वृंदावन के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा जब वहां दशकों से रहती आ रहीं विधवा महिलाएं किसी प्रसिद्घ मंदिर में रंग और उमंग से होली मनाती दिखाई देंगी। उनके लिए इस पहल का बीड़ा उठाया है वैधव्य को सामाजिक दाग मानने की बुराई को मिटाने का संकल्प लेने वाली संस्था सुलभ इंटरनेशनल ने।
21 मार्च को वृंदावन के प्राचीन ठाकुर गोपीनाथ मंदिर में आयोजित होने वाले कार्यक्रम में शामिल होने का वृंदावन की विधवाएं तो बेसब्री से इंतजार कर ही रही हैं,उनके अलावा वाराणसी की विधवाएं भी होली मनाने यहां पहुंच रही हैं। सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक एवं सामाजिक सुधारक डॉ. विंदेश्वर पाठक ने बताया, ‘विधवाओं को होली खेलने से रोकने वाली हिन्दू समाज की कुप्रथा को रोकने का यह पहला प्रयास है। जिसे समाज की सभी धाराएं स्वेच्छा से स्वीकार कर रही हैं। इस बार अनेक भागवत प्रवक्ता एवं संस्कृत छात्र भी मंदिरों की नगरी में दशकों से रह रहीं विधवाओं की होली में शामिल होंगे।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सुलभ इंटरनेशनल वृंदावन एवं वाराणसी में रहने वाली तकरीबन 1500 विधवाओं की विभिन्न प्रकार से देखभाल कर रहा है। यह संस्था परिवार एवं समाज की मुख्यधारा से पिछले कई दशकों से दूर परित्यक्त जीवन जी रहीं इन महिलाओं को उनका खोया हुआ सम्मान वापस दिलाने के प्रयास में पिछले तीन वर्ष से उनके आश्रम में होली खेल रही हैं।यह पहला अवसर है जब विधवाओं की खुशी के लिए किसी मंदिर में इस प्रकार का आयोजन किया जा रहा है तथा समाज के विभिन्न वर्गों के लोग भी उनकी खुशी में साथ देने के लिए शामिल होने जा रहे हैं।
डॉ. पाठक ने बताया कि इस कार्यक्रम में 1200 किलोग्राम गुलाल तथा 1500 किलोग्राम गुलाब व गेंदा के फूलों की पत्तियों का प्रयोग किया जाएगा। जिसे सफेद साड़ी पहन कर आर्इं विधवाएं एक-दूसरे पर उड़ा कर, उन्हें रंग-बिरंगा बना देंगी। जो उनके ऊपर लगे वैधव्य के दाग को मिटाने का काम करेगा। देश के कुछ क्षेत्रों में आज भी विधवाओं को होली खेलने से दूर रखा जाता है। यह होली उन्हें भी इस कुप्रथा से निजात दिलाने का सबब बनेगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह होली वृंदावन एवं वाराणसी की विधवाओं के जीवन में तो नए रंग भरेगी ही, वृंदावन में देशी और विदेशी पर्यटकों को आने के लिए भी प्रेरित करेगी।