Wayanad Landslides: केरल के वायनाड में पहाड़ी मेप्पाडी पंचायत में मंगलवार रात करीब 1 बजे लैंडस्लाइड की पहली घटना होने के बाद में नीतू जोजो को अपने घर में पानी घुसने का एहसास हुआ। फिर रात करीब डेढ़ बजे उन्होंने वायनाड इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज को इस बारे में जानकारी दी। इसके बाद में पहली बार बचाव टीम को मौके पर भेजा गया था।
हालांकि, रेस्क्यू ऑपरेशन वाली टीम को चूरलमाला गांव में उस इलाके में पहुंचने में काफी समय लग गया था। यह गांव सबसे ज्यादा बुरी तरह से प्रभावित हुआ था। सड़कें भी बुरी तरह से तबाह हो चुकी थीं। जब तक रेस्क्यू ऑपरेशन की टीम वहां पर पहुंची तब तक अगले लैंडस्लाइड ने उस जगह पर भीषण तबाही मचा दी थी। शनिवार को नीतू के शव को दफना दिया गया।
नीतू वीम्स में एक एग्जिक्यूटिव के तौर पर काम करती थी। इस इंस्टीट्यूट ने चार लोगों को इस त्रासदी में खो दिया है। नीतू ने इंस्टीट्यूट में कॉल करके कहा था कि हम खतरे में हैं। चूरलमाला में लैंडस्लाइड हुई है। घर के अंदर पानी भर गया है। कोई आकर हमें बचा ले। इसके बाद इंस्टीट्यूट ने तुरंत फायर ब्रिगेड और दूसरी रेस्क्यू ऑपरेशन टीम को इसकी जानकारी दी और जल्द ही एक टीम को चूरलमाला में भेजा गया था। जैसे-जैसे पानी और घरों के अंदर आने लगा, वैसे-वैसे रेस्क्यू ऑपरेशन करने वाली टीम को और भी ज्यादा फोन कॉल आने लगे थे।
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रेस्क्यू ऑपरेशन टीम पहले से ही रास्ते में थी। उसको भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। ऐसा इसलिए था क्योंकि प्रभावित इलाकों में जाने से पहले उसे सड़कों पर उखड़े हुए पेड़ो, टहनियों और मलबे को हटाना पड़ रहा था।
नीतू की नहीं बच सकी जान
इस बीच, नीतू के घर पर उनके पति और पांच साल का बेटा और उनके माता-पिता भी रहते थे। पड़ोस के बाकी लोग भी वहां पर इकट्ठा हो गए थे। उन सभी लोगों को डर लग रहा था कि वह अपने घरों में सुरक्षित नहीं है। बचाव दल के अभी तक नहीं पहुंचने और अंदर और भी ज्यादा गंदा पानी बहने की वजह से नीतू ने मदद के लिए और भी ज्यादा बेचैन होकर आवाज लगाई।
इसी समय में जोजो परिवार और उनके पड़ोसियों को पहाड़ी पर सही जगह पर ले जाने की प्लानिंग कर रहा था। फिर सुबह 4 बजे के करीब दूसरा और ज्यादा तेज भूस्खलन हुआ। पानी के तेज बहाव के साथ बड़े-बड़े पत्थर भी आए। इसकी वजह से गांव में तबाही मच गई और इसी में नीतू के घर का एक हिस्सा भी बह गया था। जोजो परिवार और गांव के कुछ दूसरे लोगों को इकट्ठा करके पहाड़ी पर चढ़ने में कामयाब हो गया, लेकिन नीतू कहीं पर भी नहीं मिली।
पहले कॉल की वजह से मिली काफी मदद
शनिवार को ही उसके शव को मिट्टी और मलबे से निकाला गया। उसके पहले कॉल ने ही रेस्क्यू ऑपरेशन की टीम को सतर्क कर दिया और उन्हें इसी वजह से गांव में पहुंचने में मदद की। WIMS में कर्मचारियों ने अपने चार साथियों को खोकर दुख जताया। नीतू के अलावा, अस्पताल ने नर्सिंग स्टाफ शफीना एएम और दिव्या एस के साथ-साथ इंजीनियरिंग विंग के कर्मचारी बिजेश आर की भी जान चली गई।
एक कर्मचारी ने कहा कि हम नीतू की मदद के लिए की गई पुकार को आज भी नहीं भूल सकते। भूस्खलन के दिन को याद करते हुए उन्होंने कहा कि यह हमारे कर्मचारियों के लिए एक मुश्किल घड़ी है। पहले दिन हमने सोचा कि भूस्खलन में फंसे कर्मचारी घायल होने के बावजूद बच सकते हैं। लेकिन उनमें से सभी बच नहीं पाए। वे अस्पताल में जाने-पहचाने चेहरे थे।