Special Session of Parliament: केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है। विशेष सत्र से जुड़े मुद्दे पर कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सवाल उठाए हैं। सोनिया गांधी ने पत्र के जरिए सवाल उठाया कि आखिर विपक्ष से बिना किसी चर्चा किये विशेष सत्र का ऐलान क्यों किया गया है? सोनिया गांधी ने कहा कि सत्र में मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए सरकार के एजेंडे की नहीं। सोनिया गांधी के सवालों पर संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने जवाब देते हुए कहा कि सामान्य प्रक्रिया के तहत ही संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है।
क्या है संसद सत्र बुलाने का नियम?
संसद का सत्र बुलाने का अधिकार केंद्र सरकार के पास होता है। संसद सत्र बुलाने का निर्णय संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति लेती है। कैबिनेट के प्रस्ताव को राष्ट्रपति औपचारिक मंजूरी देते हैं। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद संसद का सत्र बुलाया जाता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 85 (1) में लिखा है कि राष्ट्रपति जब भी उचित समझें संसद के किसी भी सदन को बैठक के लिए बुला सकते हैं। बता दें कि भारत में कोई तय संसदीय कैलेंडर नहीं होता है। अमूमन संसद की बैठक एक वर्ष में तीन सत्रों के लिए होती है। संविधान में कहीं भी विशेष सत्र शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया है।
साल का पहला सत्र बजट सत्र होता है और यह सत्र सबसे अधिक समय तक चलता है। यह सत्र जनवरी के आखिर में शुरू होता है और अप्रैल महीने के आखिर तक चलता है। दूसरा सत्र मानसून सत्र है जो अमूमन तीन सप्ताह तक चलता है। यह जुलाई में शुरू होता है और अगस्त महीने में खत्म हो जाता है। संसदीय वर्ष का समापन शीतकालीन सत्र से होती है। यह सत्र भी तीन हफ्ते तक चलता है। शीतकालीन सत्र नवंबर में शुरू होता है और दिसंबर में खत्म हो जाता है। संविधान के मुताबिक संसद के दो सत्रों के बीच में छह महीने से अधिक का अंतर नहीं होना चाहिए। संसद के इन तीन सत्र के अलावा बुलाये जाने वाले सत्र को विशेष सत्र कहते है। विशेष सत्र बुलाने की परिस्थिति में सरकार सदन के हर सदस्य को तारीख और जगह बताती है।
क्या है संसद सत्र का एजेंडा बताने का नियम?
संविधान का नियम कहता है कि संसद सत्र को बुलाने की सूचना 15 दिन पहले देनी होती है। हालांकि संसद सत्र से पहले एजेंडा बताना अनिवार्य नहीं होता है। संसदीय परंपरा के तहत सरकार संसद की बैठक के एक दिन पहले बुलेटिन जारी कर एजेंडा की जानकारी देती है। सरकार के पास अधिकार होता है कि वह पहले से तय एजेंडा को भी बदल सकती है।
सरकार ने कब बदला एजेंडा?
पहले कई बार सरकार ने संसद सत्र के दौरान एजेंडा बदल चुके है। 2019 में मानसून सत्र के दौरान जम्मू-कश्मीर में अनुछेद 370 हटाने और राज्यों का पुनर्गठन करने से जुड़ा विधेयक पेश करने के दौरान एजेंडा बदल दिया था। इन विधेयकों की जानकारी सदन में मौके पर दी गई थी।