Weather forecast Today India Updates: इस समय चक्रवाती हवाओं का अक्षेत्र पश्चिमी राजस्थान पर बना हुआ है और इसके साथ मानसून अब पंजाब, हरियाणा औ राजस्थान के अधिकतर हिस्सों से विदा ले चुका है। जल्द ही उत्तर पश्चिमी भारत के बाकी हिस्सों और मध्य भारत से मानसून विदाई की कगार पर पहुंच जाएगा। इसके चलते देश के ज्यादातर पहाड़ी राज्यों में मौसम लगातार शुष्क ही बना हुआ है। हालांकि इस दौरान जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में एक दो जगहों पर हल्की बारिश से इनकार नहीं किया जा सकता है। पंजाब, हरियाण, दिल्ली, राजस्थान और पश्चिमी यूपी में इस दौरान मुख्य मौसम गतिविधि नहीं देखे जाने का अनुमान है।
मौसम से जुड़ी जानकारी देने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक बनी हुई है। इसी दौरान देश के पूर्वी भागों की बात करें तो एक चक्रवाती हवाओं का अक्षेत्र गंगीय पश्चिम बंगाल पर बना हुआ है साथ ही एक ट्रफ रेखा बंगाल से अरब सागर तक जा रही है। इसके चलते कोलकाता, पुरी, सिक्किम, झारखंड, ओडिशा में कुछ जगहों पर भारी बारिश के साथ कुछ जगह हल्की से मध्यम बारिश होने का अनुमान है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में ज्यादा मौसम शुष्क ही रहने का अनुमान है।
Highlights
राष्ट्रीय राजधानी में शनिवार की सुबह मौसम सुहाना रहने के साथ ही न्यूनतम तापमान 20.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, हवा में आर्द्रता का स्तर 83 प्रतिशत रहा। मौसम वैज्ञानिक ने आसमान के साफ रहने के साथ ही शनिवार को अधिकतम तापमान 34 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने का पूर्वानुमान लगाया है। वहीं शुक्रवार को अधिकतम और न्यूनतम तापमान क्रमश: 33.2 और 20.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था।
मौसम विभाग के अनुसार राज्य में इस वर्ष लंबे समय तक मानसून के सक्रिय रहने के कारण इतिहास में रिकार्ड छठी बार सबसे ज्यादा 583.6 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। जयपुर के मौसम विभाग के निदेशक शिव गणेश ने शुक्रवार को बताया कि मानसून ने राज्य में दो जुलाई को प्रवेश किया था और औसत समय 61 दिन के मुकाबले राज्य में 82 दिन तक सक्रिय रहा।
उत्तर प्रदेश की राजधानी सहित आस-पास के इलाके में निकली धूप के कारण हल्की गर्मी बढ़ी है। लेकिन, हवा में आद्र्रता के कारण रात में हल्की ठंडक का अहसास रहता है। प्रदेश में आज मौसम शुष्क रहने के आसार हैं। शुक्रवार को लखनऊ का न्यूनतम तापमान 23 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। मौसम विभाग के अनुसार, मानसून विदाई की कगार पर है। वापसी की सीमा रेखा पश्चिमी और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों से होकर गुजर रही है। प्रदेश में अब पूरी तरह से मौसम शुष्क रहने के संकेत हैं।
मौसम विभाग के मुताबिक दिवाली तक दिल्ली में तापमान करीब 30 डिग्री सेल्सियस से नीचे आ जाएगा। उम्मीद जताई जा रही है कि दिवाली पर पटाखे जलने की वजह से नवंबर में प्रदूषण का स्तर भी बढ़ जाएगा।
मौसम विभाग के मुताबिक इस साल की शुरुआत 33% कम बारिश के साथ हुई, लेकिन सामान्य से 10% अधिक बारिश के साथ बारिश का मौसम समाप्त हो रहा है। भारी बारिश के चलते कई राज्यों में विनाशकारी बाढ़ आई।
गुरुवार की सुबह दिल्लीवासियों के लिए खुशनुमा रही। इस दौरान तापमान 20.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो इस मौसम का सामान्य तापमान है।मौसम विभाग के अधिकारी के अनुसार हवा में आर्द्रता का प्रतिशत 83 रहा। मौसमविद ने दिन में आंशिक रुप से बादल छाने और शुक्रवार की सुबह धुंध छाने का अनुमान व्यक्त किया है।गुरुवार को न्यूनतम तापमान 21 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 33 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है। बुधवार को अधिकतम तापमान 33.7 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 20.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था।
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में भी दोपहर बाद बारिश का दौर शुरू हो गया। जबकि जिला कांगड़ा और चंबा के अधिकतर क्षेत्रों में बारिश के साथ ओलावृष्टि (Hail) हुई है। बैजनाथ क्षेत्र में ओलावृष्टि से फसलों को भारी नुकसान की सूचना है। चंबा के तीसा में मटर और भट्टियात में धान की फसल ओलावृष्टि ने बर्बाद कर दी है। कांगड़ा सीमा से लगे भट्टियात क्षेत्र से लेकर जम्मू से सटे किहार क्षेत्र में फसलों को खासा नुकसान हुआ है।
