नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा है कि देश की अर्थव्यवस्था भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन की नीतियों की वजह से गिर रही थी। सोमवार (तीन सितंबर) को उन्होंने इस बारे में न्यूज एजेंसी एएनआई से बात की। कहा, “बैंकिंग सेक्टर में बढ़ते नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) के कारण अर्थव्यवस्था गिर रही थी। यह सरकार सत्ता में जब आई, तब यह आंकड़ा चार लाख करोड़ रुपए के आसपास था। यह 2017 के मध्य में बढ़कर साढ़े 10 लाख करोड़ रुपए हो गई, क्योंकि पिछले गर्वनर (राजन) ने एनपीए की समस्या से निपटने के लिए नया तंत्र इजाद किया था और ये एनपीए लगातार बढ़ते ही रहे। यही कारण है कि बैंकिंग सेक्टर ने उद्योग जगत को लोन देना ही बंद कर दिया।”
बकौल कुमार, “यहां तक कि कुछ मामलों में, खासकर छोटे और मंझले उद्योगों में, कंपनियों को उधार मिलना लगभग बंद हो गया। यह पिछले कुछ सालों में हुआ नकारात्मक विकास था। वहीं, बड़े उद्योगों में क्रेडिट की ग्रोथ नीचे आकर एक फीसदी, ढाई फीसदी या निगेटिव में चली गई। देश के आर्थिक इतिहास में पहली बार इतने बड़े स्तर पर छोटे, मंझले और बड़े स्तर के उद्योग कमर्शियल क्रेडिट का फायदा नहीं उठा पाने। साल दर साल ऐसा कभी भी देखने को नहीं मिला।”
सुनें, राजन को लेकर क्या बोले कुमार–
#WATCH:Niti Aayog Vice-Chairman Rajiv Kumar says, ‘Growth was declining due to former RBI Governor Raghuram Rajan’s policies’ pic.twitter.com/wUIlKYsHcO
— ANI (@ANI) September 3, 2018
नोटबंदी के अर्थव्यवस्था को धीमा करने के आरोपों पर वह बोले, “यह पूरी तरह से झूठी बात है।” सुनें उन्होंने आगे इस मुद्दे पर और क्या कहा–
#WATCH:Niti Aayog Vice-Chairman Rajiv Kumar on allegations that #demonetisation slowed down growth says ‘This is a completely false narrative and I am afraid leading people like Mr.Chidambaram and our former PM added to this.’ pic.twitter.com/EeGqHjIpad
— ANI (@ANI) September 3, 2018
कुमार का कहना था, “मुझे इस बात से भी हैरानी है कि पूर्व वित्त मंत्री पी.चिंदबरम और हमारे पूर्व पीएम सरीखे दिग्गज लोगों ने भी इस बात को बढ़ावा दिया था। अगर आप ग्रोथ रेट स्टेटिस्टिक्स देखेंगे, तो आप पाएंगे कि नोटबंदी के बाद ग्रोथ रेट सरकार के उस फैसले (नोटबंदी) के कारण नीचे नहीं आया। बल्कि वह पहले से चले आ रहे 2015-16 के छह क्वार्टर के ट्रेंड के कारण नीचे था। तब ग्रोथ रेट 9.2 फीसदी था। हर क्वार्टर में यह नीचे आया, लिहाजा ग्रोथ रेट ट्रेंड के कारण लुढ़का। नोटबंदी की वजह से नहीं। मुझे लगता है कि नोटबंदी और अर्थव्यवस्था के बीच कोई जुड़ाव नहीं है। किसी के पास इस बात का सबूत भी नहीं है।”