सुप्रीम कोर्ट ने ‘वाट्स ऐप’ पर बलात्कार के दो वीडियो पोस्ट किए जाने के मामले में मिले पत्र का स्वत: संज्ञान लेते हुए शुक्रवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो को तत्काल इसकी जांच कर अपराधियों को बेनकाब करने का आदेश दिया। अदालत ने इसके साथ ही केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा, दिल्ली और तेलंगाना राज्यों को भी नोटिस जारी किए।
न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति उदय यू ललित के सामाजिक न्याय पीठ ने प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू को भेजे गए हैदराबाद स्थित गैर सरकारी संगठन प्रज्जवला के पत्र में लिखे विवरण के अवलोकन के बाद कहा-हकीकत तो यह है कि यह बहुत ही गंभीर मसला है और कुछ न कुछ करने की जरूरत है।
जजों ने कहा-चूंकि पहला सुझाव (संगठन का) सीबीआइ जांच के लिए है। सीबीआइ निदेशक को इस अपराध में मामला दर्ज करने और तत्काल जांच शुरू करने के लिए नोटिस जारी किया जाए। इस संगठन ने प्रधान न्यायाधीश को भेजे पत्र के साथ ही यौन हिंसा से संबंधित वीडियो की पेन ड्राइव भी भेजी है।
इस संगठन ने कहा है कि पहला वीडियो 4.5 मिनट का है। जिसमें एक व्यक्ति को लड़की से बलात्कार करते दिखाया गया है जबकि दूसरा व्यक्ति इस घृणित कृत्य की फिल्म बना रहा है। दूसरा वीडियो 8.5 मिनट का है और पांच अपराधियों के एक लड़की के सामूहिक बलात्कार से संबंधित है। इसमें आरोपी लड़की के यौन उत्पीड़न के दौरान हंसते और मजाक करते हुए वीडियो बना रहे हैं और तस्वीरें ले रहे हैं।
अदालत ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालयों को नोटिस जारी करने के साथ ही गृह सचिव को निर्देश दिया है कि ‘पेन ड्राइव-डीवीडी’ जांच के लिए तत्काल सीबीआइ निदेशक के पास भेजें। अदालत ने कहा कि उसने प्रधान न्यायाधीश के भेजे गए इस पत्र का संज्ञान लिया है और इस संबंध में सही तरीके से नौ मार्च तक याचिका दायर करने का आदेश दिया है।
अदालत इस मामले में अब 13 मार्च को सुनवाई करेगी। अदालत ने बलात्कार के वीडियो के विवरण का जिक्र करते हुए उप्र, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा और दिल्ली जैसे राज्यों को नोटिस भेजा और इस तथ्य पर भी ध्यान दिया कि इनमें कुछ अपराधियों की बोली बांग्ला जैसी है।
अदालत ने तेलंगाना सरकार को भी नोटिस जारी किया क्योंकि शीर्ष अदालत को बताया गया कि गैर सरकारी संगठन के एक पदाधिकारी की कार पर हुए हमले के मामले में कोई विशेष प्रगति नहीं हुई है।
इसी संगठन ने सोशल मीडिया पर बलात्कारियों के खिलाफ अभियान चला रखा है। अदालत ने सुधारात्मक उपाय करने पर जोर देते हुए जानना चाहा कि अभी तक किसी अपराधी को गिरफ्तार किया जा सका है या नहीं। गैर सरकारी संगठन के वकील ने इसका नकारात्मक जवाब दिया। संगठन ने अपने पत्र में इस घटना की सीबीआइ जांच कराने सहित अनेक सुझाव दिए हैं। संगठन ने यौन अपराधों की घटनाओं पर गौर करने के लिए विशेष बल गठित करने का भी सुझाव दिया है।