असगर अली, हाशिम अली खांडकर और खाटेमान बेवा में क्या समानता है? इस सवाल का जवाब है कि उनमें यूं तो कई समानताएं हैं, लेकिन गुरुवार को इन तीनों ने पहली बार एक उपलब्धि हासिल की। वह है सौ के पार उम्र होने के बावजूद इन लोगों ने आज पहली बार मतदान किया। इन तीनों ने राज्य विधानसभा चुनावों के आखिरी चरण में कूचबिहार जिले के दिनहाटा विधानसभा क्षेत्र के तहत विभिन्न मतदान केंद्रों में अपने वोट डाले।

वैसे, यह तीनों बीते साल तक भारत स्थित बांग्लादेशी भूखंडों में रहते थे और भारत-बांग्लादेश के बीच हुए सीमा समझौते के तहत भूखंडों के आदान-प्रदान के बाद पहली अगस्त को भारतीय नागरिक बने थे। असगर अली मध्य मशालडांगा में रहते हैं तो खांडकर उत्तर मशालडांगा में। अपने लंबे जीवन में तीन-तीन देशों की नागरिकता बदलने के बाद बीते महीने उनको पहली बार मतदाता पहचान पत्र मिले थे। उनकी तरह कुल 9,776 लोगों ने गुरुवार को जिले की पांच विधानसभा सीटों के लिए अलग-अलग मतदान केंद्रों पर जाकर वोट डाले।

मतदान केंद्र से बाहर निकलने के बाद 103 साल के असगर अली के चेहरे की चमक देखने लायक थी। वे अपने घरवालों के साथ चुनाव आयोग की ओर से मुहैया कराए गए एक विशेष वाहन से मतदान केंद्र तक पहुंचे थे। उनकी तीन पीढ़ियों ने आज एक साथ मतदान किया। अली के पोते जयनाल अबेदिन ने कहा कि वे अपने पिता और दादा के साथ पहली बार वोट डाल कर वे बेहद खुश हैं। आज महसूस हो रहा है कि वे सही मायने में भारतीय नागरिक बन गए हैं।

इन नए नागरिकों की सहायता के लिए आयोग की ओर से हर मतदान केंद्र पर एक अधिकारी की तैनाती की गई ती। उसने अली को इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन तक जाने में मदद की। अली के लिए यह एक मुश्किल घड़ी थी और उसके चेहरे से असमंजस साफ झलक रहा था। लेकिन कुछ पल बाद जब उसने बटन दबाया तो उसकी सारी झिझक पलक झपकते ही गायब हो गई।

मतदान केंद्र से बाहर निकलने के बाद उसने अंगुलियों के इशारे से जीत का चिह्न बना कर दिखाया। असगर ने कहा कि अल्लाह ने शायद आज का दिन दिखाने के लिए ही उनको जीवित रखा था। उन्होंने बताया कि सुबह नींद टूटने पर वे बिस्तर से उठ कर खड़े नहीं हो पा रहे थे, लेकिन अब अपना वोट डालने के बाद वे चैन से मर सकते हैं।

दिनहाटा विधानसभा क्षेत्र के एक अन्य मतदान केंद्र पर 103 साल के हाशिम अली खांडकर और खाटेमान बेवा ने भी आज पहली बार मतदान किया। इन नए मतदाताओं का उत्साह देखते ही बनता था। लोग सुबह से ही सज-धज कर मतदान केंद्रों तक पहुंचने लगे थे। उनको देख कर लग रहा था कि मानो वे किसी उत्सव में जा रहे हों। 22 साल के सद्दाम हुसैन का कहना था कि यह हमारे लिए किसी उत्सव से कम नहीं है।
कूचबिहार की अतिरिक्त जिलाशासक आयशा रानी ने बताया कि इन नए और बुजुर्ग लोगों को मतदान की प्रक्रिया के बारे में समझाने में जिला प्रशासन को काफी मेहनत करनी पड़ी थी। लेकिन वह मेहनत कामयाब रही। चुनाव आयोग के मुताबिक नए वोटरों के मतदान का औसत सौ फीसद रहा।