एडवोकेट आर वेंकटरमानी को आज मोदी सरकार ने अटार्नी जनरल ऑफ इंडिया बना दिया। वो केसी वेणुगोपाल की जगह लेंगे। उनका कार्यकाल तीन साल का होगा। हालांकि इस पद के लिए मुकुल रोहतगी की चर्चा खासी गर्म थी। लेकिन सरकार ने उनके नाम को तवज्जो नहीं दी तो उन्होंने भी साफ कर दिया कि अटार्नी जनरल ऑफ इंडिया बनने में उनकी कोई रुचि नहीं है।
केके वेणुगोपाल को 2017 में भारत का अटार्नी जनरल नियुक्त किया गया था। उनका कार्यकाल 3 साल के लिए था। उसके बाद उन्हें दो बार एक्सटेंशन मिला। आखिरी मर्तबा उन्हें तीन माह का विस्तार दिया गया था। ये 30 सितंबर को खत्म हो रहा है।
हालांकि कुछ दिनों पहले हुए एक वाकये में सुप्रीम कोर्ट ने वेणुगोपाल को भरोसा दिलाया था कि वो एक्सटेंशन की चिंता न करें। आप सरकार और LG के मामले की सुनवाई के दौरान संवैधानिक बेंच ने अगली तारीख फिक्स करने की बात की तो अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि वो 30 सितंबर तक ही अपने पद पर हैं। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने उनसे तब आर्टिकल 142 का जिक्र किया। उनका कहना था कि मई में आपने आर्टिकल 142 की ताकत को देखा था।
आर्टिकल 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट कोई भी फैसला ले सकता है। 2022 में इसका इस्तेमाल तब किया था जब पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के दोषी एजी पेरारिवलन को रिहा करने का फैसला फंस रहा था। दोषी 30 साल से अधिक समय से जेल में बंद था। जस्टिस एल. नागेश्वर राव की बेंच ने आर्टिकल 142 के जरिये पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दे दिया था।
केंद्र इस मामले में हीलाहवाली कर रहा था। उसका कहना था कि पेरारिवलन की अपील राष्ट्रपति के पास लंबित है। वो इस मामले में अपनी तरफ से फैसला नहीं कर सकता। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने दिखा दिया कि आर्टिकल 142 की क्या ताकत है।