Waqf Bill in Lok Sabha: देश में वक्फ कानून में बदलाव को लेकर जेपीसी के प्रस्तावों के बाद वक्फ संशोधन बिल आज केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में टेबल किया जाएगा। इस बिल को केंद्र की मोदी सरकार वक्फ कानून में नए सुधारों के तौर पर पेश कर रही है, जबकि विपक्षी दल इसे मुस्लिमों के खिलाफ एक साजिश का हिस्सा बता रहे हैं लेकिन पूरा विवाद क्या है चलिए समझते हैं।
सबसे पहले यह समझना अहम है कि वक्फ क्या है? वक्फ एक इस्लामिक परंपरा है जिसमें कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति को धार्मिक, सामाजिक या पुण्य कार्यों के लिए स्थायी रूप से समर्पित कर देता है। यह संपत्ति स्थायी रूप से वक्फ बोर्ड के अधीन हो जाती है। इसका इस्तेमाल लोगों के भले के लिए होता है। यह संपत्ति कृषि भूमि, भवन, दरगाह, मस्जिद, स्कूल, अस्पताल, कब्रिस्तान, इदगाह जैसे कई रूपों में होती है।
Waqf Amendment Bill in Lok Sabha LIVE Updates
वक्फ के पास भारत में कितनी प्रॉपर्टी?
भारत में वक्फ बोर्ड की भूमिका की बात करें तो वक्फ बोर्ड स्थानीय स्तर पर हर राज्य में होते हैं, जो वक्फ संपत्तियों को मैनेज करते हैं। देश में वक्फ बोर्ड की पूरी संपत्ति कुल मिलाकर 9.4 लाख एकड़ जमीन और 8.7 लाख संपत्तियां हैं।
इन संपत्तियों की कुल कीमत 1.2 लाख करोड़ तक आंकी जाती है, जिससे यह भारत के सबसे बड़े भूमि मालिकों में से एक बन जाता है। वक्फ बोर्ड के द्वारा की गई प्रबंधकीय गलतियों और कानूनी विवादों के कारण कई वक्फ संपत्तियां अदालतों में भी जा चुकी हैं।
Waqf Bill के जरिए क्या बदलाव कर रही सरकार?
वक्फ एक्ट 1995 लागू हुआ था। केंद्र की मोदी सरकार में इसमें संशोधन चाहती है। इसके लिए कानून में प्रस्तावित संशोधन का मुख्य उद्देश्य वक्फ बोर्डों के कामकाज में पारदर्शिता लाना और उनका मैनेजमेंट ज्यादा प्रभावी बनाना है। वर्तमान में वक्फ बोर्ड के ज्यादातर सदस्य चुनाव के द्वारा चुने जाते हैं, लेकिन नए बिल के तहत यह बोर्ड के सदस्य सरकारी नामांकित होंगे।
इसके अलावा, वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण और सही मूल्यांकन करना अनिवार्य होगा, ताकि संपत्तियों का सही तरीके से मैनेज किया जा सके।
क्या बदलाव प्रस्तावित हैं?
वक्फ कानून में संशोधन की बात करें तो केंद्र की मोदी सरकार नए बिल निम्न संशोधनों को करने की प्लानिंग कर रही है।
वक्फ संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन: वक्फ संपत्तियों को ज़िले के कलेक्टर के पास पंजीकृत करवाना अनिवार्य होगा ताकि उनकी सही कीमत और स्थिति का आंकलन किया जा सके।
बोर्ड के सदस्यों के नए प्रावधान: नए बिल के अनुसार, वक्फ बोर्ड के सभी सदस्य अब सरकार द्वारा नामांकित किए जाएंगे। इसमें गैर-मुस्लिम लोग भी बोर्ड के सदस्य बन सकते हैं और कम से कम दो सदस्य गैर-मुस्लिम होने चाहिए। इसके अलावा, वक्फ बोर्ड का सीईओ भी गैर-मुस्लिम हो सकता है।
महिलाओं की भागीदारी: इस बिल में यह भी प्रस्तावित किया गया है कि वक्फ बोर्डों में महिलाओं की अनिवार्य भागीदारी होनी चाहिए, ताकि समुदाय में समानता और प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सके।
लोकसभा में वक्फ बिल पर कौन किसके साथ? जानें क्या है नंबर गेम
क्या है वक्फ बिल को लेकर विपक्ष का रुख
विपक्षी दल वक्फ संशोधन विधेयक पर सवाल उठा रहे हैं और इसे असंवैधानिक और मुसलमानों के प्रति भेदभावपूर्ण बता रहे हैं। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बीजेपी के सहयोगी दलों से इस बिल के खिलाफ वोट करने की अपील की है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ सभी विपक्षी दल एकजुट हैं। विधेयक के पीछे सरकार का एजेंडा विभाजनकारी है और इसे हराने के लिए वे संसद में मिलकर काम करेंगे।
वक्फ बिल की चर्चा को लेकर भी बवाल
विपक्षी नेताओं की मांग है कि इस बिल पर लोकसभा में 12 घंटे बहस होनी चाहिए और सभी सदस्यों को अपनी राय देने के लिए ज्यादा से ज्यादा समय मिलना चाहिए लेकिन कमेटी ने इस मांग को नहीं माना और कुल 8 घंटे बहस पर सहमति बनी। कमेटी का कहना था कि कुछ सदस्य बहस के लिए 4 से 5 घंटे देने की मांग कर रहे हैं, इसलिए दोनों पक्षों को सुनने के बाद बहस के लिए आठ घंटे का समय देना सही होगा।