दक्षिणी पश्चिम मानसून ने चार महीने बरसात के मौसम के बाद बुधवार से अपनी विदाई शुरू कर ली। मौसम विभाग ने यह जानकारी दी। भारतीय मौसम विभाग ने एक बयान में कहा कि उत्तर पश्चिम भारत में प्रति चक्रवात स्थिति बनने और नमी वाली स्थिति में लगातार कमी के बाद अब मानसून पंजाब, हरियाणा, उत्तरी राजस्थान से आज विदा हो गया। वैसे मानसून की विदाई की सामान्य तारीख एक सितंबर थी। सबसे विलंब में मानसून की दर्ज विदाई 1961 में एक अक्टूबर को हुई थी। वहीं इसके बाद 2007 में 30 सितंबर को विलंब से मानसून की विदाई हुयी थी। अगले दो-तीन दिन में भारत के अन्य हिस्सों से भी मानसून की विदाई की स्थिति बन गई है।
पिछले चार महीने के दौरान मध्य और उत्तर पश्चिम भारत में सामान्य से लगभग दस प्रतिशत अधिक बारिश देने वाले दक्षिण पश्चिम मानसून की बुधवार को लगभग एक महीने विलंब से वापसी शुरु हो गयी। मौसम विभाग ने 20 अक्टूबर तक मानसून की पूरी तरह से वापसी का अनुमान जताया है। विभाग द्वारा जारी बयान के अनुसार पिछले पांच दिनों से मानसून की लगातार सुस्ती के मद्देनजर उत्तर पश्चिम क्षेत्र में पंजाब, हरियाणा और उत्तरी राजस्थान से मानसून की आधिकारिक तौर पर वापसी शुरु हो गयी है। भारत में बारिश के मौसम के लिये जिम्मेदार दक्षिण पश्चिम मानसून की सामान्य तौर पर हर साल एक सितंबर को वापसी शुरुआत हो जाती है और 30 सितंबर तक यह पूरी तरह लौट जाता है। विभाग के अनुसार इस साल मानसून की सबसे अधिक विलंब से वापसी शुरु हुयी है। इससे पहले 1961 में एक अक्टूबर को मानसून की वापसी शुरु हुयी थी जबकि 2007 में 30 सितंबर और 2018 में 29 सितंबर को मानसून की वापसी शुरु हुयी थी।
पिछले चार महीने के दौरान मध्य और उत्तर पश्चिम भारत में सामान्य से लगभग दस प्रतिशत अधिक बारिश देने वाले दक्षिण पश्चिम मानसून की बुधवार को लगभग एक महीने विलंब से वापसी शुरु हो गयी। मौसम विभाग ने 20 अक्टूबर तक मानसून की पूरी तरह से वापसी का अनुमान जताया है। विभाग द्वारा जारी बयान के अनुसार पिछले पांच दिनों से मानसून की लगातार सुस्ती के मद्देनजर उत्तर पश्चिम क्षेत्र में पंजाब, हरियाणा और उत्तरी राजस्थान से मानसून की आधिकारिक तौर पर वापसी शुरु हो गयी है। भारत में बारिश के मौसम के लिये जिम्मेदार दक्षिण पश्चिम मानसून की सामान्य तौर पर हर साल एक सितंबर को वापसी शुरुआत हो जाती है और 30 सितंबर तक यह पूरी तरह लौट जाता है। विभाग के अनुसार इस साल मानसून की सबसे अधिक विलंब से वापसी शुरु हुयी है।
कर्नाटक के 13 जिलों में बारिश और बाढ़ में 106 लोगों को जान गंवानी पड़ी, 14 लोग घायल हुए और छह लापता दर्ज किये गये। राज्य में 2.48 लाख लोगों को 3,233 राहत शिवरों में शरण लेनी पड़ी। बारिश और बाढ़ ने असम में 97 लोगों की जान ली। राज्य में बाढ़ से 32 जिले प्रभावित हुए।
मौसम विभाग के मुताबिक मॉनसून की चार माह लंबी अवधि के दौरान भारत में 1994 से सर्वाधिक बारिश दर्ज की गई। महाराष्ट्र में बाढ़ से 22 जिले प्रभावित हुए, 399 लोगों की मौतें हुई, 369 लोग घायल हुए और 7.19 लाख लोगों को 305 राहत शिविरों में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। बंगाल में बारिश और बाढ़ से 22 जिले प्रभावित हुए। राज्य में 227 लोगों को जान गंवानी पड़ी, 37 लोग घायल हुए, चार लोग लापता दर्ज किये गये और 43,433 लोगों ने 280 राहत शिविरों में शरण ली। बिहार में 166 लोगों को जान गंवानी पड़ी और 1.96 लाख लोगों ने 235 राहत शिविरों में शरण ली। बाढ़ से राज्य के 28 जिले प्रभावित हुए। मध्य प्रदेश में 182 लोगों की मौतें हुई। वहीं, केरल में भारी बारिश और बाढ़ ने 181 लोगों की जान ली और 72 लोग घायल हो गये। 13 जिलों में 15 लोग लापता दर्ज किये गये। करीब 4.46 लाख लोगों ने 2,227 राहत शिविरों में शरण ली। मॉनसून के दौरान गुजरात में 22 जिले प्रभावित हुए जहां 169 लोगों की मौतें हुई।
अधिकारियों के मुताबिक देश भर में 738 लोग घायल हुए और करीब 20,000 पशु भी मारे गये। भारी बारिश और बाढ़ से 1.09 लाख मकान पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गये, 2.05 लाख मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गये और 14.14 लाख हेक्टेयर खेतों में फसलें बर्बाद हो गई।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि इस साल मानसून की बारिश और इसके चलते आई बाढ़ से जुड़ी घटनाओं में 2,100 लोगों की मौतें हुई और 46 अन्य लापता दर्ज किए गए। वहीं, 22 राज्यों में 25 लाख से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हुए। महाराष्ट्र में सर्वाधिक लोगों की मौतें हुईं, जहां 399 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। इसके बाद पश्चिम बंगाल (227) का स्थान है।
देश के करीब 357 जिले बारिश, बाढ़ और भूस्खलन से प्रभावित हुए।