BRICS summit in Kazan, Russia, from October 22-24, 2024: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय दौरे के लिए रूस के दौरे पर रहेंगे। पीएम मोदी को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने निमंत्रण दिया था। इसी के बाद वह वहां पर जा रहे हैं। वह 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। यहां पर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी पीएम मोदी की मुलाकात हो सकती है। भारत और चीन के बीच लंबे समय से चल रहे सैन्य गतिरोध के बीच मोदी और जिनपिंग की यह मुलाकात काफी अहम मानी जा रही है। आइए अब जानते हैं कि ब्रिक्स क्या है और इसकी स्थापना कब की गई थी।

BRICS क्या है?

अब ब्रिक्स की बात करें तो यह दुनिया की पांच अहम उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं का एक संगठन है। इसकी स्थापना जून के महीने में साल 2006 में की गई थी। इसमें पहले केवल ब्राजील, रूस, भारत और चीन ही शामिल थे। इसका नाम पहले ब्रिक था। इसके बाद साल 2010 में इसमें साउथ अफ्रीका में शामिल हो गया। फिर संगठन का नाम बदल गया और ये ब्रिक से बदलकर ब्रिक्स हो गया है। धीरे-धीरे इस संगठन का विस्तार हो गया और इसमें नए पांच देश जुड़ गए हैं। इनमें इजिप्ट, इथोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के नाम शामिल हैं। ब्रिक्स समिट का आयोजन हर साल इसके राष्ट्रीय सदस्यों की तरफ से ही की जाती है। हर साल पांच देशों में से बदल-बदलकर इस समिट की मेजबानी करते हैं।

ब्रिक्स सम्मेलन का उद्देश्य

ब्रिक्स का प्रमुख मकसद विकासशील देशों का आपस में आर्थिक सहयोग बढ़ाना है। इससे दुनिया के विकसित देश अपनी नीतियां उन पर ना थोप पाएं और ये देश मिल कर उनका डट कर मुकाबला कर सकें। यही वजह है कि इसके अहम मकसदों में विकसित और विकासशील देशों के बीच तालमेल कायम रखना भी शामिल है। इसमें आपसी राजनीतिक संबंधों को बेहतर बनाना, आर्थिक मदद और एक दूसरे की सांस्कृतिक रक्षा करना भी शामिल है।

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भारत के लिहाज से क्यों है खास?

ब्रिक्स समिट के जरिये भारत और रूस के बीच सहयोग बढ़ने के अलावा भारत और चीन के बीच कुछ बातचीत होने की उम्मीद है। सभी को प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात का इंतजार है। ऐसा माना जा रहा है कि गलवान में शुरू हुआ तनाव रूस के कजान में खत्म हो सकता है। भारत और चीन के बीच में तल्खी सोमवार को काफी नरम देखने को मिली है। दोनों देशों के बीच विवादित पेट्रोलिंग प्वाइंट्स को लेकर समझौता हुआ है। भारत की सेना यहां पर फिर से गश्त कर सकेगी।

शी जिनपिंग से पिछली बार कब बातचीत हुई थी?

पीएम मोदी और शी जिनपिंग की आखिरी बातचीत की बात करें तो वह आखिरी बार साल 2023 में साउथ अफ्रीका के ब्रिक्स सम्मेलन में ही हुई थी। इससे पहले साल 2020 में जी-20 समिट में शी जिनपिंग और पीएम मोदी पहुंचे थे। हालांकि, यहां पर किसी भी तरह की द्विपक्षीय वार्ता नहीं हुई थी। गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद भारत-चीन के संबंधों पर काफी असर पड़ गया था।

ब्रिक्स देशों क्यों अपनाना चाहते हैं नई करेंसी?

ब्रिक्स समिट में एक सबसे अहम मुद्दा नई करेंसी का भी रहेगा। ब्रिक्स देश चाहते हैं कि वे अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता को कम कर सके और एक नई साझा करेंसी को शुरू करें। नई करेंसी के बारे में चर्चा सबसे पहले साल 2022 में शुरू हुई थी। इसके बाद ब्राजील के राष्ट्रपति ने साल 2023 में ब्रिक्स करेंसी के प्रस्ताव का समर्थन किया था। उन्होंने कहा था कि ब्रिक्स देशों के पास में नई करेंसी क्यों नहीं हो सकती।