Maharashtra Three Language Policy: शिवसेना प्रमुख उद्धव बालासाहेब ठाकरे ने दावा किया है कि सरकार द्वारा हिंदी की अनिवार्यता खत्म किए जाने से एक बार फिर महाराष्ट्र के कोने-कोने में जय महाराष्ट्र का नारा गूंज उठा है। उन्होंने कहा कि हम उन पॉलिटिकल पार्टियों की सराहना करते हैं जो अलग-अलग रुख के बावजूद हमारे साथ में आए। अस्थायी तौर पर सरकार ने जीआर को रद्द कर दिया। अगर उन्होंने रद्द नहीं किया होता तो वे 5 जुलाई को विरोध प्रदर्शन देखते।
शिवसेना यूबीटी चीफ उद्धव ठाकरे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा, ‘एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजीत पवार की एनसीपी के कई नेता हमारे साथ शामिल होने जा रहे हैं। डॉ. नरेंद्र जाधव के नेतृत्व में एक नई समिति इस पर एक रिपोर्ट देगी। सरकार ने शिक्षा क्षेत्र के फैसले के लिए फाइनेंसियल एक्सपर्ट को नियुक्त किया है। हम 5 जुलाई को एक विजय रैली निकालेंगे। हमने मराठी नफरत करने वालों को मुक्का मारा है, यह एकता ऐसी ही बनी रहनी चाहिए।’
सरकार ने दवाब की वजह से अपना फैसला वापस ले लिया – दानवे
शिवसेना यूबीटी नेता अंबादास दानवे ने कहा, ‘जब मराठी लोग एकजुट हुए, तो उनके दबाव के कारण सरकार ने यह फैसला वापस ले लिया। ठाकरे बंधु भी इस मुद्दे पर एक साथ आए हैं, लेकिन मराठी लोगों की एकता के कारण सरकार को इसे वापस लेना पड़ा।’ एनसीपी (SCP) नेता जयंत पाटिल ने कहा, ‘महाराष्ट्र के लोग जानते हैं कि हिंदी एक वैकल्पिक भाषा है। लेकिन इसे अनिवार्य बनाने से महाराष्ट्र में काम नहीं चला। इसलिए सरकार को थर्ड लैंग्वेज पॉलिसी पर अपना जीआर वापस लेना पड़ा।’
CM फडणवीस ने वापस लिया थ्री-लैंग्वेज पॉलिसी का आदेश
एनसीपी-एससीपी नेता रोहित पवार ने कहा, ‘उन्हें (राज्य सरकार को) दिल्ली से जीआर लागू करने का आदेश मिला, इसलिए उन्होंने ऐसा किया। हमारा मानना है कि प्राइमरी एजुकेशन में मराठी भाषा पर ज्यादा फोकस किया जाना चाहिए। हम हिंदी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इसे जबरदस्ती थोपा गया। राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे ने इस कदम के खिलाफ 5 जुलाई को एक बड़ी रैली करने का फैसला किया। हमने इस रैली का समर्थन किया। इसे देखने के बाद, राज्य सरकार ने कल जीआर वापस लेने का फैसला किया। इन दोनों भाइयों (उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे) को 5 जुलाई को एक बड़ी रैली, एक विजय रैली आयोजित करनी चाहिए।’
संजय राउत ने क्या कहा?
शिवसेना यूबीटी के नेता संजय राउत ने प्रेस कॉन्फेंस में कहा, ‘झूठ बोलना बीजेपी की नेशनल पॉलिसी है। ये लोग महाराष्ट्र में इसी नीति के साथ काम कर रहे हैं। अगर उद्धव ठाकरे ने माशेलकर समिति पर एक रिपोर्ट पेश की थी, तो उसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए। एक समिति की रिपोर्ट जारी की गई है और कैबिनेट में रखी गई है। क्या इस पर चर्चा नहीं हो सकती? आपने कैबिनेट के साथ जबरदस्ती हिंदी पर चर्चा की – आपने ऐसा इसलिए किया क्योंकि यह एक नेशनल पॉलिसी है। यदि कोई नेशनल पॉलिसी राज्य के सामने आती है, तो उस पर चर्चा करना बहुत महत्वपूर्ण है। देवेंद्र फडणवीस तीन बार मुख्यमंत्री बन चुके हैं। क्या उन्हें इतना ज्ञान नहीं है।’ महाराष्ट्र सरकार के फैसले से संघीय मूल्यों का टकराव