जलस्तर बढ़ने से जम्मू की तवी नदी में दो घंटे तक फंसे चार मछुआरों को वायुसेना के गरुड़ कमांडो ने साहसिक अभियान में बचा लिया। गरुड़ कमांडो के इस अभियान में हेलिकॉप्टर एमआइ 17 से फंसे मछुआरों को एअरलिफ्ट किया गया। अचानक हुई भारी बारिश के कारण नदी का जलस्तर बढ़ गया। फंसे लोगों में से दो को एक बार में एअरलिफ्ट किया गया। सुरक्षित बचाकर लाए गए मछुआरे बिहार के सीवान से थे। उन्होंने वायुसेना के कमांडो को धन्यवाद दिया। वायुसेना के अधिकारियों ने बताया कि सभी चार लोग बागवती नगर में एक झील बनाने के लिए एक निर्माणाधीन संरचना के एक खंभे के नीचे बने एक ठोस प्लेटफार्म पर फंसे हुए थे। आपदा मोचन बल और पुलिस के जवान मछुआरों तक पहुचने में विफल रहे थे। इसके बाद वायुसेना को बुलाया गया। वायुसेना कर्मी प्लेटफार्म पर उतरे और रस्सियों की सीढ़ी के सहारे उन लोगों को एअरलिफ्ट किया गया।

इस साहसिक बचाव अभियान का जिम्मा वायुसेना के चार कमांडो को सौंपा गया था। ग्रुप कैप्टन संदीप सिंह मिशन की अगुआई कर रहे थे। वायुसेना ने इस अभियान का वीडियो जारी किया। ग्रुप कैप्टन संदीप सिंह ने बताया, ‘मैं अपनी पूरी टीम को इस रेस्क्यू ऑपरेशन को सफल बनाने के लिए धन्यवाद कहूंगा। हमें दोपहर 12 बजे के करीब जानकारी मिली कि तवी नदी में जलस्तर बढ़ने से कुछ लोग फंस गए थे।

जब हम वहां पहुंचे तो हमने पाया कि फंसे हुए लोग सीढ़ी की सहायता से चढ़कर आने में सक्षम नहीं हैं। ऐसे में हमने गरुड़ कमांडो की मदद ली, जिन्हें रैपलिंग रोप (रैपलिंग रस्सी) की सहायता से नीचे भेजा गया और फंसे हुए लोगों को सुरक्षित हेलिकॉप्टर तक लाया गया। गरुड़ कमांडो बेस्ट ट्रेंड कमांडो होते हैं।’ संदीप ने कहा, ‘यह पूरी तरह डेयरडेविल आॅपरेशन था। हमारा मिशन उन बाकी पेज 8 पर जिंदगियों को बचाना था। मेरी पूरी टीम इसे सफल बनाने में भागीदार है। विंग कमांडर खरे हेलिकॉप्टर उड़ा रहे थे, जबकि गरुड़ कमांडो खारवाड़ ने लोगों को रेस्क्यू किया।


यह हमारी ड्यूटी होती है कि हमें अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों को बचाना होता है।’ मछुआरों को रस्सियों से बांधकर सुरक्षित बचाने वाले गरुड़ कमांडो खारवाड़ ने बताया, ‘मेरी प्राथमिकता उन्हें बचाना था। पायलट को शुक्रिया, उनके समर्पण के बिना यह असंभव था। यह अभियान दिखने में मुश्किल था, लेकिन उतना नहीं क्योंकि मेरी पूरी टीम पायलट समेत सबने मेरा साथ दिया।’ खारवाड़ ने कहा, ‘मुझे अपनी कोई चिंता नहीं थी। मैं पूरी तरह अपने कैप्टन और पायलट पर निर्भर था। हमारे लिए सबसे पहले फंसे हुए लोग हैं। उन्हीं की मदद के लिए हमें रखा गया है।’

‘जब हम वहां पहुंचे तो हमने पाया कि फंसे हुए लोग सीढ़ी की सहायता से चढ़कर आने में सक्षम नहीं हैं। ऐसे में हमने गरुड़ कमांडो की मदद ली, जिन्हें रैपलिंग रोप (रैपलिंग रस्सी) की सहायता से नीचे भेजा गया और फंसे हुए लोगों को सुरक्षित हेलिकॉप्टर तक लाया गया। गरुड़ कमांडो सबसे प्रशिक्षित कमांडो होते हैं।’
– ग्रुप कैप्टन संदीप सिंह, बचाव अभियान का नेतृत्व करने वाले वायुसेना के अधिकारी