गैर सरकारी संगठन ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने शनिवार को आरोप लगाया कि मध्य प्रदेश सरकार ने व्यापमं और डी..मैट घोटाले के मामलों की सीबीआइ जांच से बचने के लिए अपने ही विधि विभाग के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए अदालती प्रकरणों में वरिष्ठ वकीलोें की सेवाएं लीं और सरकारी खजाने से उन्हें करीब सवा करोड़ रुपए का भुगतान किया।
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के बोर्ड सदस्य अजय दुबे ने शनिवार को यहां संवाददाताओं को बताया कि व्यापमं और डीमैट घोटाले की सीबीआइ जांच की गुहार के साथ सुप्रीम कोर्ट और मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में दायर याचिकाओं पर प्रदेश सरकार ने अदालत में अपना पक्ष रखने के लिए कई वरिष्ठ वकीलों की सेवाएं ली ताकि वह इस घोटाले की सीबीआइ जांच से बच सके।
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार ने इन वरिष्ठ वकीलों को पैरवी के लिए नियुक्त करते वक्त तय प्रक्रिया का पालन नहीं किया। इन वकीलों को 2013 से 2015 के बीच सरकारी खजाने से कथित तौर पर लगभग सवा करोड़ रुपए का भुगतान किया गया।
विसलब्लोअर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में प्रदेश सरकार के स्थायी वकील पहले ही मौजूद हैं। ऐसे में इनकी जगह वरिष्ठ वकीलों की सेवाएं लेकर उन्हें मोटा भुगतान करना करदाताओं के धन की बर्बादी है। दुबे ने कहा कि विधि विभाग के दिशानिर्देशों के मुताबिक प्रदेश सरकार किसी मामले में अपने स्थायी वकील की जगह किसी वरिष्ठ वकील को अपनी पैरवी के लिए तभी नियुक्त कर सकती है जब इस मामले में पैरवी के लिए प्रदेश सरकार के स्थायी वकील या विधि अधिकारी ने असमर्थता जता दी हो।
उन्होंने आरोप लगाया कि व्यापमं और डी..मैट घोटालों से जुड़े अदालती मामलों में पैरवी के लिए प्रदेश सरकार के स्थायी अधिवक्ताओं की जगह वरिष्ठ वकीलों की नियुक्ति करते वक्त इस शर्त का उल्लंघन किया गया।
दुबे ने कहा कि वरिष्ठ वकीलों की नियुक्ति के मामले में प्रदेश के विधि विभाग की भूमिका भी संदिग्ध है और वे प्रधानमंत्री कार्यालय और केंद्रीय कानून मंत्रालय को इसकी शिकायत करेंगे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआइ व्यापमं घोटाले की जांच कर रही है।