भारत हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए अपनी क्षमताओं को लगातार बढ़ा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13-14 जुलाई को फ्रांस के दौरे पर जा रहे हैं। रक्षा से जुड़े सूत्रों की मानें तो भारत फ्रांस से 26 राफेल मरीन (Rafale-M) खरीदने का सौदा कर सकता है। इसके साथ ही तीन पनडुब्बियों को भारत में बनाने का भी सौदा किया जा सकता है। भारत सरकार द्वारा चलाये जा रहे मेक इन इंडिया के तहत इन पनडुब्बियों को मुंबई के मझगांव में स्थित डाकयार्ड में बनाया जायेगा। जानकारी के मुताबिक फ्रांस के साथ होने वाली यह डील करीब 96 हजार करोड़ रुपये की हो सकती है।

क्या होगी खासियत?

राफेल मरीन को फ्रांस के दसॉल्ट एविएशन से खरीदा जायेगा। यह सभी लड़ाकू विमान सिंगल सीटर होंगे। सभी भारतीय पायलट को विमान उड़ाने की ट्रेनिंग फ्रांस में दी जाएगी। सूत्रों के मुताबिक इन राफेल मरीन के 18 विमानों को आईएनएस विक्रांत और बाकी बचे 8 विमान को गोवा डॉकयार्ड पर रखा जायेगा। इस सौदे के बाद भारतीय नौसेना के ताकत में काफी इजाफा होगा। 2016 में भारत सरकार ने फ्रांस से 36 राफेल विमानों की डील की थी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर राफेल डील में घोटाला करने और कुछ चुनिंदा कंपनियों को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया था।

पुराने राफेल से कैसे होंगे अलग?

राफेल मरीन की डिज़ाइन और ताकत की बात करें तो नौसेना और वायुसेना के राफेल की जरूरत और क्षमताओं में काफी अंतर होता है। दोनों सेनाओं की जरुरत अलग होती है इसलिए उनके निर्माण के दौरान ही उन जरूरतों के बारे में जानकारी दे दी जाती है। इनके लांच और रिकवरी सिस्टम की बात करें तो नौसेना के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले फाइटर जेट को अलग प्रकार की चुनौतियों का सामना करने के लिए बनाया जाता है। इनकी लैंडिंग को ज्यादा प्रभावशाली बनाया जाता है। इनके लैंडिंग गियर और एयर फ्रेम को भी अधिक मजबूत बनाया गया है। वॉरशिप में कम जगह होने के कारण लड़ाकू विमान के फोल्डिंग विंग्स को अधिक मजबूत बनाया गया है।

राफेल की तुलना में राफेल मरीन का साइज छोटा और हल्का होता है। राफेल मरीन की खासियत है कि उसे मैरीटाइम ऑपरेशन में महारत हासिल है। इन लड़ाकू विमान में पनडुब्बियों को खोजने और मार गिराने के लिए आधुनिक रडार लगाए गए है। वहीं इनमें आधुनिक नेविगेशन सिस्टम लगाया गया है। इन दोनों विमानों में काफी अंतर होता है इसलिए पायलट को ट्रेनिंग भी अलग दी जाती है। नौसेना के पायलट को लड़ाकू विमान को सही तरीके से डेक पर उतारने और उड़ाने की क्षमता में महारथ हासिल होनी चाहिए।