नई दिल्ली। चुनाव आयोग को राबर्ट वाड्रा और चर्चित रियल स्टेट फर्म डीएलएफ के बीच हुए विवादास्पद जमीन सौदे को सरकारी मंजूरी से जुड़ी रपट मंगलवार को मिल गई। चुनावी माहौल में हरियाणा सरकार ने इस सौदे को कथित तौर पर मंजूरी दे दी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मंजूरी पर निशाना साधा था और चुनाव आयोग से मामले पर गौर करने को कहा था। विवाद बढ़ने पर आयोग ने इस मंजूरी की रपट तलब की। मंगलवार शाम को सूत्रों ने बताया कि आचार संहिता का उल्लंघन होने या नहीं होने के संबंध में मांगी गई यह रपट आयोग को मिल गई है। आयोग ने यह रपट हरियाणा के चुनाव अधिकारियों से मांगी थी।
इससे पहले आयोग के आला अधिकारियों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया था कि हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी और मुख्य सचिव से कहा गया था कि वे तथ्यों का पता लगाएं और इस बाबत रपट यथाशीघ्र भेजें। इस रपट को देखने के बाद आयोग की ओर से कोई कार्रवाई की जाएगी। अधिकारी ने यह भी कहा कि अगर मंजूरी का यह मामला 12 सितंबर के पहले का हुआ तो आयोग कोई दखल नहीं देगा।
मंगलवार शाम को आयोग के सूत्रों ने बताया कि हरियाणा के मुख्य चुनाव अधिकारी से रपट मिल गई है और आयोग इसकी पड़ताल कर रहा है। चुनाव आयोग जांच करेगा कि क्या इस सौदे को उस अवधि में मंजूरी मिली थी जब हरियाणा में आचार संहिता लागू थी और क्या यह चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है।
सूत्रों ने बताया कि यह रपट चुनाव आयोग ने भाजपा द्वारा आरोप लगाए जाने के बाद मांगी थी। दरअसल, भाजपा ने आरोप लगाया था कि इस सौदे को चुनाव प्रक्रिया के दौरान मंजूरी दी गई। चुनाव आयोग ने इस सिलसिले में मीडिया में आई कुछ खबरों पर भी संज्ञान लिया। हरियाणा में 15 अक्तूबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए आचार संहिता 12 सितंबर को ही लागू हो गई थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस भूमि सौदे को हरियाणा की भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार से मिली मंजूरी पर चुनाव आयोग से संज्ञान लेने को कहा था। उन्होंने सोमवार को एक चुनावी रैली में आरोप लगाया था कि ऐसा आनन-फानन में किया गया क्योंकि सत्तारूढ़ कांग्रेस 15 अक्तूबर को राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में निश्चित हार का सामना कर रही है। वाड्रा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद हैं।
याद रहे इंडियन एक्सप्रेस ने मंगलवार को खबर छापी थी कि हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार ने वाड्रा-डीएलएफ सौदे पर वैधता की मुहर लगा दी है। इससे पहले हरियाणा के पूर्व चकबंदी महानिदेशक अशोक खेमका गुड़गांव के शिकारपुर गांव में जमीन के हस्तांतरण को रद्द कर दिया था। इसके बाद ही वे राज्य सरकार के निशाने पर आ गए थे।