उच्चतम न्यायालय ने आज व्यापमं घोटाला मामलों और इससे जुड़ी सभी कथित मौतों की जांच सीबीआई से कराने का आदेश दिया और केंद्र, मध्यप्रदेश सरकार तथा राज्यपाल को उस अपील पर नोटिस भी जारी किया जिसमें इस घोटाले में कथित संलिप्तता का आरोप लगाते हुए राज्यपाल को पद से हटाने की मांग की गई है।
राज्य सरकार ने व्यापमं संबंधी मामलों की जांच विशेष जांच दल और विशेष कार्यबल से सीबीआई को स्थानांतरित करने के लिए अपनी सहमति दे दी थी। इसके बाद उच्चतम न्यायालय ने यह व्यवस्था दी।
न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकार को उस अपील पर नोटिस जारी कर उनका जवाब तलब किया है जिस अपील में मध्य प्रदेश के राज्यपाल राम नरेश यादव को घोटाले में कथित संलिप्तता का आरोप लगाते हुए हटाने की मांग की गई है। शीर्षस्थ अदालत ने राज्यपाल को भी नोटिस जारी किया है।
प्रधान न्यायमूर्ति एच एल दत्तू की अगुवाई वाली पीठ ने स्पष्ट किया कि सभी मामले सोमवार से सीबीआई को स्थानांतरित कर दिए जाएंगे और एजेंसी अपनी रिपोर्ट 24 जुलाई को उसके समक्ष दाखिल करेगी।
सीबीआई को जांच का जिम्मा सौंपने से पहले उच्चतम न्यायालय ने अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी की बातों को दर्ज किया जिन्होंने मध्यप्रदेश सरकार की तरफ से कहा कि राज्य को व्यापमं घोटाले से जुड़े मामलों और इस घोटाले से कथित तौर पर संबद्ध लोगों की मौतों के मामलों की जांच, स्वतंत्र एवं निष्पक्ष तरीके से कराने के लिए सीबीआई को स्थानांतरित करने में कोई आपत्ति नहीं है।
पीठ ने कहा ‘‘अटॉर्नी जनरल (एजी) ने निर्देश पर कहा कि मध्यप्रदेश सरकार को व्यापमं घोटाले से संबंधित आपराधिक मामलों तथा घोटाले से कथित तौर पर संबद्ध लोगों की मौत संबंधी मामलों की स्वतंत्र एवं निष्पक्ष तरीके से पड़ताल करने के लिए सीबीआई को जांच स्थानांतरित में कोई आपत्ति नहीं है।’’
न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति अमित्व राय की पीठ ने कहा ‘‘हम एजी के रूख की सराहना करते हैं। उपरोक्त के मद्देनजर हम व्यापमं घोटाले से संबंधित आपराधिक मामलों तथा घोटाले से कथित तौर पर संबद्ध लोगों की मौत संबंधी मामलों की जांच सीबीआई को स्थानांतरित करते हैं।’’
जब वरिष्ठ अधिवक्ता, कपिल सिब्बल, अभिषेक सिंघवी और विवेक तंका मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में अपनायी गयी कार्यवाही की आलोचना कर रहे थे तब पीठ ने यह कहते हुए उन्हें रोका कि उच्चतम न्यायालय एक आदेश पारित कर रहा है और ऐसे में उच्च न्यायालय कैसे कार्यवाही आगे बढ़ा सकता है।
पीठ ने कहा ‘‘एक बार सीबीआई जब सामने आ गई तब उच्च न्यायालय कैसे कार्यवाही को आगे बढ़ा सकता है। स्पष्ट रूप से नहीं….।’’
राज्यपाल से जुड़े मामले पर पीठ ने कहा कि वह केवल नोटिस जारी कर रही है जिसका जवाब चार सप्ताह में देना होगा।
पीठ ने उस समय राज्यपाल पर कोई टिप्पणी नहीं की जब सिब्बल ने कहा कि यादव को पद की गरिमा बनाए रखने के लिए हट जाना चाहिए।
पीठ ने कहा ‘‘हम इस पर कुछ भी कहने नहीं जा रहे हैं।’’
उच्चतम न्यायालय उन कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था जिनमें से एक याचिका कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भी दाखिल की है। इन याचिकाओं में व्यापमं घोटाले से संबंद्ध सभी मामलों की सीबीआई से जांच कराने की मांग की गई है।