पश्चिम बंगाल के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष के इस बयान पर जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकारी संपत्ति को जो लोग नुकसान पहुंचा रहे हैं, उन्हें उनकी पार्टी के शासन वाले राज्यों में “कुत्तों की तरह” मार दिया जाएगा, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जमकर बरसीं। बनर्जी ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा “बंगाल उत्तर प्रदेश नहीं है।”
बोलीं यह शर्मनाक है: एएनआई ने बनर्जी के हवाले से कहा, “यह शर्मनाक है आप यह कैसे कह सकते हैं? उसका नाम लेना भी शर्म की बात है। आप फायरिंग को बढ़ावा दे रहे हैं। यह यूपी नहीं है यहां फायरिंग नहीं हुई। यह समझें कि यदि कल कुछ अनहोनी होती है, तो आप समान रूप से जिम्मेदार होंगे। आप विरोध करने के लिए लोगों को मारना चाहते हैं?”
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WB CM: It's shameful. How can you say this? It's a shame to even take his name. You're promoting firing.This isn't UP. Here firing won't happen.Understand that if tomorrow something untoward happens,you'll be equally responsible. You want to kill people for protesting? (file pic) https://t.co/JSW3m1ZclZ pic.twitter.com/KfTj4HO0XZ
— ANI (@ANI) January 13, 2020
घोष के बयान पर बीजेपी ने भी बनाई दूरी:: घोष की टिप्पणी उस वक्त आई जब वह रविवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के समर्थन में एक रैली के बाद नादिया जिले के राणाघाट में पार्टी समर्थकों की एक सभा को संबोधित कर रहे थे। उनकी टिप्पणी इतनी सख्त थी कि भाजपा के नेताओं ने भी खुद को उनके बयान से दूरी बना ली। पिछले महीने उत्तर प्रदेश में सीएए विरोधी प्रदर्शनों में हिंसा में लगभग दो दर्जन लोग मारे गए थे और असम में पांच लोगों की मौत हो गई है, जिसमें तीन कथित रूप से पुलिस की गोली से हुई हैं। दोनों राज्यों में भाजपा का शासन है। ममता बनर्जी, जो सीएए की एक तीखी आलोचक हैं, ने शनिवार को पीएम मोदी की दो दिवसीय बंगाल यात्रा के दौरान कोलकाता के राजभवन में उनसे मुलाकात की और धर्म में नागरिकता का परीक्षण करने वाले संशोधित कानून को वापस लेने का अनुरोध किया।
पीएम मोदी ने विपक्ष पर गुमरा करने का लगाया आरोप: सीएए पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से गैर-मुस्लिम शरणार्थियों के लिए भारतीय नागरिकता की सुविधा प्रदान करता है, जो 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत पहुंचे थे। रविवार को हावड़ा के बेलूर मठ में मोदी ने कहा कि सीएए केवल पाकिस्तान में सताए गए लोगों के लिए एक संशोधन है और किसी भारतीय की नागरिकता को छीनने के लिए नहीं है। उन्होंने विपक्ष पर युवाओं को कानून के खिलाफ विरोध करने के लिए “गुमराह करने” का भी आरोप लगाया। सीएए की वजह से देश में कई स्थानों पर व्यापक विरोध प्रदर्शन हुआ और यह भेदभावपूर्ण, विभाजनकारी और असंवैधानिक है।
