मध्य प्रदेश के करोड़ों रुपए के बहुचर्चित व्यापमं घोटाले के दो आरोपियों की पिछले 24 घंटों में ग्वालियर और इंदौर में मौत हो गई। इसमें इंदौर के आरोपी की मौत संदिग्ध है। इस फर्जीवाड़े के 23 आरोपियों की अब तक असामयिक मौत हो चुकी है।

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक वीरेंद्र जैन ने रविवार को बताया कि न्यायालय से जमानत पर रिहा हुए आरोपी 40 साल के डॉक्टर राजेंद्र आर्य की रविवार सुबह ग्वालियर के बिड़ला अस्पताल में मौत हो गई। उन्होंने आर्य के परिजन के हवाले से बताया कि मृतक की मौत बीमारी के कारण हुई है। आरोपी गत एक वर्ष से जमानत पर था। उस पर 2007 और 2008 में पीएमटी प्रवेश परीक्षा में दो विद्यार्थियों को फर्जीवाड़े के जरिए मेडिकल कॉलेज में प्रवेश दिलाने का आरोप था।

जैन ने बताया कि आर्य सागर जिले का रहने वाला था और एमबीबीएस डॉक्टर था। वह ग्वालियर और चम्बल इलाके में काम करता था। उसके परिजनों ने बताया कि वह कोटा गया था, वहां से वापस आने पर उसकी तबीयत खराब हो गई।

व्यापमं फर्जीवाड़े के एक अन्य आरोपी 29 साल के नरेंद्र सिंह तोमर की संदिग्ध स्थिति में इंदौर की जेल में शनिवार रात मौत हो गई। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि तोमर को सीने में दर्द की शिकायत के बाद इंदौर के महाराजा यशवंतराव अस्पताल (एमवायएच) लाया गया जहां डाक्टरों ने उसे मृत लाया गया घोषित कर दिया। इंदौर के नगर पुलिस अधीक्षक अजय जैन ने कहा कि तोमर की मौत की मजिस्ट्रीयल जांच की जा रही है।

जैन ने कहा कि तोमर को व्यापमं घोटाले के तहत गिरफ्तार किया गया, तब वह सहायक पशु चिकित्सा अधिकारी के रूप में प्रदेश के रायसेन जिले में पदस्थ था। वह मूल रूप से मुरैना जिले का निवासी था। वह 2009 में आयोजित प्री मेडिकल टेस्ट (पीएमटी) में फर्जीवाड़े का आरोपी था। वह असल में विद्यार्थियों के स्थान पर फर्जी परीक्षार्थियों से परीक्षा दिलवाकर फर्जीवाड़े को अंजाम देने वाले गिरोह का सदस्य था। वह जेल में 24 फरवरी से बंद था।

नरेंद्र के भाई विक्रम सिंह ने ‘इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा, ‘वह सामान्य था और किसी तरह की परेशानी की शिकायत नहीं की थी।’ विक्रम ने अपने भाई की मौत की सीबीआइ जांच की मांग की। वहीं जिला जेल के अधीक्षक आरसी भाटी ने कहा, ‘तोमर ने रात सवा ग्यारह बजे सीने में दर्द की शिकायत की। जेल के मेडिकल स्टाफ ने जांच के बाद उसे एमवाय अस्पताल ले जाने की सलाह दी।’

उन्होंने कहा, ‘हमारे पास वीडियो फुटेज है, जिसमें वह जेल से बाहर जाते समय सामान्य दिख रहा है। उसे अस्पताल में दिल के दो दौरे पड़े थे।’ उन्होंने इस बात का भी दावा किया कि तोमर के शरीर पर कोई घाव नहीं था। जेल के अधिकारियों ने कहा कि अस्पताल के जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से भी तोमर के इलाज में देरी हुई होगी।

व्यापमं फर्जीवाड़े में कई आरोपियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हुए हैं। इनमें से तोमर सहित अब तक 24 आरोपियों की संदिग्ध रूप से मौत हो चुकी है। व्यापमं घोटाले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआइटी) ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट को दो दिन पहले ही में इस घोटाले के अस्वाभाविक मौत के 23 आरोपियों की सूची दी है, जबकि कुछ खबरों में इस घोटाले के 40 आरोपियों की मौत होने का दावा किया गया है।

इसमें सबसे चर्चित आरोपी मध्य प्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव के बेटे शैलेष यादव (50) थे, जिनकी गत 25 मार्च को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अपने पिता के माल एवन्यू इलाके में स्थित घर पर अस्वाभाविक मौत हो गई थी। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रामनरेश यादव को भी व्यापमं घोटाले में आरोपी बनाया गया था। लेकिन बाद में उन्हें न्यायालय से इस मामले में राहत दी गई।

व्यापमं घोटाले में वर्ग तीन के शिक्षकों के पद हेतु 10 उम्मीदवारों की कथित तौर पर भर्ती के मामले में शैलेष का नाम आया था। व्यापमं में अवैध तरीके से वन रक्षकों की भर्ती में कथित तौर पर शामिल होने के आरोप में एसआइटी ने 88 साल के रामनरेश यादव के खिलाफ एफआइआर दर्ज की थी। हालांकि हाई कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था।

करोड़ों रुपए के व्यापमं घोटाले के जरिए मध्य प्रदेश में मेडिकल पाठ्यक्रमों में दाखिले और सरकारी भर्तियां कराई गईं। इसमें अनेक राजनेता, उच्च अधिकारी और बिचौलियों की भूमिका थी। इस मामले में प्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा, व्यापमं के उच्च अधिकारी, बिचौलियों सहित असल विद्यार्थियों के स्थान पर फर्जी परीक्षा देने वाले कई लोग जेलों में बंद हैं।

विपक्षी दल कांग्रेस ने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर भी इस घोटाले में शामिल होने के आरोप लगाए थे।

(एजंसी)