What Is Green Crackers: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दीपावली के दौरान दिल्ली-एनसीआर में ग्रीन पटाखों की बिक्री और जलाने की इजाजत दे दी है। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस विनोद चंद्रन की बेंच ने आदेश दिया कि 18 अक्टूबर से 21 अक्टूबर तक ग्रीन पटाखों की बिक्री की इजाजत होगी। कोर्ट ने आगे निर्देश दिया कि ऐसे पटाखे फोड़ने का समय शाम 6 बजे से रात 10 बजे तक ही सीमित रहेगा। आइए अब जानते हैं कि आखिर ग्रीन पटाखें क्या होते हैं?
ग्रीन पटाखे ऐसे पटाखे होते हैं, जो पारंपरिक पटाखों के मुकाबले पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाते हैं। इनमें एलुमिनियम, पोटेशियम नाइट्रेट और सल्फर जैसे हानिकारक केमिकल्स या तो बहुत कम मात्रा में होते हैं या बिल्कुल नहीं होते। ग्रीन पटाखों में बेरियम पदार्थ नहीं होता है, जिसका इस्तेमाल पटाखों में ग्रीन कलर डालने के लिए किया जाता है। पारंपरिक पटाखे काले पाउडर, क्लोरेट्स और परक्लोरेट्स से बने होते हैं। ग्रीन पटाखों की खोज सीएसआईआर-नीरी (National Environmental Engineering Research Institute) ने की थी। ग्रीन पटाखों की पहचान सीएसआईआर-नीरी के हरे लोगो और पैकेट पर एन्क्रिप्टेड क्यूआर कोड से की जा सकती है।
जहां सामान्य पटाखे 160 डेसीबल तक शोर करते हैं, वहीं ग्रीन पटाखों की आवाज 110 से 125 डेसीबल तक ही होती है। यानी आम पटाखों के मुकाबले ग्रीन पटाखों से वायु और ध्वनि प्रदूषण दोनों कम होते हैं। ग्रीन पटाखों में पेंसिल, फुलझड़ियां, मरून और चकरी शामिल हैं।
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सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा?
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने अपने आदेश में कहा, “18 अक्टूबर से 21 अक्टूबर तक ग्रीन पटाखों की बिक्री की इजाजत होगी। पुलिस अधिकारी पेट्रोलिंग टीम का गठन करेंगे, जो इस बात पर नजर रखेंगे कि केवल क्यूआर कोड वाले प्रोडक्ट ही बेचे जाएं। पटाखों का समय शाम 6 बजे से रात 10 बजे तक ही सीमित रहेगा। पीठ ने कहा कि ई-कॉमर्स वेबसाइटों से पटाखों की आपूर्ति नहीं की जाएगी।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, आदेश में कहा गया, “पारंपरिक पटाखों की तस्करी की जाती है, जो ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं। हमें एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाना होगा। हरियाणा के 22 जिलों में से 14 जिले एनसीआर में आते हैं। जब बैन लगाया गया था तब कोविड के समय को छोड़कर एयर क्वालिटी में बहुत अंतर नहीं था। अर्जुन गोपाल के फैसले के बाद ग्रीन क्रैकर्स की अवधारणा पेश की गई थी। 6 सालों में ग्रीन क्रैकर्स ने उत्सर्जन को काफी कम कर दिया है। NEERI ने इसमें योगदान दिया है।”
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