अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस समय सऊदी अरब के दौरे पर हैं। वहां उन्होंने एक बार फिर से भारत-पाकिस्तान संघर्ष को लेकर श्रेय लेने की कोशिश की। ट्रंप ने न केवल इस लड़ाई को रोकने का श्रेय लिया बल्कि उन्होंने ये भी दावा किया कि भारत और पाकिस्तान परमाणु हमले की तरफ बढ़ रहे थे। इसके साथ ही उन्होंने दोनों देशों से धमकी भरे लहजे में कहा कि अगर दोनों देशों के बीच तनाव कम नहीं हुए तो अमेरिका उनके साथ व्यापारिक संबंध रोक देगा।
हालांकि सबसे महत्वपूर्ण सवाल ये हैं कि भारत पाकिस्तान संघर्ष को लेकर सरकार ट्रंप के बयान को खारिज क्यों कर रही है? दरअसल दोनों देशों के बीच सीजफायर को लेकर ट्रंप ने ही सबसे पहले सोशल मीडिया के जरिए से लोगों से जानकारी शेयर की थी।
भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष 6-7 मई (मंगलवार-बुधवार) की रात से शुरू हुआ था, जब भारत ने पाकिस्तान स्थित कई आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की। इसके बाद से दोनों देशों के बीच फायरिंग और ड्रोन अटैक होने लगे। धीरे-धीरे स्थिति ऐसी बनती जा रही थी कि दोनों देशों के बीच बढ़ता तनाव कभी भी युद्ध का रूप ले सकता था। ऐसे में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बीते शनिवार को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम की खबर दी।
श्रेय लेने की कोशिश में अमेरिका
उन्होंने दावा किया कि दोनों ही देश तत्काल प्रभाव से सीजफायर के लिए सहमत हो गए हैं और ये समझौता संयुक्त राज्य अमेरिका की मध्यस्थता में लंबी बातचीत के बाद हुआ। इसके ठीक बाद अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी सीजफायर का श्रेय लेने की कोशिश की। सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि भारत सरकार ने ट्रंप के बयान वाले दिन खंडन नहीं किया। हालांकि फिर बाद में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने ट्रंप के दावों को खारिज कर दिया।
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विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने शनिवार 10 मई को इस बात की पुष्टि की थी कि पाकिस्तान के डीजीएमओ ने दोपहर 3.35 बजे भारतीय डीजीएमओ से फोन पर सीधी बातचीत की थी। उन्होंने ये भी बताया कि पाकिस्तान विदेश मंत्रालय की ओर से शनिवार दोपहर 12.37 बजे ही रिक्वेस्ट भेजा गया था लेकिन कुछ तकनीकी समस्या की वजह से दोपहर 3.35 बजे बात हो पाई। आगे उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच सीधी बातचीत हुई है किसी तीसरे देश की कोई मध्यस्थता का कोई सवाल ही नहीं है। जबकि विदेश मंत्रालय ने इस बात से भी इनकार किया कि पाकिस्तान से लड़ाई के दौरान अमेरिका के साथ व्यापार को लेकर कभी बातचीत नहीं हुई।
व्यापार तभी जब होगा सीजफायर – बोले थे ट्रंप
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस पूरे मामले पर ट्रंप ने कहा था कि अगर आप दोनों इस लड़ाई को रोकते हैं तभी हम व्यापार कर रहे हैं और अगर आप इसे नहीं रोकते हैं तो हम कोई व्यापार नहीं करने जा रहे हैं। ट्रंप ने आगे कहा कि अभी तक किसी ने व्यापार का इस्तेमाल इस तरह से नहीं किया है जिस तरह से ट्रंप ने किया। उन्होंने कहा कि वो आपको बता सकते हैं कि उन्हें ऐसा लग गया कि हम इसे रोकने जा रहे हैं, और उन्होंने ऐसा किया। ट्रंप ने आगे कहा कि हम पाकिस्तान के साथ कई क्षेत्रों में ढेर सारा व्यापार करने जा रहे हैं। इसी तरह हम भारत के साथ भी कई क्षेत्रों ढेर सारा व्यापार करने जा रहे हैं। हम वर्तमान में भारत के साथ बातचीत कर रहे हैं और जल्द ही पाकिस्तान के साथ बातचीत करने की तैयारी में हैं।
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विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू होने से लेकर 10 मई को सीजफायर पर सहमति बनने तक, भारतीय और अमेरिकी नेताओं के बीच सैन्य स्थिति पर बातचीत होती रही। हालांकि इस दौरान किसी भी चर्चा में व्यापार का मुद्दा नहीं उठा।”
वहीं विदेश मंत्रालय ने ट्रंप के परमाणु हमले की बात को भी खारिज कर किया। रणधीर जायसवाल ने बताया, “सैन्य कार्रवाई पूरी तरह से एक सामान्य प्रक्रिया की तरह थी। ऐसी कुछ रिपोर्टें थीं कि पाकिस्तान की राष्ट्रीय कमान प्राधिकरण की बैठक 10 मई को होगी। लेकिन बाद में उन्होंने इसका खंडन किया। पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने खुद ही परमाणु हमले की बात से इनकार किया है।”
विदेश मंत्रालय ने ट्रंप के बयान को किया खारिज
ट्रंप ने मंगलवार को कहा कि भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष जल्दी ही परमाणु हमले तक पहुंचने वाला था। ट्रंप ने आगे कहा, “हमने एक परमाणु संघर्ष को रोका। मुझे लगता है कि यह एक भयानक परमाणु युद्ध हो सकता था, जिसमें लाखों लोग मारे जा सकते थे। इसलिए मुझे इस पर बहुत गर्व है।”
वहीं इस बात की काफी अटकले लगाई जाने लगीं कि भारत ने पाकिस्तान के किराना हिल्स पर हमला किया है, जिसके बारे में कई लोगों का मानना है कि वहां पाकिस्तान के परमाणु से जुड़ा एक हिस्सा मौजूद है। हालांकि, सेना की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एयर मार्शल ए.के. भारती ने ऐसे किसी भी दावों को खारिज कर दिया। भारती ने कहा, “हम किराना हिल्स तक नहीं पहुंचे हैं।”
वहीं ट्रंप के बयानों को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप की टिप्पणियों को गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने मनीकंट्रोल से बात करते हुए कहा, “ट्रंप का बयान हमें बताता है कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता जल्द ही हो सकता है, साथ ही यह भी पुष्टि करता है कि अमेरिका इस क्षेत्र में पाकिस्तान को एक प्रमुख रणनितिक साझेदार मानता है।”
लेकिन श्रीवास्तव ने ट्रंप के बयान पर असहमति जताते हुए कहा, “वाशिंगटन अभी भी भारत और पाकिस्तान को पुराने ‘हाइफ़नेटेड’ लेंस से देखता है। यह तब स्पष्ट हो गया जब 10 मई को ट्रंप के पोस्ट में आतंकवाद का एक बार भी ज़िक्र किए बिना ‘भारत और पाकिस्तान के मज़बूत और अटूट शक्तिशाली नेतृत्व’ की प्रशंसा की गई। पाकिस्तान के बार-बार हमलों के बावजूद, अमेरिका ने उसे कूटनीति और डॉलर दोनों से पुरस्कृत करना चुना। यह अवसरवादी मध्यस्थता है।”