MGNAREGA Wage Pending in Many State: देश के पश्चिम बंगाल (West Bengal), उत्तर प्रदेश (UP), बिहार (Bihar) और झारखंड (Jharkhand) उन राज्यों की लिस्ट में टॉप पर हैं, जहां केंद्र सरकार (Central Government) से फंड नहीं जारी किए जाने की वजह से मनरेगा (Mgnarega) के मजदूरों को उनका मेहनताना एक साल की देरी से किया गया है। इस बात की जानकारी केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री (MoRD) साध्वी निरंजन ज्योति (Sadhvi Niranjan Jyoti) ने बुधवार (21 दिसंबर) को राज्यसभा (Rajya Sabha) में दी। मजदूरों के वेतन भुगतान में देरी के मामले में पश्चिम बंगाल की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है।
मंत्रालय ने साझा किया Rajya Sabha में Data
पश्चिम बंगाल में अभी चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिए राज्य को 833 करोड़ रुपये जारी किए जाने बाकी हैं। इसके अलावा पिछले साल 2021-22 के लिए 1916 करोड़ रुपये जारी किए जाने बाकी हैं। वेतन के भुगतान में देरी और भुगतान न करने के लिए योजना के दायरे से बाहर होने वाले लोगों की संख्या के मामले में तृणमूल कांग्रेस के शासन वाले पश्चिम बंगाल की स्थिति सबसे खराब है। मंत्रालय में ने उच्च सदन में इसके आंकडे़ साझा करते हुए बताया कि चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिए राज्य को 833 करोड़ रुपये जारी किए जाने बाकी हैं,जबकि 2021-22 के लिए 1,916 करोड़ रुपये जारी किए जाने बाकी हैं।
MGNAREGA के भुगतान में शीर्ष पर है West Bengal
ग्रामीण विकास मंत्री ने राज्यसभा को लिखित उत्तर देते हुए 16 दिसंबर को 2022-23 तक योजना के तहत मजदूरी भुगतान के लिए राज्यवार लंबित देनदारियों का विवरण साझा किया। इन दस्तावेजों के मुताबिक, पश्चिम बंगाल के बाद इस सूची में दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश है, जहां मनरेगा के मजदूरों का 318 करोड़ रुपये बकाया है जबकि बिहार की बात करें तो वहां पर मनरेगा मजदूरों के 301 करोड़ रुपये और झारखंड में 276 करोड़ रुपये बकाया है। केंद्र की प्रमुख योजना के तहत 34 राज्यों में कुल 4,919 करोड़ रुपये की मजदूरी देनदारी लंबित है।
MGNAREGA में 25 फीसदी राज्य और 75 फीसदी धन केंद्र जारी करता है
पश्चिम बंगाल उन राज्यों में भी शीर्ष पर है, जिनके पास योजना के लिए लिया गया रॉ मैटेरियल जैसे ईंट, सीमेंट आदि के तहत भी काफी देनदारियां हैं। ऐसे मामलों में राज्यों को लागत का 25 प्रतिशत वहन करना पड़ता है जबकि शेष 75 प्रतिशत के लिए केंद्र धन जारी करता है। इस साल 16 दिसंबर तक राज्य पर 467 करोड़ रुपये की देनदारी है और 2021-22 के लिए 2,221 करोड़ रुपये बकाया है। मनरेगा एक मांग आधारित मजदूरी रोजगार योजना है जो ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति परिवार 100 दिनों के रोजगार की गारंटी देती है। महामारी के वर्षों के दौरान इसके तहत काम की मांग तेजी से बढ़ी थी। नौकरी गंवाने वाले लाखों लोगों के लिए योजना के तहत वेतन ही बुनियादी आय सुरक्षा का एकमात्र स्रोत था।