West Bengal: पश्चिम बंगाल के पुरुलिया के सबसे बड़े स्कूल ने एक खतरे की पहचान की थी। यह स्टूडेंट्स के बीच में तेजी से फैलता जा रहा था। इसको कंट्रोल करने के लिए स्कूल अधिकारियों ने एक अभियान शुरू किया और कई मीटिंग भी आयोजित कीं। यह कुछ और नहीं बल्कि स्कूली छात्रों का अजीबोगरीब हेयरकट था। इस अभियान के बाद कस्बे के नाइयों ने कहा कि वह पुरुलिया कुल कामिनी हाई स्कूल के छात्रों के अजीबोगरीब बाल नहीं काटेंगे।

एक्टिंग हेडमास्टर सुब्रत सामंत ने कहा कि करीब छह से सात महीने पहले हमें इस बात का अहसास हुआ कि हमारे छात्रों के बीच अजीबोगरीब हेयरकट एक गंभीर समस्या बन गई है। छात्र क्रिकेटरों से लेकर फुटबॉलरों तक के हेयरस्टाइल की नकल करते हैं। लेकिन ये स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों के लिए सही नहीं है। यह एक गंभीर बीमारी की तरह फैलने जैसा था। यह पहले तो केवल सीनियर क्लास तक ही सीमित थी लेकिन धीरे-धीरे जूनियर क्लास में भी इसका असर दिखने लगा। शुरुआत में हमने ऐसे छात्रों को क्लास से बाहर जाने के लिए कहा और बाद में हमने सभी को नोटिस भी जारी किया। हालांकि, यह समस्या यहीं पर नहीं रूकी।

स्कूल के नोटिस में क्या लिखा था

स्कूल ने इस मामले पर दो बार नोटिस जारी किया। पहली बार तो 11 जून को किया और फिर 6 जुलाई को भी नोटिस दिया। इस नोटिस में लिखा था कि स्कूल आने पर सभी छात्रों को सही तरीके से बाल कटवाने होंगे। अगर कान के पास के बाल बहुत छोटे हैं, तो सिर के बीच में उससे दोगुने बाल रखने की इजाजत होगी। हालांकि, अजीबोगरीब बाल कटवाने को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अगस्त के महीने में स्कूल ने इस मामले पर 10वीं और 11वीं क्लास के छात्रों के पैरेंट्स से भी बातचीत की और मुलाकात की।

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इस स्कूल को काफी अच्छा माना जाता है। यहां के स्टूडेंट राज्य बोर्ड परीक्षा रैंकिंग में टॉप 20 में आते हैं। पिछले साल, स्कूल के छात्रों ने 10वीं क्लास की बोर्ड परीक्षा में 12वीं और 14वीं रैंक हासिल की। यह क्षेत्र के सबसे बड़े स्कूलों में से एक है। इसके स्टूडेंट्स की संख्या की बात करें तो यह करीब 3,100 है। सामंता ने इस मामले से परेशान होकर कहा कि क्यों ना एक अभियान चलाया जाए। इस अभियान का पहला हिस्सा स्थानीय नाइयों, हेयरड्रेसरों और सैलून मालिकों से संपर्क करना था।

स्थानीय नाइयों और सैलून मालिकों के साथ टीचर्स ने की मीटिंग

मैथ्स के टीचर सुब्रत आचार्य के साथ सामंत इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए पास की दो नाई की दुकानों पर गए। आखिरकार उन्होंने स्थानीय नाइयों की एक मीटिंग बुलाई। इसके लिए 24 अक्टूबर को करीब 36 हेयरड्रेसर, सैलून मालिक और नाई स्कूल आए। आचार्य ने कहा कि हमने उन्हें समझाया कि यह एक बढ़िया स्कूल है। यहां के बच्चे बोर्ड के पेपर में अच्छी रैंक हासिल करते हैं।

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हमें डिसिपिलिन की जरूरत है। मैथ्स के टीचर ने कहा कि जब छात्र और यहां तक ​​कि कुछ छात्रों के पैरेंट्स भी इस तरह के बाल कटवाने का आग्रह करते हैं तो नाई इस मामले में अपनी लाचारी जताते हैं। हालांकि, सभी स्थानीय सैलून मालिक और नाई छात्रों के केवल सही बाल काटने पर सहमत हो गए। अगर उनसे छात्रों ने अजीबोगरीब हेयर स्टाइल की मांग की तो वह मना कर देंगे।

खिलाड़ियों की तरह करवाते हैं हेयरस्टाइल

स्थानीय सैलून और पुरुलिया समाबे सैलून ओनर्स एसोसिएशन के मालिक मदन सिल ने कहा, ‘जब हेडमास्टर ने हमसे संपर्क किया तो हम हैरान रह गए। हमने उनसे कहा कि अगर हममें से कोई ऐसा नहीं करता (छात्रों को अजीबोगरीब हेयरकट नहीं देता), तो कोई और ग्राहक लाने के लिए ऐसा करेगा। छात्र और यहां तक ​​कि उनके अभिभावक भी विराट कोहली , हार्दिक पांड्या और कई अन्य खिलाड़ियों की फोटो दिखाते हैं जिन्हें हम नहीं जानते। लेकिन हमें उनके बाल उसी तरह काटने पड़ते हैं।’

उन्होंने यह भी कहा कि नाई स्कूल के द्वारा उठाए गए मुद्दे को समझते हैं। उन्होंने कहा कि हम स्कूल का सम्मान करते हैं और हम सभी को एकजुट होकर इस तरह के बाल कटाने को रोकना चाहिए। अब जब उस स्कूल के स्टूडेंट्स आते हैं तो हम इस तरह के बाल काटने के लिए मना कर देते हैं। साथ ही, उन्होंने यह भी साफ किया कि अगर छात्र अन्य इलाकों में बाल कटाते हैं तो पुरुलिया सैलून मालिक संघ को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा। सिल ने कहा, “बहुत से छात्र बर्धमान के अलग-अलग इलाकों में रहते हैं और वहां बाल कटा सकते हैं।”