी को बताया। उन्होंने कहा कि कई दुर्घटनाएं सड़कों पर बेतरतीब ढंग से खड़े ट्रकों के कारण होती हैं। सुरक्षा संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए, उन्होंने बस बॉडी डिज़ाइन में अंतर्राष्ट्रीय मानकों को अपनाने के निर्देशों की घोषणा की, जिसमें दुर्घटनाओं के दौरान आपातकालीन निकास के लिए खिड़कियों के पास हथौड़े लगाना शामिल है।

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मंत्री ने भारत में सड़क सुरक्षा की एक गंभीर तस्वीर पेश करते हुए बताया कि सड़क दुर्घटनाओं में हर साल 1.78 लाख लोगों की जान जाती है, जिनमें से 60% पीड़ित 18-34 आयु वर्ग के होते हैं।

राज्यों में उत्तर प्रदेश में सबसे ज़्यादा मौतें दर्ज की गईं, जहां 23,000 से ज़्यादा मौतें हुईं, जो कुल सड़क दुर्घटना मौतों का 13.7% है, इसके बाद तमिलनाडु (18,000 मौतें, या 10.6%), महाराष्ट्र (15,000 मौतें, या 9%) और मध्य प्रदेश (13,000 मौतें, या 8%) का स्थान है। शहरों के मामले में दिल्ली 1,400 से ज़्यादा मौतों के साथ सबसे ऊपर है, उसके बाद बेंगलुरु (915 मौतें) और जयपुर (850 मौतें) का स्थान है।

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