जयपुर में मंदिरों को तोड़ने के मसले पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भाजपा सरकार को हिला दिया है। संघ की अपील पर गुरुवार को यहां चक्का जाम आंदोलन होगा। इसमें भाजपा के विधायक और नेता भी हिस्सा लेंगे। इससे ही भाजपा सरकार के साथ पूरे संगठन की खासी किरकिरी हो रही है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बाहर चले जाने से भी सरकारी स्तर पर संघ से सुलह की कोई कोशिश भी नहीं हो रही है। दूसरी तरफ कांग्रेस ने संघ के आंदोलन को घड़ियाली आंसू करार दिया है।
राज्य की भाजपा सरकार को अब अपने ही लोगों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। जयपुर में विकास के नाम पर मंदिरों को तोड़ने के विरोध में आरएसएस की नाराजगी ने ही वसुंधरा सरकार को कठघरे में खडा कर दिया है। संघ के निर्देश पर बनी मंदिर बचाओ संघर्ष समिति की अगुआई में गुरुवार को सवेरे नौ से ग्यारह बजे तक शहर के प्रमुख इलाकों में वाहनों का चक्का जाम किया जाएगा। इस आंदोलन में शहर के कई सामाजिक और धार्मिक संगठन भी जुड़ गए हैं।
समिति ने चक्का जाम आंदोलन को लेकर पूरी तैयारियां कर ली हैं। संघ के आंदोलन को भाजपा के कई नेता खुला समर्थन भी दे रहे हैं। आंदोलन को लेकर सबसे बुरी हालत शहर के उन विधायकों की हो रही है जो सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। इसके साथ ही प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अशोक परनामी भी पशोपेश में पड़ गए हैं। संघ के तीखे तेवरों से घबरा कर जयपुर के सांसद रामचरण बोहरा यहां से बाहर चले गए हैं। संघ ने जयपुर शहर के सभी विधायकों और सांसद को आंदोलन में शामिल होने की हिदायत दी हुई है।
संघ के कड़े रवैये को देखते हुए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समर्थक भी हैरान हैं। राजे बुधवार सवेरे मध्य प्रदेश के दतिया चली गर्इं। दतिया में राजे अपनी कुलदेवी की पूजा अर्चना के लिए गई हैं। उनका रविवार तक ही जयपुर लौटने का कार्यक्रम बताया गया है। राजे ने मंगलवार रात भी संघ के वरिष्ठ प्रचारकों से बातचीत कर उनकी मान मनौव्वल की थी। संघ का साफ कहना है कि भाजपा सरकार ने मंदिरों को तोड़ कर हिंदुओं की धार्मिक भावना आहत की है। उसने आंदोलन वापस लेने से साफ इनकार कर दिया। संघ के चक्का जाम को सफल बनाने के लिए कई संगठन पूरे दम खम से जुट गये है। जयपुर शहर के करीब डेढ सौ चौराहों पर जाम लगाया जाएगा।
जयपुर शहर के सभी भाजपा विधायक संघ के प्रदेश मुख्यालय भारती भवन जाकर दिशा निर्देश हासिल करने में लग गये है। संघ पदाधिकारियों ने विधायकों को दो टूक कह दिया है कि आंदोलन में शामिल होने का निर्णय वे खुद करें। उन्हें बार-बार संघ कार्यालय आकर सफाई देने की जरूरत नहीं है। संघ ने शहर के कई प्राचीन मंदिरों को तोडने के दोषी अफसरों की एक सूची भी तैयार की है। इसमें अब मुख्यमंत्री कार्यालय के एक आला अफसर का नाम भी जुड़ गया है।
संघ का मानना है कि इस अधिकारी को पूरी जानकारी थी और उससे ही दूसरे अधिकारी निर्देश हासिल कर रहे थे। संघ ने मंदिरों को तोड़ने के मामले में जयपुर विकास प्राधिकरण के आयुक्त, कलक्टर और जयपुर मेट्रो के सीएमडी को पहले ही दोषी करार दे रखा है। संघ की सूची में अब मुख्यमंत्री कार्यालय के आला अधिकारी का नाम जुड़ने से नौकरशाही में हड़कंप मच गया है। मुख्यमंत्री राजे ने संघ पदाधिकारियों को भरोसा दिया है कि दोषी अफसरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। संघ का मानना है कि मुख्यमंत्री कार्यालय को तमाम जानकारियां थीं। इसके बावजूद अगर अफसरों ने मुख्यमंत्री राजे को पूरी सूचना नहीं दी तो यह गंभीर बात है।
उधर विपक्षी दल कांग्रेस ने मंदिर विवाद और पूरे राजनीतिक घटनाक्रम को भाजपा और संघ की मिलीभगत करार दिया है। जयपुर शहर कांग्रेस ने बुधवार को यहां सरकार के विरोध में धरना भी दिया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मौजूदा घटनाक्रम पर विचार किया।