What is Diplomatic Passports: जेडीएस के पूर्व नेता और सांसद प्रज्वल रेवन्ना लोकसभा चुनाव के लिए एनडीए के प्रत्याशी रहे और हाल ही में उनके अश्लील वीडियोज सामने आने से कर्नाटक की राजनीति में एक तहलका मच गया है। उन पर आरोप हैं कि उन्होंने अनेक महिलाओं का यौन उत्पीड़न किया है। बताया जा रहा है कि वह मामला सामने आने के बाद बेंगलुरू से जर्मनी चले गए हैं। इसके चलते सवाल उठने लगे हैं कि आखिर वह कैसे देश छोड़ कर चले गए।
विदेश मंत्रालय ने इसको लेकर जानकारी दी है कि जर्मनी जाने के लिए प्रज्वल रेवन्ना ने भारत के राजनयिक पासपोर्ट का इस्तेमाल किया था। अब सवाल उठता है कि आखिर यह पासपोर्ट क्या है और इसकी ताकत कितनी ज्यादा है कि इतने गंभीर आरोपों से घिरे होने के बावजूद प्रज्वल रेवन्ना आसानी से भारत छोड़ कर जर्मनी चले गए।
क्या होता राजनयिक पासपोर्ट?
भारत के राजनयिक पासपोर्ट भूरे रंग का होता है, जबकि आम पासपोर्ट नीले रंग का होता है। व्यस्कों के लिए आम पासपोर्ट की वैधता 10 साल की होती है, जबकि राजनयिक पासपोर्ट आमतौर पर 5 साल के लिए वैध होता है। इसकी वैधता अवधि कम और ज्यादा भी हो सकती है। इसमें 28 पन्ने होते हैं और इसे आम भाषा में ‘टाइप D’ पासपोर्ट भी कहा जाता है।
5 प्रकार के होते हैं पासपोर्ट
विदेश मंत्रालय का कांसुलर, पासपोर्ट और वीजा प्रभाग आम तौर पर 5 श्रेणियों में आने वाले लोगों को राजनयिक पासपोर्ट जारी करता है।
पहला – राजनयिक दर्जा रखने वाले लोग
दूसरा – आधिकारिक काम के लिए विदेश जा रहे भारत सरकार द्वारा नियुक्त व्यक्ति
तीसरा – भारतीय विदेश सेवा (IFS) की शाखा A और B के अधिकारी
चौथा – विदेश मंत्रालय और IFS अधिकारियों के रिश्तेदार और तत्काल परिवार
पांचवां – सरकार की ओर से आधिकारिक यात्रा करने वाले व्यक्ति
सांसदों को भी मिलता है राजनयिक पासपोर्ट
भारतीय सांसदों को भी राजनयिक पासपोर्ट मिलता है, जो सरकार की ओर से आधिकारिक यात्रा करने के लिए अधिकृत होते हैं। इसमें केंद्रीय मंत्री और सांसद शामिल हैं, जो अक्सर सरकार का प्रतिनिधित्व करने के लिए विदेश यात्रा करते हैं। इन पासपोर्टों की वैधता सांसद के कार्यकाल के समान होती है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी को जब संसद से अयोग्य घोषित किया गया था तो उन्होंने अपना राजनयिक पासपोर्ट जमा करवा दिया था।
राजनयिक वीजा में क्या मिलती है छूट
राजनयिक पासपोर्ट वाले भारतीयों को विदेशों में कई छूट मिलती हैं, इनमें मेजबान देश में गिरफ्तारी, हिरासत और कुछ कानूनी कार्यवाही से छूट भी शामिल है। इन लोगों को विदेशों में भारतीय दूतावास, वाणिज्य दूतावास और राजनियक मिशनों तक पहुंच मिल जाती है।
अगर किसी के पास राजनयिक पासपोर्ट है तो ज्यादातर देशों में उसे वीजा की जरूरत नहीं पड़ती, अगर वीजा जरूरी होता है तो भी इसकी प्रक्रिया काफी तेज होती है और उनका वीजा आसानी से पास हो जाता है।