कोलकाता हाईकोर्ट ने सभी जिलों के डीएम से साफ लहजे में कहा है कि कोविड प्रोटोकॉल टूटते हैं तो सख्त कार्रवाई की जाए। कोर्ट का आदेश ऐसे समय में आया है जब चुनाव आयोग पूरी तरह से फेल हो गया। उसकी आंखों के सामने नेता हजारों लाखों लोगों की रैलियां करते रहे लेकिन वह कुछ भी नहीं कर सका। हालांकि, कोर्ट का आदेश आने के बाद भी हालात में सुधार नहीं दिखा।

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ECI और बंगाल के चीफ इलेक्शन ऑफिसर ने कोरोना को लेकर गाइडलाइन जारी की हैं। इन्हें सख्ती से लागू करना बेहद जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि जो भी इन्हें मानने से इनकार करे या जो इनकी अनुपालना न कराता दिखे, उसके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाए। फैसले में कहा गया कि कुछ लोगों की लापरवाही की वजह से सारे समाज को खतरे में नहीं डाल सकते। यह बेहद खतरनाक हो सकता है।

चुनाव को लेकर कोर्ट ने कहा कि प्रचार के दौरान कोई नियमों की अनदेखी करता दिखे तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाए। नियमों की पालना कराने की जिम्मेदारी डीएम और चुनाव अधिकारी पर होगी। इसे लिए धारा 144 लागू करनी पड़े तो करें। कोर्ट का कहना था कि हम बेहद खतरनाक स्थिति से गुजर रहे हैं और अनदेखी भारी पड़ सकती है। चीफ जस्टिस बी राधाकृष्णन और जस्टिस अरिजीत बनर्जी ने कहा कि चुनावी रैलियों में मास्क, सोशल डिस्टेसिंग और सेनेटाइजर्स को लेकर खास सावधानी बरती जाए। कोर्ट ने सभी राजनीतिक दलों, उनके सहयोगियों से कहा कि स्थिति की गंभीरता को समझें।

चीफ जस्टिस की बेंच उन दो याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी, जिनमें चुनावी रैलियों का जिक्र किया गया। याचिकाकर्ताओं ने अखबारों की कटिंग कोर्ट के सामने रखी थी। इसमें सरेआम नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही थीं। याचिका के साथ में बंगाल के चुनाव अधिकारी की गाइडलाइन भी कोर्ट के सामने पेश की गई। बेंच ने माना कि चुनाव अधिकारी ने अपना काम किया लेकिन प्रशासनिक स्तर पर ज्यादा काम नहीं हुआ। मामले की अगली सुनवाई 19 अप्रैल को होगी। बंगाल के चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर का कहा गया है कि वो समग्र रिपोर्ट दाखिल करें।

कोर्ट के आदेश के बाद बुधवार को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ईस्ट वर्धमान के मंगलकोट में रैली करते दिखे तो कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी पहली दफा बंगाल के चुनाव मैदान में हुंकार भरते दिखे। किसी भी रैली में कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते लोग नहीं दिखे। इनके अतिरिक्त तृणमूल, बीजेपी, कांग्रेस और वामपंथी नेता गली-गली प्रचार करते दिख रहे हैं। लेकिन किसी को कोरोना की चिंता नहीं। नेताओं के साथ चलने वाले लोग न तो मास्क पहन रहे हैं और न ही सोशल डिस्टेसिंग का ख्याल। चुनाव अधिकारी सब कुछ देखकर भी चीजों को अनदेखा कर रहे हैं।