केंद्रीय मंत्री एम वेंकैया नायडू ने पाकिस्तान द्वारा हर मुद्दे को कश्मीर से जोड़ने को पूरी तरह बेतुका और अस्वीकार्य कहा। उन्होंने कहा कि कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और इस पर किसी तरह के समझौते का कोई सवाल नहीं उठता। उन्होंने पड़ोसी देश को नसीहत दी कि कश्मीर के मुद्दे को हमेशा के लिए छोड़ दे। नायडू ने यहां एक समारोह से इतर कहा, ‘पाकिस्तान को (कश्मीर को) हमेशा के लिए छोड़ देना चाहिए। इसके अलावा हर चीज को कश्मीर से जोड़ना पूरी तरह बेतुका और अस्वीकार्य है। कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और इस पर किसी तरह के समझौते का कोई सवाल नहीं है।’

उन्होंने कहा कि भारत अपने पड़ोसी देश के साथ रिश्ते सुधारने के लिए और संवाद प्रक्रिया को फिर से शुरू करने के लिए हर कदम उठा रहा है। नायडू ने कहा, ‘लेकिन इन तत्वों के बावजूद पाकिस्तान में.. अगर वे ये सब काम यानी आतंकवादियों की मदद, उन्हें आर्थिक मदद और प्रशिक्षण देना जारी रखते हैं तो इससे हालात में मदद नहीं मिलने वाली।’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को आमंत्रित किया था, खुद पाकिस्तान गए थे और वहां के प्रधानमंत्री से दुआ-सलाम की थी।

नायडू ने कहा, ‘अगर आप बातचीत करना चाहते हैं तो कितनी भी बार अपने संशय दूर कर सकते हैं। कोई भी बातचीत कर सकता है और दुविधाओं को दूर कर सकता है। लेकिन बार बार इसे विवाद बनाने से रिश्तों को सुधारने में मदद नहीं मिलेगी।’ उन्होंने पाकिस्तान द्वारा खुद को ‘आतंकवाद का शिकार’ होने की दुहाई देते रहने पर उसे आड़े हाथ लेते हुए कहा, ‘एक तरफ आप आतंकवादियों को प्रोत्साहित कर रहे हैं और दूसरी तरफ आप आतंकवाद के बारे में विलाप कर रहे हैं। पाकिस्तान समझ ले और देख ले कि इस तरह की ताकतें कुचल दी जाती हैं।’

पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित से पांपोर में सीआरपीएफ के काफिले पर हमले के बारे में पूछे जाने पर उनका ‘इफ्तार पार्टी पर ध्यान केंद्रित करने’ की बात कहना नायडू के मुताबिक ‘संवेदनहीनता’ दिखाता है। बासित ने शनिवार (25 जून) को पाकिस्तान उच्चायोग में इफ्तार पार्टी में यह बयान दिया था। नायडू ने कहा, ‘रविवार (26 जून), मुझे पता चला कि पाकिस्तान के उच्चायुक्त ने सरकार की बहुत आलोचना की। मैंने सोचा था कि वह कम से कम इसे मानेंगे, लेकिन दुर्भाग्य से उन्होंने ऐसा नहीं किया। यह बयान पूरी तरह संवेदनहीन है कि ‘पार्टी पर ध्यान केंद्रित करते हैं’ ।’

जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती द्वारा रमजान में इस्लाम के नाम पर खून-खराबा को शर्मनाक कहने वाले कथित बयान पर नायडू ने कहा, ‘कुछ लोग इसे मुस्लिम आतंकवाद कहते हैं, कुछ लोग इसे हिंदू आतंकवाद कहते हैं। आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, मैं मानता हूं लेकिन उसी समय अगर कोई लगातार ऐसा कर रहा है तो उनके (महबूबा के) दिमाग में यह बात रही होगी और उन्होंने यह प्रतिक्रिया दी।’ उन्होंने कहा, ‘मैं आतंकवाद को किसी धर्म विशेष से नहीं जोड़ता। आतंकवाद मानवता का शत्रु है और इस पर लगाम लगनी चाहिए और सभी धर्मों को इसे छोड़ देना चाहिए।’

नायडू ने भारत में मुस्लिम समुदाय के कुछ नेताओं और मौलवियों द्वारा आतंकवाद की निंदा किए जाने पर खुशी जताते हुए कहा, ‘यह एक स्वस्थ चलन है। हर धर्म को खुलकर आना चाहिए और आतंकवाद के जघन्य कृत्यों की निंदा करनी चाहिए।’ नायडू ने उम्मीद जताई कि भविष्य में भारत को एनएसजी की सदस्यता मिल जाएगी। खबरें हैं कि समूह ने इस साल के आखिर में बैठक करने का फैसला किया है जिसमें भारत जैसे एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले देशों को समूह में प्रवेश देने के लिए प्रक्रिया पर विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘विपक्षी दलों से मेरा आग्रह है कि कम से कम अंतरराष्ट्रीय मामलों से जुड़े विषयों को राजनीतिक रंग नहीं दें। देश की प्रतिष्ठा और सम्मान के लिए एक समान स्वर रखें। हमें आगे बढ़ने और भविष्य में एनएसजी की सदस्यता भी मिलने की उम्मीद है।’