सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मध्यप्रदेश में हुए प्रवेश एवं भर्ती घोटाले की सीबीआइ जांच का आदेश दे दिया। उधर इस मामले में एक और गवाह की मौत होने की खबर है। व्यापमं घोटाले के सभी मामलों और इससे कथित तौर पर जुड़े लोगों की मौत की घटनाओं की सीबीआइ जांच का आदेश देने के साथ-साथ अदालत ने केंद्र और राज्य सरकार को उस अपील पर नोटिस भी जारी किए जिसमें राज्यपाल रामनरेश यादव को घोटाले में उनकी कथित संलिप्तता के चलते पद से हटाने की मांग की गई है।
अदालत ने इस मामले में राज्यपाल राम नरेश यादव को भी नोटिस जारी किया है। कांग्रेस ने बुधवार को दावा किया था कि अब तक इस घोटाले से जुड़े 49 लोगों की मौत हो चुकी है। राज्य सरकार ने व्यापं संबंधी मामलों की जांच विशेष जांच दल और विशेष कार्यबल से सीबीआइ को स्थानांतरित करने के लिए अपनी सहमति दे दी थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया। प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाले पीठ ने स्पष्ट किया कि सभी मामले सोमवार से सीबीआइ को स्थानांतरित कर दिए जाएंगे और एजंसी अपनी रिपोर्ट 24 जुलाई को उसके समक्ष दाखिल करेगी।
सीबीआइ को जांच का जिम्मा सौंपने से पहले सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी के वक्तव्य को रिकार्ड में दर्ज किया। रोहतगी ने मध्यप्रदेश सरकार की तरफ से कहा कि राज्य को व्यापमं घोटाले से जुड़े मामलों और इस घोटाले से कथित तौर पर संबद्ध लोगों की मौतों की घटनाओं की जांच, स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से कराने के लिए सीबीआइ को स्थानांतरित करने में कोई आपत्ति नहीं है।
अटॉर्नी जनरल ने निर्देश पर कहा है कि व्यापमं घोटाले से संबंधित आपराधिक मामलों व घोटाले से कथित तौर पर संबद्ध लोगों की मौत संबंधी मामलों की स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से पड़ताल करने के लिए सीबीआइ को जांच स्थानांतरित करने में मध्य प्रदेश सरकार को कोई आपत्ति नहीं है। इस पीठ में प्रधान न्यायाधीश के साथ न्यायमूर्ति अरुण मिश्र और न्यायमूर्ति अमिताव राय भी शामिल हैं।
पीठ ने कहा- हम अटार्नी जनरल के रुख की सराहना करते हैं। उपरोक्त के मद्देनजर हम व्यापमं घोटाले से संबंधित आपराधिक मामलों व घोटाले से कथित तौर पर संबद्ध लोगों की मौत संबंधी मामलों की जांच सीबीआइ को स्थानांतरित करते हैं। अदालत कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह सहित कई लोगों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। इन याचिकाओं में व्यापं घोटाले से संबंद्ध सभी मामलों की सीबीआइ से जांच कराने की मांग की गई है।
व्यापमं घोटाले की केंद्रीय एजंसी से जांच कराने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के साथ ही भोपाल से मिली खबरों में कहा गया कि एक विशेष अदालत को इस घोटाले के एक अन्य गवाह की मौत होने के बारे में सूचित किया गया है। इस घोटाले की जांच कर रहे मध्यप्रदेश पुलिस के विशेष कार्य बल ने अदालत को बताया कि करीब 35 वर्षीय संजय सिंह यादव की आठ फरवरी को भोपाल के एक निजी अस्पताल में बीमारी की वजह से मौत हो गई। उसके परिवार वालों का कहना है कि संजय हेपेटाइटिस-बी से पीड़ित था।
राज्यपाल रामनरेश यादव से जुड़े मामले पर अदालत ने कहा कि वह केवल नोटिस जारी कर रही है जिसका जवाब चार हफ्ते में देना होगा। पीठ ने उस समय राज्यपाल पर कोई टिप्पणी नहीं की जब सिब्बल ने कहा कि यादव को पद की गरिमा बनाए रखने के लिए हट जाना चाहिए। पीठ ने कहा हम इस पर कुछ भी नहीं कह रहे हैं। विशेष कार्य बल ने मध्यप्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) द्वारा संचालित परीक्षा में बैठने वाले कुछ प्रतिभागियों का पक्ष लेने के आरोप में यादव के खिलाफ एक मामला दर्ज किया था। कांग्रेस के पूर्व सदस्य यादव को पूर्ववती यूपीए सरकार ने इस पद पर नियुक्त किया था। बहरहाल हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज मामला यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि पद पर रहते हुए उन्हें अभियोजन से छूट हासिल है।
राज्यपाल राम नरेश यादव का पुत्र शैलेश इस घोटाले से जुड़े रसूखदार लोगों में से एक था। शैलेश का शव इस साल मार्च में उसके पिता के लखनऊ स्थित आवास में मिला था। शैलेश ने व्यापमं परीक्षा में कुछ प्रतिभागियों के पक्ष में धांधली करने के लिए कथित तौर पर रिश्वत ली थी। सिंह की ओर से पेश हुए सिब्बल ने जैसे ही कहा कि यह ऐसा मामला है जिसमें मध्यप्रदेश की जानी-मानी हस्तियां लिप्त हैं तो अटॉर्नी जनरल ने कहा कि राज्य पहले ही हाईकोर्ट से सीबीआइ जांच के लिए आग्रह कर चुका है और इस पर 20 जुलाई को सुनवाई होगी।
मध्यप्रदेश सरकार के रुख के बारे में रोहतगी की दलील पर पीठ ने त्वरित प्रतिक्रिया दी कि हाईकोर्ट अपना पल्ला झाड़ना चाहता है। पीठ ने कहा कि सीबीआइ जांच के बारे में, यह करने की बजाय, वे अब कह रहे हैं कि गेंद सुप्रीम कोर्ट के पाले में है। व्यापमं घोटाले के सिलसिले में विपक्ष के निशाने पर आए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हुए कहा मैं दिल से इसका स्वागत करता हूं। मेरे दिल पर एक बोझ था।
करोड़ों के व्यावसायिक परीक्षा घोटाले में कई जाने-माने पेशेवर, राजनीतिज्ञ और नौकरशाह बतौर आरोपी शामिल हैं। यह कथित घोटाला मध्यप्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल से संबंधित है। जिसके तहत शिक्षक, चिकित्सा अधिकारी, सिपाही और वन रक्षक जैसे विभिन्न पदों के लिए परीक्षाएं ली जाती हैं।