रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के फाउंडिंग चेयरमैन धीरूभाई अंबानी की आज पुण्यतिथि है। 1932 में गुजरात में जन्मे धीरूभाई का 2002 में देहांत हो गया था। धीरूभाई एक सफल बिजनेसमैन रहे और रिलायंस को अपनी काबिलियत के दम पर एक सफल कंपनी बनाया। गुजरात के अहमदाबाद में एक छोटे टेक्सटाइल मैन्युफैक्चरिंग संयंत्र से शुरू हुई रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) आज देश की सबसे बड़ी कंपनी है।
इसका मार्केट कैप यानी बाजार पूंजीकरण इस समय देश की अन्य किसी भी कंपनी से कई गुना ज्यादा है। रिलायंस कितनी सफल है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि रिलायंस की सरकार के स्वामित्व वाली वित्तीय संस्थाओं पर फिलहाल कोई निर्भरता नहीं है। इन वित्तीय संस्थाओं पर देश की लगभग हर कंपनी निर्भर करती है।
रिलायंस की सफलता के पीछे अगर धीरूभाई अंबानी का नाम न लिया जाए तो यह बेइमानी होगी। धीरूभाई के जीवन का सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब 1949 में वो यमन के अदन शहर पहुंचे थे। यहां उन्होंने 200 रूपए के मासिक वेतन पर पेट्रोल पंप पर काम किया। 1954 में धीरूभाई वापस भारत आ गए और 350 वर्ग फुट के एक कमरे में रिलायंस कॉमर्स कॉरपोरेशन की नींव रखी।
धीरुभाई हमेशा अलग-अलग बिजनेस और उससे मिलने वाले मुनाफे को पाने का कोई मौका नहीं छोड़ते थे। एक बार तो धीरूभाई ने अरब के शेख को भारत की मिट्ठी एक्सपोर्ट कर दी थी। यह दिलचस्प किस्सा 1960 के दशक का है जब वह अलग-अलग कामों में अपनी किस्मत आजमा रहे थे। इस दौरान उनकी कंपनी भारत से मसाला भेजती थी और विदेश से पॉलिस्टर के धागे मंगाती थी। क्योंकि उस समय एशियाई देशों में भारत के मसाले की खूब डिमांड थी जबकि भारत में पॉलिस्टर के धागे की।
इसी दौरान सऊदी अरब के एक शेख को अपने गुलाबों के गार्डन के लिए अच्छी गुणवती वाली मिट्टी की तलाश थी। जब धीरूभाई को इसका पता लगा तो उन्होंने शेख को भारत की मिट्टी लेने की सलाह दी। शेख ने हामी भर दी जिसके बाद भारत से मिट्टी की आपूर्ति की गई। इस किस्से से साफ है वह मुनाफे से जुड़ा कोई मौका न छोड़ते थे। धीरू भाई इस बात का उदाहरण हैं कि अगर एक आम आदमी भी चाहे तो दुनिया को मुट्ठी में कर सकता है। ये सपना दुनिया को धीरूभाई ने ही दिखाया। धीरूभाई अंबानी एक बिजनेसमैन थे, जिन्होंने भारत को बिजनेस का एक अलग ही अंदाज दिखाया। जिस तरह से उन्होंने गांव की जमीं से उठकर आसमान को छुआ वो हर किसी के बस की बात नहीं।