Pro Tem Speaker Role & Selection: 18वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव के नतीजे घोषित होने और सरकार गठन के बाद अब संसद का पहला सत्र 24 जून से 3 जुलाई तक चलेगा। इस दौरान सदन के नए अध्यक्ष का चुनाव भी होगा। दस साल के बाद देश गठबंधन सरकार के दौर में आ गया है और ऐसे में एनडीए सरकार के लिए यह स्पीकर का चुनाव भी काफी अहम होने वाला है। इस बात को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं कि इस पद को कौन संभालेगा। वहीं जब तक नए अध्यक्ष का चुनाव नहीं होता है, तब तक नए सदस्यों को शपथ दिलाने का काम प्रो टेम स्पीकर का होता होगा।

बता दें कि लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव से पहले सभी प्रक्रियाओं में प्रो टेम स्पीकर का रोल सबसे अहम माना जाता है।ल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 26 जून को लोकसभा में अध्यक्ष के चुनाव के लिए प्रस्ताव पेश करेंगे। इससे पहले प्रोटेम स्पीकर के तौर पर सबसे अहम नाम कांग्रेस नेता कोडिकुन्निल सुरेश का चल रहा है, जो कि लोकसभा के सबसे वरिष्ठ सदस्य हैं, इसके चलते संभावना है कि उन्हें ही इस बार प्रो टेम स्पीकर बनाया जाएगा।

प्रोटेम स्पीकर क्या होता है?

लोकसभा के पीठासीन अधिकारी होने के नाते अध्यक्ष को दिन-प्रतिदिन की कार्यवाही से संबंधित कुछ प्रमुख कर्तव्यों का निर्वहन करना होता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 94 में इसको लेकर सभी प्रावधान स्पष्ट हैं कि जब भी लोकसभा भंग हो जाती है, तो अध्यक्ष विघटन के बाद लोक सभा की पहली बैठक से ठीक पहले तक अपना पद रिक्त नहीं करेगा, और उस दौरान अहम भूमिका प्रोटेम स्पीकर की होगी।

नई लोकसभा में सदन के अध्यक्ष का चयन साधारण बहुमत से होता है। उसके चयन तक कुछ महत्वपूर्ण कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए प्रो-टेम स्पीकर को चुना जाता है। ‘प्रो-टेम’ का मतलब ‘अस्थायी’ ही होता है।

संसदीय कार्यमंत्रालय में लिखित है नियम

संसदीय कार्य मंत्रालय के कामकाज पर आधिकारिक पुस्तिका में ‘प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति और शपथ ग्रहण’ के बारे में बताया गया है। इसके मुताबिक जब नई लोकसभा के गठन से पहले अध्यक्ष का पद रिक्त हो जाता है, तो “अध्यक्ष के कर्तव्यों का निर्वहन सदन के एक सदस्य द्वारा किया जाएगा, जिसे राष्ट्रपति द्वारा अस्थायी अध्यक्ष के रूप में इस प्रयोजन के लिए नियुक्त किया जाएगा।

नए सांसदों को शपथ दिलाना प्रोटेम स्पीकर का प्राथमिक कर्तव्य है। संविधान के अनुच्छेद 99 के तहत, “सदन का प्रत्येक सदस्य अपना स्थान ग्रहण करने से पहले, राष्ट्रपति या उसके द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति के समक्ष संविधान की तीसरी अनुसूची में इस उद्देश्य के लिए निर्धारित प्रारूप के अनुसार शपथ लेगा।

कैसे होता है प्रोटेम स्पीकर का चुनाव

आम तौर पर लोकसभा के तीन अन्य निर्वाचित सदस्यों को भी राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है और सांसद उनके समक्ष शपथ लेते हैं। प्रावधानों के अनुसार सबसे वरिष्ठ सदस्यों को आम तौर पर प्रो टेम स्पीकर के तौर पर चुना जाता है। जैसे ही नई सरकार बनती है, भारत सरकार का विधायी विभाग लोकसभा के वरिष्ठतम सदस्यों की सूची तैयार करता है, फिर इसे संसदीय कार्य मंत्री या प्रधानमंत्री को भेजा जाता है ताकि एक सांसद को प्रो-टेम स्पीकर और तीन अन्य सदस्यों को शपथ ग्रहण के लिए चुना जा सके।

राष्ट्रपति दिलाते हैं शपथ

प्रधानमंत्री की स्वीकृति के बाद संसदीय कार्य मंत्री द्वारा इन सदस्यों की सहमति प्राप्त की जाती है। इसके बाद मंत्री राष्ट्रपति को एक नोट सौंपते हैं, जिसमें प्रो-टेम स्पीकर और अन्य तीन सदस्यों की नियुक्ति के लिए स्वीकृति मांगी जाती है। वे शपथ ग्रहण समारोह की तारीख और समय भी तय करते हैं। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद मंत्रालय प्रोटेम स्पीकर और अन्य सदस्यों को उनकी नियुक्तियों के बारे में सूचित करता है, और अंत में राष्ट्रपति प्रोटेम स्पीकर को राष्ट्रपति भवन में शपथ दिलाते हैं। राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त अन्य तीन सदस्यों को लोकसभा में प्रोटेम स्पीकर शपथ दिलाते हैं।