उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने दिवंगत वीएचपी नेता अशोक सिंघल पर लिखी एक किताब के विमोचन पर कहा कि ‘वंदे मातरम’ गाने में लोगों को क्या परेशानी है। टीओआई के मुताबिक गुरुवार को नायडू ने कहा कि अगर मां को नहीं तो क्या अफजल गुरु को सलाम करोगे। वंदे मातरम का मतलब होता है मातृभूमि को नमन करना। उप राष्ट्रपति ने कहा, वंदे मातरम माने मां तुझे सलाम। क्या समस्या है? अगर मां को सलाम नहीं करेंगे तो क्या अफजल गुरु को सलाम करेंगे? उन्होंने कहा, जब कोई भारत माता की जय कहता है तो यह तस्वीर के किसी भगवान के बारे में नहीं होता। यह जाति, रंग, पंथ या मजहब से इतर देश में रह रहे 125 करोड़ लोगों के बारे में है।
उन्होंने हिंदुत्व पर सुप्रीम कोर्ट के साल 1995 में दिए गए आदेश का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि हिंदू धर्म नहीं, बल्कि जीने का तरीका है। उन्होंने कहा, हिंदू धर्म एक संकुचित संकल्पना नहीं है, यह भारत का एक व्यापक सांस्कृतिक अर्थ है। हिंदू धर्म भारत की संस्कृति और परंपरा है, जो कई पीढ़ियों से गुजरा है। नायडू ने भारतीयों के अहिंसक प्रकृति के लिए हिंदू धर्म को कारण बताया। उन्होंने कहा, हर किसी ने भारत पर हमला किया, शासन किया, नुकसान पहुंचाया और लूटा, लेकिन भारत ने अपनी संस्कृति के कारण कभी किसी देश पर हमला नहीं किया। हमारी संस्कृति हमें वसुधैव कुटुम्बकम सिखाता है, जिसका मतलब है कि दुनिया एक परिवार है।
Vande Mataram ke baare mein vivaad hota hai, 'Maa tujhe salaam'. Maa ko salaam nahi karenge toh kisko karenge? Afzal Guru ko karenge kya?: Vice President Venkaiah Naidu (7.12.17) pic.twitter.com/HUdcWUgXxK
— ANI (@ANI) December 8, 2017
इस कार्यक्रम में आरएसएस के जनरल सेक्रेटरी सुरेश भैयाजी जोशी भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि सिंघल ने अयोध्या में राम मंदिर का सपना साकार करने के लिए कड़ी मेहनत की। वह भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन हमें उनका लक्ष्य नहीं भूलना चाहिए। सिंघल के बारे में नायडू ने कहा कि वह हिंदुत्व के समर्थकों में से एक थे और जीवन के 75 साल आने वाली पीढ़ियों को फायदा पहुंचाने में त्याग दिए। इंजीनियरिंग और साइंस का छात्र होने के बावजूद उन्होंने गंगा के तट पर समय बिताने का फैसला किया।