Bihar CM Nitish Kumar: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद से ही सोशल मीडिया से लेकर टीवी चैनलों तक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम की जोरदार चर्चा होने लगी है। चर्चा इस बात की हो रही है कि क्या नीतीश कुमार भारत के अगले उपराष्ट्रपति हो सकते हैं।

याद दिलाना होगा कि जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए सोमवार देर शाम को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफे के बाद से ही सोशल मीडिया से लेकर आम लोगों के बीच कई तरह की चर्चा होने लगी है।

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बिहार में जल्द होने हैं चुनाव

बिहार में अगले कुछ ही महीनों के भीतर विधानसभा के चुनाव होने हैं और सोशल मीडिया पर चल रही अटकलों में कहा गया है कि नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति बनाकर भाजपा और मोदी सरकार मास्टर स्ट्रोक खेल सकते हैं। इस सबके बीच तमाम विपक्षी दल जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर भी सवाल खड़े कर रहे हैं।

एनडीए, महागठबंधन के साथ भी सीएम रहे नीतीश

सोशल मीडिया पर चल रही अटकलों में कहा गया है कि बीजेपी अब राज्य में अपना मुख्यमंत्री बना सकती है। नीतीश कुमार 2005 से बिहार के मुख्यमंत्री हैं। वह महागठबंधन और एनडीए के साथ रहकर भी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रहे हैं। बिहार में जो मौजूदा चुनावी हालात हैं, उसमें बीजेपी के नेता कह जरूर रहे हैं कि एनडीए नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेगा और एनडीए की सरकार बनने पर नीतीश ही फिर से बिहार के मुख्यमंत्री बनेंगे। लेकिन बीजेपी की भी लंबे वक्त से इच्छा है कि उसका नेता ही मुख्यमंत्री बने।

सवाल इस बात का है कि क्या नीतीश इसके लिए राजी होंगे। नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री होने के साथ ही अपनी पार्टी जेडीयू के सर्वेसर्वा भी हैं। अगर वह दिल्ली चले जाएंगे तो पार्टी के कामकाज को संभालना उनके लिए आसान नहीं होगा क्योंकि उपराष्ट्रपति एक संवैधानिक पद है और इस पद पर रहते हुए वह राजनीतिक काम नहीं कर पाएंगे।

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बीजेपी के पास हैं लगभग दोगुने विधायक

याद दिलाना होगा कि बिहार बीजेपी में कई नेताओं की यह मांग रही है कि अब राज्य में बीजेपी को अपना मुख्यमंत्री बनाना चाहिए। विधायकों की संख्या के लिहाज से भी बीजेपी जेडीयू से बहुत आगे है। विधानसभा में बीजेपी के पास 80 विधायक हैं जबकि जेडीयू के पास 45। ऐसे में चर्चाएं तेज हो गई हैं कि क्या चुनाव से पहले बिहार में कुछ होने वाला है?

अगर नीतीश कुमार उपराष्ट्रपति बन जाते हैं तो बीजेपी इससे ओबीसी और ईबीसी वोट बैंक साध सकती है। बिहार में इन दोनों समुदायों का वोट 63 प्रतिशत के आसपास है। नीतीश कुमार की लोकप्रियता किसी से छिपी नहीं नहीं है। पिछले चुनाव में उनकी पार्टी को जबर्दस्त झटका लगा था लेकिन फिर भी बीजेपी ने नीतीश कुमार के सियासी कद का सम्मान करते हुए उन्हें मुख्यमंत्री बनाया था।

देखना होगा कि आने वाले दिनों में किस तरह के राजनीतिक हालात बनेंगे? लेकिन कुल मिलाकर नीतीश कुमार को लेकर बिहार से लेकर दिल्ली तक चर्चाओं का बाजार जबरदस्त गर्म है।

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