वक्फ संशोधन बिल 2025 लोकसभा से पास हो गया है। करीब 12 घंटे तक लोकसभा में इसपर चर्चा हुई। उसके बाद सरकार के पक्ष में 288 सांसदों ने वोटिंग की। अब इस बिल को राज्यसभा में पेश किया गया है, जिस पर वोटिंग होनी है। बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि आखिर में इस बिल में मुख्य चीज क्या है, जो आम जनता के लिए जानना जरूरी है। ऐसा नहीं है कि अब वक्फ के तहत संपत्तियों को दान नहीं किया जा सकता, बल्कि अब सख्त नियमों और शर्तों के साथ दान किया जा सकेगा।

वक्फ करने से पहले महिलाओं को उनका हिस्सा देना पड़ेगा

वक्फ संशोधन विधेयक में एक नया कानून है कि अगर कोई मुसलमान अपनी संपत्ति को दान देना चाहता है, तो इसकी घोषणा से पहले उसे महिलाओं को उनका हिस्सा देना पड़ेगा। इसमें तलाकशुदा महिलाओं और अनाथों के लिए खास प्रावधान किया गया है। यानी व्यक्ति केवल अपनी ही हिस्से की संपत्ति को वक्फ में दान दे सकता है।

संपत्ति दान करने के लिए रखी गई शर्त

वक्फ बिल के अनुसार अब मुसलमान को संपत्ति दान के लिए शर्ते पूरी करनी पड़ेगी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि वक्फ का अर्थ है, किसी भी संपत्ति को इस्लाम की भलाई के लिए अल्लाह के नाम पर दान करना। दान केवल अपनी ही संपत्ति का किया जा सकता है, किसी और का नहीं। नए प्रावधान के तहत कोई भी मुसलमान जो कम से कम 5 साल से इस्लाम को मान रहा हो और संपत्ति का कानूनी मालिक भी वही हो, उसे ही दान कर सकेगा। 2013 के वक्फ संशोधन में इस प्रावधान को खत्म कर दिया गया था, लेकिन अब सरकार इसे फिर से लेकर आई है।

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आदिवासियों की जमीन को घोषित नहीं किया जा सकेगा वक्फ

वक्फ संशोधन विधेयक के अनुसार अब आदिवासियों की जमीन को वक्फ घोषित नहीं किया जा सकेगा। बता दें कि हमारे देश में आदिवासी समुदायों की जमीन को संविधान की पांचवी और छठी अनुसूची के तहत संरक्षित किया गया है। यदि कोई जमीन आदिवासी समुदाय की है तो नए प्रावधान के अनुसार जमीन को वक्फ बोर्ड अपने कब्जे में नहीं ले सकेगा।

ASI की जमीनों को नहीं कर सकेंगे वक्फ

वक्फ बिल 2025 के तहत यदि कोई भी घोषणा संपत्ति दान करने की की जाती है और वह प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम, 1904 और प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम 1958 के अंतर्गत आता है, तो वह अमान्य होगी। दरअसल ASI संरक्षित जमीनों को वक्फ नहीं किया जा सकता है। यानी ASI द्वारा संरक्षित जमीनों को वक्फ के दायरे से बाहर कर दिया गया है।

कलेक्टर को बड़े पैमाने पर मिला अधिकार

वक्फ संशोधन विधेयक में कलेक्टर को बड़े पैमाने पर अधिकार दिया गया है। वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और विवादों के निपटारे का अधिकार भी कलेक्टर को ही दिया गया है। पुराने वक्फ अधिनियम 1995 में जिला कलेक्टर की कोई भूमिका नहीं थी, क्योंकि बोर्ड खुद ही संपत्ति की जांच करता था अपने फैसले लागू करता था। यानी अब कलेक्टर संपत्ति की पहचान करेंगे और विवादों का निपटारा करेंगे।

वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम की होगी नियुक्ति

नए वक्फ संशोधन विधेयक में सेंट्रल वक्फ काउंसिल और स्टेट वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम समुदायों की भी एंट्री होगी। लोकसभा में बिल को पेश करते हुए किरेन रिजिजू ने कहा कि केंद्रीय वक्फ बोर्ड में अधिकतम चार गैर मुस्लिम रह सकते हैं।