लोकजनशक्ति पार्टी के नेता और केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान के बेटे चिराग पासवान ने कहा है कि समृद्ध दलित स्वेच्छापूर्वक उसी प्रकार से आरक्षण छोड़ दें, जिस प्रकार से संपन्न लोग गैस सब्सिडी का त्याग कर रहे हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में चिराग पासवान ने कहा, ‘मेरे विचार में आर्थिक तौर पर जिन लोगों की पृष्ठभूमि समृद्ध हैं, उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं लेना चाहिए। ऐसा करने पर समुदाय के अन्य लोगों को बेहतर अवसर मिल सकेंगे।’ 2014 लोकसभा चुनाव में पहली बार बिहार से सांसद चुने गए चिराग पासवान ने यह भी कहा कि आरक्षण नहीं लेने का फैसला स्वेच्छा से होना चाहिए, न कि जोर-जबर्दस्ती से।
चिराग ने कहा, ‘मैं जातिवाद से रहित समाज की उम्मीद करता हूं। यह मेरा लक्ष्य है। मैं बिहार से आता हूं, जहां राजनीति पर जातिगत समीकरण हावी रहते हैं। इस लक्ष्य को हासिल करने में यूपी और बिहार की अहम भूमिका रहेगी।’
क्या बीजेपी उत्तर प्रदेश और पंजाब में ओबीसी तथा दलित नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर पिछड़े और दलित वोटों को लुभाने की कोशिश कर रही है? इस सवाल के जवाब में चिराग ने कहा कि इस प्रकार की नियुक्तियों की टाइमिंग को लेकर सवाल उठाएंगे। लेकिन हमें यह स्वीकार करना होगा कि अब ऐसे नेताओं को आगे लाने का समय आ गया है। बीजेपी समाज के इस वर्ग से जुड़े अपने प्रतिभावान नेताओं को आगे ला रही है। यह अच्छा संकेत हैं।
दलित नेता और यूपी की पूर्व सीएम मायावती पर निशाना साधते हुए चिराग पासवान ने कहा कि जब उनकी सरकार थी, तब उनके पास पूरी पावर थी। अगर वह चाहतीं तो वह उस वर्ग के लिए काफी कुछ कर सकती थीं, जहां से वह आती हैं। लेकिन उन्होंने मूर्तियां बनाने पर ज्यादा ध्यान दिया।
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