भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नेता बाल गंगाधर तिलक की आज (23 जुलाई) जयंती है। तिलक को भारतीय इतिहास में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। बाल गंगाधर तिलक को आज के भारत का निर्माता भी कहा जाता है। भारत की स्वतंत्रता में उनका प्रमुख योगदान रहा है और उन्हें एक महान समाज सुधारक भी कहा जाता है। पंडित जवाहर लाल नेहरु ने उन्हें ‘भारतीय क्रांति का पिता’ -The Father of Indian Revolution का नाम दिया था। हालांकि इन सब के बावजूद, एक समय ऐसा भी आया जब उन्हें ‘आतंकवाद का जनक’ कहा गया।
मामला 2018 का है। राजस्थान में एक पुस्तक में बाल गंगाधर तिलक को ‘आतंकवाद का जनक’ कहा गया था। तब वहां वसुन्धरा राजे सिंधिया के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार थी। स्कूलों में कक्षा 8वीं में पढ़ाई जाने वाली सामाजिक विज्ञान की किताब में उन्हें ‘आतंक का जनक’ (फादर ऑफ टेररिज्म) बताया गया था। हालांकि बाद में इसका जमकर विरोध हुआ था। उस समय पुणे के मेयर और बाल गंगाधर तिलक के परपोते शैलेश की पत्नी मुक्ता तिलक ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई थी और इसे शर्मनाक कृत्य करार दिया था।
मुक्ता ने कहा कि बाल गंगाधर ने देश को अपने जीवन के पचास साल दिए। उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिलाकर रख दी थी। इसके बाद भी उन्हें आतंक का जनक कहना महान भूल है। मुक्ता आज भाजपा से महाराष्ट्र में विधायक हैं।
विरोध के बाद प्रकाशक ने इसे अनुवाद की गलती बताते हुए सुधार कर दिया था। राजस्थान राज्य पाठ्यक्रम बोर्ड किताबों को हिंदी में प्रकाशित करता है इसलिये बोर्ड से मान्यता प्राप्त अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों के लिए मथुरा के एक प्रकाशक द्वारा प्रकाशित संदर्भ पुस्तक को इस्तेमाल में लाया गया था।
सामाजिक विज्ञान की किताब के पेज नंबर 267 पर 22वें चैप्टर में तिलक के बारे में लिखा गया था कि उन्होंने राष्ट्रीय आंदोलन को रास्ता दिखाया था, इसलिये उन्हें ‘आतंकवाद का जनक’ कहा जाता है। पुस्तक में तिलक के बारे में 18वीं और 19वीं शताब्दी के राष्ट्रीय आंदोलन के बारे में लिखा गया है। बता दें कि राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान लाल,बाल, पाल गरम दल के नेताओं में शुमार थे। लाल का मतलब लाला लाजपत राय, बाल का मतलब बाल गंगाधर तिलक और पाल का मतलब विपिन चंद्र पाल से था।