विपक्ष के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रिटायर्ड जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी पिछले कुछ दिनों से चर्चा में हैं। बीजेपी के नेता छत्तीसगढ़ में सलवा जुडूम मिलिशिया को गैरकानूनी घोषित करने वाले 2011 के फैसले के लिए सुदर्शन रेड्डी की आलोचना कर रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले शुक्रवार को कहा था कि अगर जस्टिस रेड्डी ने फैसला नहीं दिया होता, तो नक्सली आतंकवाद 2020 तक खत्म हो गया होता। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्षी उम्मीदवार नक्सली विचारधारा से प्रेरित हैं। बीजेपी के वरिष्ठ नेता और सांसद रविशंकर प्रसाद ने सोमवार को कहा कि यह फैसला उनके माओवाद के प्रति झुकाव को दर्शाता है।

इसके बाद इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में सुदर्शन रेड्डी ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि हिंसा पर राज्य का एकाधिकार है, लेकिन इस प्रक्रिया में हम मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं कर सकते थे। पढ़िए इंटरव्यू के अहम सवाल-जवाब

सवाल- गृह मंत्री अमित शाह ने यह आरोप दोहराया है कि सलवा जुडूम मामले में आपके फैसले ने नक्सलवाद को जीवनदान दिया है?

बी सुदर्शन रेड्डी- कोई इस मुद्दे को फैसले के 14 साल बाद उठा रहा है। मैंने यह नहीं कहा कि राज्य को किसी समूह या संगठन, चाहे आप उसे जो भी कहें, द्वारा फैलाई गई हिंसा को नज़रअंदाज़ करना चाहिए। राज्य को हिंसा के ऐसे खतरे से लड़ने का पूरा अधिकार है। फैसले में बस इतना कहा गया था, ‘इसे आउटसोर्स न करें।’ हिंसा से निपटना संप्रभु राज्य का संवैधानिक कर्तव्य, दायित्व और ज़िम्मेदारी है। मैंने बस इतना ही कहा है। दरअसल, अगर मुझे ठीक से याद है तो 14 साल बाद मैंने हिंसा के खतरे शब्द का इस्तेमाल किया था, लेकिन हिंसा से लड़ने के नाम पर आप एक और हिंसक समूह नहीं बना सकते और दोनों एक-दूसरे के खिलाफ लड़ सकते हैं। देखिए, हथियार चलाने का एकाधिकार हमेशा से राज्य का रहा है। हॉब्स के सिद्धांत से ही। ऐसा नहीं है कि हर कोई हथियार उठाकर एक-दूसरे के खिलाफ उनका इस्तेमाल शुरू कर दे। यह राज्य का काम है। मैंने तो एकाधिकार शब्द का भी इस्तेमाल किया था। लेकिन इस प्रक्रिया में हम अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं कर सकते।

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सवाल- आज गृह मंत्री ने आपके एक और फ़ैसले का ज़िक्र किया जिसमें आपने माओवाद प्रभावित इलाकों में सुरक्षा बलों द्वारा कब्ज़ा किए गए स्कूलों और अन्य इमारतों को खाली करने का आदेश दिया था। उन्होंने कहा कि उसके बाद सुरक्षा बलों पर हमले हुए।

बी सुदर्शन रेड्डी- शिक्षा के अधिकार के बारे में माननीय गृह मंत्री की यही समझ है। मैं आपको क्या बता सकता हूं? एक शक्तिशाली राज्य वह अपने सुरक्षा बलों को आवास प्रदान नहीं कर सकता। स्कूलों और कॉलेजों की इमारतों पर सुरक्षा बलों ने कब्ज़ा कर लिया और बच्चों को स्कूल जाने से रोक दिया गया। मैंने कहा कि नहीं, ऐसा नहीं हो सकता।

सवाल- क्या आपको हैरानी हुई कि गृह मंत्री ये मुद्दे उठा रहे हैं?

बी सुदर्शन रेड्डी- हां। मुझे थोड़ी हैरानी हुई। इस देश के सबसे ताकतवर गृह मंत्री, 14 साल बाद यह मुद्दा उठा रहे हैं। जब वे इस समस्या से जूझ रहे थे, तब उन्हें कभी यह ख्याल ही नहीं आया कि यह फैसला इसकी जड़ है या उनके रास्ते में रोड़ा बन रहा है और उनके हाथ बांध रहा है।

सवाल- आज गृह मंत्री ने कहा कि शायद विपक्ष के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के चयन का मानदंड वामपंथी विचारधारा थी। आपकी विचारधारा क्या है?

बी सुदर्शन रेड्डी- मेरी विचारधारा संविधान है। मेरी विचारधारा समानता, स्वतंत्रता, बंधुत्व, व्यक्ति की गरिमा और न्याय के प्रति निष्ठा है। इसी क्रम में। सामाजिक न्याय, आर्थिक न्याय, राजनीतिक न्याय। मैं यह नहीं कह रहा। प्रस्तावना में यह कहा गया है। प्रस्तावना द्वारा ही क्रम निर्धारित किया गया है। मैं सामाजिक न्याय का समर्थक हूं। अगर इसका मतलब वामपंथ है, तो मैं उसे कोई नाम नहीं दे सकता, चाहे वह वामपंथी हो, दक्षिणपंथी हो या मध्यमार्गी।