भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा है कि देश की संस्थाएं खतरे में हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि जिन सिद्धांतों पर संविधान की प्रस्तावना/भूमिका तैयार की गई, उन्हें अब निकाल फेंका जा चुका है।

मंगलवार को एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा- देश में एक बहुत खतरनाक प्रक्रिया चल रही है, इसमें काफी कुतर्क शामिल है। ऐसे में अधिकतर नागरिकों द्वारा इसे समझ पाना आसान नहीं है।

उन्होंने यह भी कहा कि लोग ‘मुश्किल दौर’ में जी रहे हैं और इस पर ऐक्शन लेना जरूरी है, क्योंकि अगर ऐसा जारी रहा, तब “जागने पर बहुत देर हो चुकी होगी।”

बकौल पूर्व उपराष्ट्रपति, “हम कठिन दौर में जी रहे हैं। मैं इन चीजों की गहराई में नहीं जाना चाहता हूं, पर असल सच यही है कि भारतीय गणराज्य की संस्थाएं बड़े खतरे में हैं।”

अंसारी ने ये बातें भालचंद्र मुंगेकर की किताब “माई एनकाउंटर्स इन पार्लियामेंट” (My Encounters in Parliament) के विमोचन पर कहीं। कार्यक्रम में इस दौरान NCP चीफ शरद पवार, CPI महासचिव डी राजा और CPI(M) के महासचिव सीताराम येचुरी मौजूद थे।

पूर्व उपराष्ट्रपति की यह टिप्पणी ऐसे वक्त पर आई है, जब केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली BJP सरकार की पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत करने को लेकर जमकर आलोचना हो रही है।

दरअसल, सोमवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश के 46वें सीजेआई रहे गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किया था। जस्टिस गोगोई वही हैं, जिन्होंने अयोध्या स्थित राम मंदिर मामले में फैसला दिया था।

जस्टिस गोगोई को राज्यसभा भेजने को लेकर एक ओर जहां विपक्ष और मोदी-भाजपा विरोधी उन पर कटाक्ष कर रहे हैं। वहीं, मंगलवार को पूर्व सीजेआई ने कहा है कि वह शपथ लेने के बाद मीडिया को विस्तार से बताएंगे कि आखिर उन्होंने यह ऑफर क्यों स्वीकार किया।