Justice DY Chandrachud: सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार (9 सितंबर 2022) को कहा कि कोर्ट अपनी अक्सर मामलों को स्थगित करने वाली इमेज को बदलने की कोशिश करेगा। उन्होंने एक मामले की सुनवाई को स्थगित करने से इनकार करते हुए कहा, “हम सुप्रीम कोर्ट की इस ‘तारीख पे तारीख’ वाली इमेज को बदलना चाहते हैं।”

जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि वकीलों द्वारा नियमित तौर पर स्थगन की मांग करने से सुप्रीम कोर्ट की प्रतिष्ठा धूमिल हुई है। उन्होंने कहा कि वह इस बात से चिंतित हैं और संस्था का लक्ष्य ‘तारीख पर तारीख’ वाली अदालत की छवि को बदलना है।

जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमा कोहली की बेंच से शुक्रवार को जब एक वकील ने कहा कि उन्होंने स्थगन (Adjournment) की मांग करते हुए एक पत्र भेजा है तो जस्टिस चंद्रचूड़ ने इस मामले पर किसी और दिन सुनवाई करने से इनकार कर दिया। उन्होंने वकील से कहा कि वह या तो बहस करें या पास ओवर लें, तैयारी करें और फिर मामले पर बहस करें।

संस्था की गरिमा बनाए रखने की जरूरत: जस्टिस ने कहा, “लोगों को मामलों पर बहस करनी पड़ेगी। यह देश का सर्वोच्च न्यायालय है। हमें संस्था की एक निश्चित गरिमा भी बनाए रखने की जरूरत है।” यह पहली बार नहीं है जब जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने स्थगन पर आपत्ति जताई है। हाल ही में जब उन्हें यह सूचित किया गया कि स्थगन के लिए एक पत्र परिचालित किया गया है तो उन्होंने इस पर चिंता जताई।

न्यायालय के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से बचते हैं: जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जब न्यायाधीशों ने अपना पूरा समय केस फाइलों को पढ़ने में लगा दिया, उसके बाद काउंसल आसानी से स्थगन की मांग करके न्यायालय के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से बचते हैं। जस्टिस ने कहा, “नहीं, ऐसे नहीं। हमने बैठ कर 61 मामले पढ़े। कल रात आखिरी बैच मेरे पास आया। मैं फाइलों को पढ़ने के लिए आज सुबह 3:30 बजे उठा। आप चाहें तो हम इसे पास ओवर कर सकते हैं।”

ऐसे ही एक मौके पर एक याचिकाकर्ता के वकील ने यह कहते हुए मामले को स्थगित करने का अनुरोध किया था कि मामले में पेश होने वाले सीनियर एडवोकेट किसी अन्य अदालत में हैं। जिस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने टिप्पणी की थी, “अब आप हमारे लिए सीनियर हैं। हम आपको दोपहर के लिए डेसिग्नेशन देते हैं। अगर आप बहस नहीं करते हैं तो हमने संविधान की शपथ ली है इसलिए हम आगे बढ़ेंगे और निर्णय पारित करेंगे।”