पश्चिम बंगाल में टीएमसी नेताओं द्वारा सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के बदले लाभार्थियों से अपना हिस्सा लेने का मामला सामने आया है। अब इसके खिलाफ राज्य में लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। राज्य में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन शुरु हो गए हैं। विरोध प्रदर्शनों से घबराकर एक टीएमसी नेता ने तो लोगों के 2.25 लाख रुपए वापस भी लौटा दिए हैं। न्यूज 18 की एक खबर के अनुसार, बीरभूम जिले के शहर सूरी में टीएमसी के बूथ प्रेसिडेंट त्रिलोचन मुखोपाध्याय पर आरोप है कि उन्होंने मनरेगा योजना के तहत 141 लोगों को काम मुहैया कराया। इसके एवज में टीएमसी नेता बीते कुछ सालों से ‘अपना हिस्सा’ लेते आ रहे थे।
हाल ही में इसके खिलाफ सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों ने मोर्चा खोल दिया। जिसके बाद पंचायत की बैठक बुलायी गई और टीएमसी नेता के घर का घेराव किया गया। जिसमें टीएमसी नेता को लोगों के पैसे लौटाने का निर्देश दिया गया। मंगलवार को टीएमसी नेता ने लोगों के 2.25 लाख रुपए लौटाए और अपने भ्रष्टाचार के लिए माफी भी मांगी और आगे से ऐसा कभी नहीं करने का वादा किया। पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने इस पर बयान देते हुए कहा है कि ‘यह तो सिर्फ शुरुआत है और आने वाले दिनों में टीएमसी के कई वरिष्ठ नेता और मंत्री भी लोगों के हिस्से के पैसे उन्हें लौटाएंगे।’
खबर के अनुसार मंगलवार को पश्चिम बंगाल के उत्तरी 24 परगना और बीरभूम जिलों में भी ऐसी ही मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन हुए थे। कूच बिहार, जलपाईगुड़ी, बर्धवान, माल्दा, पुरुलिया, नादिया, पश्चिमी मिदनापुर, बांकुरा और कोलकाता में भी म्यूनिसिपल और पंचायत स्तर के टीएमसी नेताओं के खिलाफ इस मुद्दे को लेकर लोगों में नाराजगी है। राज्य में इस मामले ने राजनैतिक रंग ले लिया है और विधानसभा में विपक्ष के नेता अब्दुल मन्नान और सीपीआई (एम) के वरिष्ठ नेता सुजान चक्रवर्ती ने भी राज्य सरकार से इस मामले की जांच की मांग की है।
न्यूज 18 की खबर के अनुसार, ममता बनर्जी ने टीएमसी काउंसलर्स की एक बैठक भी ली है। इस बैठक के दौरान ममता बनर्जी ने कथित तौर पर कहा कि ‘मैं नहीं चाहती कि चोर मेरी पार्टी में रहें। यदि मैंने कार्रवाई की तो वो किसी दूसरी पार्टी में शामिल हो जाएंगे। कुछ नेताओं का कहना है कि गरीबों को घर दिलाने के बदले 25 प्रतिशत कमीशन लिया जा रहा है। यह तुरंत रुकना चाहिए। यदि किसी ने पैसे लिए हैं, तो उन्हें तुरंत लौटा दें।’