सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को वक्फ संशोधन कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने मामले को सुना। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वक्फ, अपने स्वभाव से ही एक सेक्युलर अवधारणा है। उन्होंने कहा कि यह कानून मुसलमानों की किसी भी जरूरी धार्मिक प्रथा को नहीं छूता है। तुषार मेहता ने कोर्ट को सौंपे गए 145 पन्नों के नोट में कहा कि यह ध्यान चाहिए कि वक्फ अपने स्वभाव से ही एक सेक्युलर क्योंकि वक्फ का मतलब केवल संपत्ति का समर्पण है।

सीजेआई गवई ने क्या कहा?

सीजेआई गवई ने कहा, “हरेक क़ानून के पक्ष में संवैधानिकता की धारणा होती है। अंतरिम राहत के लिए आपको एक बहुत मजबूत और स्पष्ट मामला बनाना होगा। अन्यथा, संवैधानिकता की धारणा बनी रहेगी।”

तुषार मेहता ने दिया नोट

तुषार मेहता के नोट में कहा गया है, “सभी धर्मों में दान या धार्मिक रूप से संपत्ति समर्पित करने के एलिमेंट्स समान हैं और माननीय न्यायालय ने इसे पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष अभ्यास माना है। वक्फ अधिनियम का मूल उद्देश्य कुछ कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को लागू करते हुए समर्पण को वैधानिक वैलिडिटी प्रदान करना है। संसद के लिए हमेशा वैधानिक ढांचे को बदलने का विकल्प खुला है।”

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तुषार मेहता ने जॉन वल्लमट्टम बनाम यूनियन ऑफ इंडिया में 2003 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया। इसमें एक ईसाई पादरी ने भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम के उन हिस्सों को चुनौती दी थी, जो धार्मिक या धर्मार्थ उपयोग के लिए संपत्ति वसीयत करते समय ईसाइयों पर कुछ शर्तें लगाते हैं।

मेहता के नोट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि वक्फ बाय यूजर की अवधारणा को मान्यता न देना नेचुरल होगा। संशोधित प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी वक्फ, जो संबंधित अधिकारियों के समक्ष रजिस्टर्ड था, वह संरक्षित रहेगा।

सरकार ने रखा पक्ष

सरकार ने तर्क दिया है कि मुसलमान वक्फ अधिनियम, 1923 और इस मुद्दे पर हर कानून ने वक्फ बाय यूजर के रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य किया और 2025 का कानून केवल ऐसे किसी भी वक्फ को मान्यता न देने का प्रावधान करता है जो रजिस्टर्ड नहीं है। हालांकि याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि 1923 के अधिनियम या उसके बाद के कानूनों में रजिस्ट्रेशन न करने पर कोई परिणाम नहीं था, यही वजह है कि कई वक्फ बाय यूजर संपत्तियां रजिस्टर्ड नहीं हो पाई। पढ़ें स्वामी अविभमुक्तेश्वरानंद ने क्यों कहा वक्फ बोर्ड को तुरंत भंग करे सरकार