गुजरात एटीएस ने मुंबर्इ से एक व्यक्ति को गोधरा दंगों का बदला लेने का षड़यंत्र रचने के आरोप में गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार व्यक्ति वाराणसी का रहने वाला है। उसके परिवार का दावा है कि उसे फंसाया गया है। गुप्त जानकारी के आधार पर एटीएस ने अबरार अहमद नाम के शख्स को मुंबई के पालघर से शनिवार को हिरासत में लिया था और बाद में 2003 से जुड़े मामले में गिरफ्तार कर लिया। उसके भाई असलम खान पर भी ऐसा ही आरोप था और अहमदाबाद कोर्ट ने पांच साल पहले बरी कर दिया था। एटीएस ने 2003 में असलम को गिरफ्तार किया था। गुजरात पुलिस का कहना है कि, अबरार पिछले 13 साल से फरार था। जबकि परिवार का दावा है कि इन दौरान अबरार वाराणसी और मुंबई में ड्राइवर का काम कर रहा था। पुलिस ने यहां कभी उसकी तलाश नहीं की। उनका दावा है कि अबरार की पत्नी तबस्सुम और चार बेटियां वाराणसी के पिंडरा गांव में रहते हैं आैर वह उनसे मिलने जाता था।
13 साल बाद गोधरा दंगों का बदला लेने की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार हुआ बनारस का अबरार
गुजरात दंगों का बदला लेने के मामले में अबरार का भाई असलम भी गिरफ्तार हुआ था लेकिन 5 साल पहले कोर्ट ने उसे रिहा कर दिया है।
Written by मनीष साहू
लखनऊ
Updated: 
अबरार के भतीजे इमरान का कहना है कि, ‘यह अहमदाबाद पुलिस की प्रताड़ना का मामला है। पहले उन्होंने असलम को गिरफ्तार किया और 2010 में कोर्ट ने उसे रिहा कर दिया। अब उसी मामले में उन्होंने अबरार को गिरफ्तार किया है। हम हैरान है कि पुलिस ने 13 साल बाद उसे गिरफ्तार किया जबकि वह सामान्य जिंदगी जी रहा था। उसकी तलाश में एक भी पुलिसकर्मी हमारे घ्ार नहीं आया।’ वहीं अहमदाबाद के डीसीपी(क्राइम) दीपन भादराण का कहना है कि,’अबरार और उसका भाई असलम एक आतंकी संगठन को हथियार देने के मामले में आरोप हैंं। अपराध होने से पहले ही केस का खुलासा हो गया। अबरार की पिछले 13 साल से तलाश थी।’
एटीएस के अनुसार, पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठनों की मदद से 2002 गुजरात दंगों का बदला लेने की साजिश रची गई थी। आरोप है कि दंगों के बाद अबरार और असलम ने उत्तर प्रदेश से हथियार लिए और अहमदाबाद के रहने वाले अफजल खान पठान काे सौंपे। अफजल खान को भी गिरफ्तार किया जा चुका है। 2003 में असलम की गिरफ्तारी के बाद अबरार ने अपना ट्रक बेच दिया और वाराणसी स्थित अपने पैतृक गांव चला गया। वहां पर वह खेती करने लगा। बाद में वह मुंबई चला गया और यूपी गोल्डन ट्रांसपोर्ट में ड्राइवर के रूप में काम करने लगा।
वहीं इमरान इस बारे में बताते हैं कि, मेरे चाचा अहमदाबाद में ट्रक ड्राइवर थे। 2002 दंगों में उनका ट्रक जला दिया गया। इसके बाद वे वाराणसी चले गए। वे हमारे साथ तीन साल रहे आैर फिर मुंबई चले गए। वे वाराणसी आते रहते थे। हमें पता है कि उन्हें गलत आरोपों में गिरफ्तार किया गया है।
TOPICSGodhra riots
Jansatta.com पर पढ़े ताज़ा अपडेट समाचार (Newsupdate News), लेटेस्ट हिंदी समाचार (Hindi News), बॉलीवुड, खेल, क्रिकेट, राजनीति, धर्म और शिक्षा से जुड़ी हर ख़बर। समय पर अपडेट और हिंदी ब्रेकिंग न्यूज़ के लिए जनसत्ता की हिंदी समाचार ऐप डाउनलोड करके अपने समाचार अनुभव को बेहतर बनाएं ।
First published on: 26-01-2016 at 19:10 IST