मध्य प्रदेश के बहुचर्चित व्यापमं मामले में फर्जी परीक्षार्थियों की जांच कर रहे जबलपुर स्थित मेडिकल कॉलेज के डीन आज दिल्ली के द्वारका इलाके के एक होटल में रहस्यमयी हालात में मृत पाए गए। इस घटना से मामला और भी संदिग्ध हो गया है।
जबलपुर स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के डीन डॉक्टर अरुण शर्मा की मौत से एक दिन पहले ही दिल्ली आधारित एक समाचार चैनल के खोजी पत्रकार उस पत्रकार की भी रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत हो गई थी जो उस लड़की के माता-पिता का साक्षात्कार करने गया था जिसका शव व्यापक घोटाले में उसका नाम आने के बाद बरामद किया गया था।
पुलिस के अनुसार शर्मा सुबह होटल के अपने कमरे में मृत पाए गए। कई बार खटखटाने पर जब दरवाजा नहीं खुला तो होटल कर्मचारियों ने डुप्लीकेट चाबी से दरवाजा खोल और इसके बाद उनका शव बरामद किया गया।
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एक परिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि कमरे में शराब की लगभग एक खाली बोतल बरामद की गई। शर्मा ने उल्टी की थी और ऐसे संकेत मिले हैं कि उन्होंने बहुत अधिक शराब पी थी। मौके से फोरेंसिक सबूत एकत्र कर लिए गए हैं और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।
व्यापमं घोटाले से शर्मा के कथित संबंध के बारे में पूछे जाने पर संयुक्त पुलिस आयुक्त (दक्षिण-पश्चिम) दीपेंद्र पाठक ने कहा कि पुलिस अपनी जांच में सभी पहलुओं को शामिल कर रही है।
उल्लेखनीय है कि शर्मा बीते एक साल में रहस्यमयी हालत में मरने वाले मेडिकल कॉलेज के दूसरे डीन हैं। मेडिकल कॉलेज के एक और डीन डॉक्टर डीके सकाले का जला हुआ शव पिछले साल उनके घर से बरामद किया गया था। वह मेडिकल कॉलेज में फर्जी दाखिलों की जांच कर रहे थे।
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भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) के जबलपुर जिले के अध्यक्ष सुधीर तिवारी ने कहा, ‘‘डॉक्टर शर्मा दिल्ली में अपने होटल के कमरे में मृत पाए गए। हम उनकी मौत से सकते में है। वह डॉक्टर सकाले के बहुत करीब थे।’’
तिवारी ने दावा किया कि शर्मा शकाले की शोकसभा में रो पड़े थे और दावा किया था कि सकाले खुदकुशी नहीं कर सकते। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे संदेह है कि शर्मा की भी हत्या की गई होगी।’’
तिवारी ने कहा कि उन्हें दो दिन पहले पता चला था कि डीन ने व्यापमं से संबंधित रिपोर्ट मामले की जांच कर रही एसटीएफ को सौंप दी। कल एक समाचार चैनल के खोजी पत्रकार अक्षय सिंह की कल मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में मौत हो गई थी। वह नम्रता दामोर के माता-पिता का साक्षात्कार लेने पहुंचे थे। नम्रता का शव सात जनवरी, 2012 को रेल की पटरी के निकट पाया गया था।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि व्यापमं मामले की जांच की निगरानी कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) को राज्य सरकार टीवी पत्रकार अक्षय सिंह की मृत्यु की जांच करने के लिए लिख रही है।
चौहान ने आज यहां अपने निवास पर संवाददाताओं से कहा, ‘‘टीवी पत्रकार अक्षय सिंह की मौत दुर्भाग्यजनक है और इससे मुझे दुख हुआ है। मैं दुख की इस घड़ी में उनके परिवार के साथ हूं और उनकी मौत की जांच के लिए वह एसआईटी को लिखेंगे’’।
उन्होंने कहा कि अगर मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय इस घोटाले की जांच सीबीआई सहित किसी और एजेंसी से कराना चाहता है, तो उनकी सरकार को कोई आपत्ति नहीं होगी। गौरतलब है कि कांग्रेस अन्य एजेंसी से इस घोटाले की जांच कराने की मांग कर रही है।
मुख्यमंत्री ने सिंह की मौत के वक्त के घटनाक्रम को विस्तार से बताते हुए कहा कि उनके शव का पोस्टमार्टम वीडियोग्राफी के साथ डॉक्टरों की एक टीम ने किया था। उन्होने कहा, ‘‘यह मैं ही था, जिसने व्यापमं मामला सामने आने के बाद इसकी जांच विशेष कार्य बल (एसटीएफ) को सौंपी थी। इसके बाद जब कुछ याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, तो उसने (अदालत ने) खुद जांच की निगरानी का फैसला लिया’’।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि इसके अलावा उच्च न्यायालय ने मामले की जांच कर रही एसटीएफ पर भी निगरानी के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया हुआ है। उन्होने कहा, ‘‘न केवल यह मौत बल्कि व्यापमं मामले से संबंधित हर मौत के मामले की जांच होना चाहिए और इसमें हमें कोई आपत्ति नहीं है’’।
यह पूछने पर कि व्यापमं घोटाले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को क्यों नहीं सौंपी जा सकती है, उन्होंने कहा कि चूंकि इस मामले की जांच उच्च न्यायालय की कड़ी निगरानी में चल रही है और उच्चतम न्यायालय तक सीबीआई जांच की अपील को ठुकरा चुका है, इसलिए वह इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहेंगे।’’
शर्मा की मौत पर कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने ट्वीट किया, ‘‘जबलपुर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉक्टर अरुण कुमार शर्मा दिल्ली के होटल में मृत पाए गए। उनके पिता एनके शर्मा मंत्री, सांसद और एमपीसीसी के अध्यक्ष थे।’’
एक और ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘‘संयोग से इससे पहले के डीन डॉक्टर सकाले भी अपने आवास के लॉन में जली हुई अवस्था में मृत पाए गए थे।’’
सिंह ने कहा, ‘‘वह (सकाले) व्यापमं के जरिए मेडिकल कॉलेज में अनियमित दाखिलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रहे थे। किसी सरकार ने नहीं कहा कि यह आत्महत्या का मामला है।’’
करीब एक पखवाड़े पहले एसआईटी ने उच्च न्यायालय में रिपोर्ट सौंपी थी जहां उसने कहा कि 23 आरोपियों और गवाहों की ‘असमान्य’ मौत हुई है। इसके बाद से दो और लोगों को रहस्यमयी परिस्थिति में हो गई थी।
कुछ खबरों में कहा गया है कि 40 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।