सुप्रीम कोर्ट की जमीन को लेकर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ SCBA का विवाद फिलहाल थम गया है। स्पेशल बेंच ने जमीन मामले की सुनवाई के बाद अपना फैसला भी रिजर्व कर लिया है। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के प्रधान विकास सिंह ने सीजेआई चंद्रचूड़ को चिट्ठी लिख अपना दर्द बयां किया है। उनका कहना है कि समय के साथ जज बढ़े तो वकील भी। लेकिन जजों की सुविधा कई गुना बढ़ीं तो वकीलों को कुछ नहीं मिला।

बार के लिए बेहद छोटा और गंदा सा भोजन कक्ष

विकास सिंह ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट की बुनियादी ढांचा विकसित करने वाली स्थाई समिति में बार को प्रतिनिधित्व दिया जाए। सीजेआई को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि समय के साथ जजों और रजिस्ट्री के लिए बुनियादी ढांचे में कई गुना वृद्धि हुई है, लेकिन एसीबीए सदस्यों के उपयोग के लिए बुनियादी ढांचे में उस अनुपात में वृद्धि नहीं हुई है। चिट्ठी में कहा गया है कि बार के लिए बेहद छोटा और गंदा सा भोजन कक्ष है। अदालतों के आसपास वकीलों के लिए वेटिंग रूम भी नहीं है। इसी कारण वकील अदालतों में जमा हो जाते हैं। इससे वहां भीड़ बढ़ती है।

सुप्रीम कोर्ट के बुनियादी ढांचा विकास से जुड़ी पांच सदस्यीय ‘बिल्डिंग एंड प्रिसिंट सुपरवाइजरी कमेटी’ में फिलहाल जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रमनाथ और जस्टिस बीवी नागरत्न शामिल हैं। विकास सिंह ने इसमें वकीलों की हिस्सेदारी मांगी है।

ध्यान रहे कि अप्पू घर पर वकीलों के चेंबर बनाने के लिए भूमि आवंटन को लेकर सीजेआई चंद्रचूड़ और एससीबीए चीफ विकास सिंह के बीच हाल में बहस हो गई थी। विकास सिंह जमीन मामले में सुनवाई के लिए जल्दी तारीख देने की मांग कर रहे थे। सीजेआई ने जब उन्हें एक आण याचिकाकर्ता की तरह से सुनने की बात कही तो विकास सिंह ने उनसे कहा कि तारीख के लिए वो उनके घर तक भी आ सकते हैं। फिर क्या था, सीजेआई का पारा चढ़ गया और उन्होंने विकास सिंह को चीखते हुए अपनी कोर्ट से बाहर जाने को कहा।

जमीन मामले पर स्पेशल बेंच ने फैसला सुरक्षित किया

हालांकि सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल और नीरजद किशन कौल ने सीजेआई से माफी मांगकर मामले को रफा दफा करने की कोशिश की। लेकिन बार ने दोनों के खिलाफ एक्शन लेने के लिए प्रस्ताव पेश कर दिया। बाद में दोनों पक्षों में सुलह हो गई और सीजेआई की अध्यक्षता वाली स्पेशल बेंच ने इस मुद्दे पर एससीबीए की याचिका पर सुनवाई करके अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।