West Bengal Assembly Elections: नंदीग्राम में हुए एक्सीडेंट के महज़ दो दिन बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी, अगर व्हीलचेयर पर ही चुनाव प्रचार करने निकल पड़ी हैं तो इससे साफ हो जाता है कि इस चुनावी संग्राम में वो प्रचार की कमान कुछ दिनों के लिए भी छोड़ने का जोखिम नहीं उठा सकतीं। उनके राजनीतिक विरोधी भले ही इसे सहानुभूति वोट बटोरने की कोशिश करार दें, मगर ये बात सभी जानते हैं कि इन चुनावों में ममता के सामने बड़ी बड़ी चुनौतियां मुंह बाए खड़ी हैं…

बीजेपी का बढ़ा जनाधार, मजबूत संसाधन तंत्र : 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने जिस तरह से 18 सीटें हासिल की, वो राजनीतिक पंडितों के साथ साथ ममता के लिए भी चौंकाने वाली बात थी…क्योंकि ये वही बीजेपी थी, जिसे पिछले विधानसभा चुनावों में सिर्फ 3 सीटें हासिल हुई थीं…मगर मिशन 2021 के लिए बीजेपी के संगठन ने जिस तरह से अपनी पूरी ताकत झोंक दी, उसका फायदा पार्टी को जमीनी स्तर पर मिलता दिखाई दिया…चार-चार केन्द्रीय मंत्रियों समेत पार्टी ने राज्य इकाई को वो सारे संसाधन मुहैया कराये जो बूथ स्तर पर बीजेपी को मजबूत करने के लिए चाहिए थे…आज अपने उसी निवेश के दम पर बीजेपी ‘अबकी बार 200 के पार’ का नारा लगा रही है। इस चुनौती से निपटने में ममता दीदी को एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है…

अपनों से होगी टक्कर : बीजेपी के साथ करो या मरो की जंग लड़ रही ममता की सबसे बड़ी मुश्किल बीजेपी के वो सेनापति हैं, जो कुछ अरसा पहले तक ममता के सबसे भरोसेमंद सिपहसलार हुआ करते थे… इनमें सबसे पहला नाम है मुकुल रॉय का, जिन्हें ग्रामीण बंगाल में तृणमूल की जड़ें जमाने का श्रेय दिया जाता है…आज अगर नॉर्थ बंगाल, हिल्स और जंगल एरिया तृणमूल के हाथ से निकल कर बीजेपी के पास जाता नज़र आ रहा है तो इसके सूत्रधार मुकुल ही हैं…इसके अलावा ममता के दूसरे सेनापतियों की बगावत के पीछे भी मुकुल का ही हाथ माना जाता है…शुवेंदु अधिकारी और दिनेश त्रिवेदी समेत ऐसे कई नाम हैं, जिन्होंने कल तक टीएमसी को मजबूती देने का काम किया, मगर आज तृणमूल को सत्ता से उखाड़ फेंकने में जुट गए हैं…

पार्टी में बढ़ती बगावत, भाई भतीजावाद का आरोप : जब शुभेंदु अधिकारी ने टीएमसी का दामन छोड़ा था तो ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी को पार्टी में आगे बढ़ाने पर उपजता असंतोष खुलकर सामने आ गया…धीरे धीरे इस लिस्ट में टीएमसी के कुछ विधायक और स्थानीय स्तर के बड़े नेताओं के नाम शामिल हो गए…ममता ने इस असंतोष के रोकने के बजाय कहा कि “पार्टी छोड़कर जाने वालों के लिए दरवाजे खुले हैं…” ऐसे में भाई-भतीजावाद के आरोपों को और बल मिला और बागियों के पार्टी छोड़कर जाने की रफ्तार में तेजी आ गई…जानकार मानते हैं कि टीएमसी को इसका खामियाजा मतदान के दिन उठाना पड़ सकता है, जब मतदाताओं को बूथ पर लाने के लिए कई जगहों पर कोई असरदार स्थानीय नेता ही नहीं होगा…राजनीतिक पंडित इसे पार्टी पर ममता की कमजोर होती पकड़ का संकेत भी मान रहे हैं…

वोटकटुआ लेफ्ट और कांग्रेस! : पश्चिम बंगाल की राजनीति में मुस्लिम वोट परंपरागत रूप से लेफ्ट का और हिंदू वोट कांग्रेस का आधार माने जाते रहे हैं। 2011 में ममता ने इस समीकरण को पूरी तरह पलटते हुए हिंदू और मुस्लिम वोटों पर समान रूप से कब्जा किया और सत्ता में आ गईं… मगर 2019 के बाद बीजेपी ने बड़ी संख्या में हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिश की और उसे अपने पाले में लाने में काफी हदतक कामयाब भी रही…ऐसे में देखने वाली बात ये होगी कि लेफ्ट और कांग्रेस का गठबंधन किसके वोट काटता है…क्योंकि कांग्रेस की हिंदू वोट बैंक पर पकड़ नहीं रही, ये बात जगजाहिर है। ऐसे में लेफ्ट ने अगर मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगा दिया तो इसका सीधा खामियाजा तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी को उठाना पड़ेगा…

एंटी इनकमबेन्सी फैक्टर: ममता बनर्जी पिछले 10 सालों से पश्चिम बंगाल की सत्ता पर काबिज हैं…इस दौरान कानून व्यवस्था, बांग्लादेशी घुसपैठिए, दुर्गा पूजा और विसर्जन पर रोक, महंगाई समेत ऐसे कई मुद्दे हैं, जिसे लेकर लोगों में सरकार के खिलाफ नाराज़गी बढ़ी है…महंगाई का ठीकरा ममता ने केन्द्र पर फोड़ने की कोशिश तो जरूर की है मगर अतीत के अनुभव बताते हैं आम जनता के लिए सरकार मतलब सरकार होता है फिर चाहे वो केन्द्र हो या राज्य…खासकर ग्रामीण इलाकों में…इसके अलावा बीजेपी पिछले काफी समय से ये बताने में जुटी है कि केन्द्र की योजनाओं और धन का इस्तेमाल राज्य में नहीं किया जा रहा…ऐसे में कहीं मतदाताओं के एक धड़े ने भी इसे गंभीरता से ले लिया तो टीएमसी के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं…

ये वो पांच मुश्किलें हैं जो ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस की राह रोके खड़ी हैं, मगर अपने जुझारूपन के लिए मशहूर ममता इन्हें पार कर लेती हैं तो उन्हें तीसरी बार पश्चिम बंगाल की सत्ता पर काबिज होने से कोई नहीं रोक पाएगा…