केरल में प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस के लगातार तीन मामले सामने आए हैं। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी कर दिया है। इस संक्रमण की वजह से एक बच्ची की मौत हो गई है। वहीं दो लोग जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। अब जानते हैं कि आखिर ये ब्रेन-ईटिंग अमीबा क्या है और क्या पहले भी केरल में इसके मामले सामने आए हैं।
अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस नेग्लेरिया फाउलेरी की वजह से होता है। इसे ब्रेन-ईटिंग अमीबा भी कहा जाता है। यह अमीबा गरम, ताजा पानी और मिट्टी में पाया जाता है। इतना ही नहीं यह नाक के जरिये एंट्री करके लोगों को संक्रमित करता है। इस साल केरल में इसके आठ मामले देखने को मिले हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कहा कि अलग-अलग गांवों से सामने आए तीन मामलों में कोई फर्क नहीं है।
तीन महीने का बच्चा भी संक्रमित
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारी ने कहा, “हमें नहीं पता कि तीन महीने का बच्चा इस दुर्लभ बीमारी से कैसे संक्रमित हुआ। हो सकता है कि नहाते समय अमीबा शरीर में एंट्री कर गया हो। साथ ही, ब्रेन ईटिंग अमीबा धूल और मिट्टी में पाया जाता है।” सूत्रों ने बताया कि जब मेनिंगोएन्सेफलाइटिस का मोलिक्यूलर डायग्नोसिस किया गया तो पता चला कि नेग्लेरिया फाउलेरी के अलावा एक और प्रजाति एकैंथअमीबा भी इस बीमारी की वजह बनती है।
केरल में निपाह वायरस से 14 साल के बच्चे की इलाज के दौरान मौत
सूत्रों ने कहा, “यह धारणा कि पानी के संपर्क में आने से अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस होता है, केवल नेग्लेरिया फाउलेरी के कारण होने वाले मामलों पर ही लागू होती है। पानी के संपर्क में आना अन्य अमीबा के कारण होने वाले मेनिंगोएन्सेफलाइटिस पर लागू नहीं होता है।”
पहला मामले भारत में कब सामने आया?
भारत में प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस का पहला मामला साल 1971 में सामने आया था। केरल में पहला मामला साल 2016 में आया था। 2016 से 2023 तक राज्य में केवल आठ मामले देखने को मिले। पिछले साल केरल में 36 पॉजिटिव मामले सामने आए और नौ मौतें हुईं। जुलाई 2024 तक भारत में दर्ज सभी मामलों में मरीज की मौत हो जाती थी। जुलाई 2024 में कोझिकोड जिले का एक 14 साल का लड़का इस बीमारी से बचने वाला पहला भारतीय बना। वह दुनिया में पीएएम से बचने वाला केवल 11वां शख्स था।
अब केरल में बढ़े हुए मामलों की बात करें तो एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के लिए जांच को भी कारण माना जा सकता है। इतना ही नहीं जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण भी इसके अन्य कारण हो सकते हैं। पिछले साल जब मामलों में बढ़ोतरी हुई तो राज्य ने अमीबिक मेनिंगोएन्सेफेलाइटिस के मामलों के मैनेजमेंट के लिए एक एसओपी जारी की।