वोडाफोन आइडिया, भारती एयरटेल और रिलायंस जियो ने टैरिफ रेट्स हाइक के जरिए ग्राहकों को झटका दिया है। एयरटेल के प्रीपेड ग्राहक अब अनिलिमिटेड फ्री कॉलिंग नहीं कर सकते। हालांकि पोस्टपड ग्राहकों के लिए यह सर्विस अभी भी फ्री है। बात करें वोडाफोन आइडिया और जियो की तो इन दोनों कंपनियों ने भी टैरिफ रेट्स को लागू किया है। कुल मिलाकर टैरिफ हाइक से टेलिकॉम कंपनियों की सेवाएं 40 फीसदी मंहगी हो गई है।

नए दरों पर मिलनी वाली सर्विस का सीधा ग्राहकों की जेब पर पड़ रहा है। कई ग्राहकों को में नई दरों को लेकर गुस्सा है। हालांकि सर्विस के मंहगा होना ग्राहकों के लिए ही फायदेमंग है। लंबे समय की अवधि के लिए देखा जाए तो ऐसा कहना गलत नहीं होगा।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट और डिपार्टमेंट ऑफ टेलेकम्यूनिकेशन (डीओटी) के दबाव के बाद कंपनियां दबाव में हैं। कंपनियों को एजीआर (एडजस्टेबल ग्रॉस रेवेन्यू) मुद्दे पर केंद्र को लगभग 92,000 करोड़ रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया गया है। ऐसे में इतने दबाव को कम करने के लिए दामों में बढ़ोतरी करना ग्राहकों के लिए ही फायदेमंद होगा। अब सवाल उठता है कि यह ग्राहकों के लिए कैसे फायदेमंद होगा?

ऐसा इसलिए क्योंकि टैरिफ रेट में बढ़ोतरी से कंपनियां जल्दी और आसानी से कुछ हद तक भुगतान करने में सफल होगी। इसके बाद ग्राहक सेवाओं के लिए जो भी रकम खर्च करेंगे उससे कंपनियां नेटवर्क और सर्विस को भी बेहतर करेंगी।

इससे टेलिकॉम कंपनियों के बीच उचित प्रतिस्पर्धा देखने को मिलेगी न कि एकाधिकार। इससे एकाधिकार को बढ़ावा नहीं मिलेगा। टेलिकॉम मार्केट में एकाधिकार यानि की एक कंपनी का दबदबा ग्राहकों के लिए ही नुकसानदेह होता है। क्योंकि एकाधिकार रखने वाली कंपनी अपने मुताबिक प्राइस और सर्विस निर्धारित करती है।

सेल्यूलर ऑपरेट्स एसोसिएश ऑफ इंडिया (COAI) के मुताबिक ग्लोबल डाटा रेट्स 8.5 डॉलर प्रति जीबी है। भारत में एक दशक पहले ग्राहकों को प्रति एक जीबी डाटा के लिए 333 रुपए चुकाने पड़ते थे लेकिन 2018 और 2019 में यह दर 7.7 प्रति जीबी हो गई जो कि अन्य देशों के मुकाबले सस्ती है। लेकिन टैरिफ दरों में 40 फीसदी की बढ़ोतरी के बाद यह 11 रुपए प्रति जीबी हो गई है जो कि अन्य की तुलना में सस्ती है।