Uttrakhand Uniform Civil Code: उत्तराखंड में जब से समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) को लागू किया गया है तब से एक नियम को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा हुई है। नियम यह है कि लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे जोड़ों के लिए रजिस्टर कराना जरूरी है। उत्तराखंड सरकार का कहना है कि UCC में लिव-इन रिलेशनशिप को रजिस्टर करने का प्रावधान इसलिए किया गया है क्योंकि ऐसे रिश्तों में रहने वाले जोड़ों की सुरक्षा सुनिश्चित हो। साथ ही, उनके माता-पिता, प्रशासन को भी अपने बच्चों के बारे में जानकारी हो। 

UCC को चुनौती देने वाली कुल तीन याचिकाएं उत्तराखंड हाई कोर्ट में दायर की गई हैं। इनमें से एक याचिकाकर्ता उत्तराखंड के हल्द्वानी में रहने वाला एक जोड़ा है। यह ‘नॉन-बाइनरी कपल’ है। ‘नॉन-बाइनरी कपल’ ऐसे जोड़े को कहते हैं जिसमें कम से कम एक साथी नॉन-बाइनरी होता है। नॉन-बाइनरी का मतलब है कि उनकी जेंडर पहचान पारंपरिक रूप से पुरुष/महिला के दायरे में नहीं आती। 

इस जोड़े ने The Indian Express को बातचीत में बताया कि क्योंकि यह कानून लिव-इन रिलेशनशिप में रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य करता है इसलिए यह पूरी तरह प्राइवेसी (निजता) का उल्लंघन है। इसके अलावा यह लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों को जांच के दायरे में लाता है और इससे उनके खिलाफ हिंसा का भी खतरा पैदा होता है। 

दोनों का जाति-धर्म एक 

यह जोड़ा मीडिया स्टडीज से जुड़ा हुआ है। जोड़े के दोनों लोग एक ही जाति और धर्म के हैं और ऐसे में अंतर धार्मिक जोड़ों के सामने जिस तरह की चुनौतियां होती हैं, उन्हें इसका सामना नहीं करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी बहुत साारी चुनौतियां उनके रिश्ते में आई। जैसे- रिश्ते में दखल देने वाले सवाल, परिवार के सदस्यों की ओर से मिलने वाले ताने और धमकियां और अब इस कानून के सामने आने के बाद उन्हें डर है कि यह उनकी परेशानियों को और बढ़ा सकता है।  

महिला ने The Indian Express को बताया कि उसके माता-पिता ने उन्हें चेतावनी दी थी कि अगर वह इस कानून के खिलाफ अदालत में गई तो यह अच्छा नहीं होगा लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। 

इस जोड़े में रहने वाला लड़का उत्तराखंड का है जबकि उसकी पार्टनर दिल्ली की है। दोनों ने अंबेडकर यूनिवर्सिटी, दिल्ली से लॉ, पॉलिटिक्स और सोसाइटी में मास्टर डिग्री हासिल की है। 2021 में लड़के के माता-पिता का निधन हो गया था। लड़की के माता-पिता पश्चिम बंगाल में रहते हैं और उन्हें इस रिश्ते के बारे में जानकारी है। 

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जब यूसीसी के तहत यह नियम आया कि सभी लिव-इन जोड़ों को रजिस्टर करना जरूरी है तो इस जोड़े को ऐसा नहीं लगा कि इसके तहत बने नियम वाकई में लागू होंगे। इस जोड़े ने 2022 में डेटिंग शुरू की थी। वे दिल्ली में साथ रहने के लिए जगह ढूंढ रहे थे और इस दौरान एक फ्लैट में साथ रहने लगे। 

2023 में महिला पर हुआ हमला 

साल 2023 का वक्त इस जोड़े के लिए बड़ी मुश्किल लेकर आया जब लड़के के दोस्त ने महिला पर हमला कर दिया और और इसमें लड़की बुरी तरह घायल हो गई। इस दौरान इलाज में काफी खर्च हुआ और उन्हें पैसे की तंगी का सामना करना पड़ा। ऐसी हालत में जोड़े ने यह फैसला लिया कि वे अब हल्द्वानी में रहेंगे क्योंकि माता-पिता की मौत के बाद से हल्द्वानी में लड़के का घर खाली पड़ा था और उसके दोनों भाई-बहन बाहर थे। लेकिन यह फैसला उनके लिए मुश्किल भरा साबित हुआ क्योंकि लड़के के भाई ने सितंबर, 2024 में लड़की को जान से मारने की धमकी दी। इसके बाद दोनों ने यहां से बाहर जाने का फैसला लिया। 

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यह वह वक्त था जब यूसीसी को लेकर बनाए गए नियम लोगों के सामने आने लगे थे और इसके विरोध में महिला संगठनों ने उत्तराखंड में प्रदर्शन शुरू कर दिया था। दिसंबर, 2024 में नैनीताल में एक बैठक के दौरान सीनियर एडवोकेट वृंदा ग्रोवर ने सुना कि यह जोड़ा अदालत में याचिका दायर करने के लिए तैयार है। लड़की ने बताया कि वृंदा ग्रोवर ने उनसे पूछा कि क्या वे अदालत का दरवाजा खटखटाना चाहते हैं तो हमने हां कह दिया। 

इस जोड़े की याचिका में The Indian Express की एक न्यूज़ रिपोर्ट का भी हवाला दिया गया है जिसमें कहा गया है कि यूसीसी के आने से पहले ही लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे जोड़ों की प्राइवेसी में दखल बढ़ रहा है। 

वृंदा ग्रोवर ने रखा हाई कोर्ट में पक्ष

सीनियर एडवोकेट वृंदा ग्रोवर ने उत्तराखंड हाई कोर्ट में इस जोडे़े की ओर से उनका पक्ष रखा। अपनी याचिका में इस कपल ने लिव-इन रिलेशनशिप को रजिस्टर करने की अनिवार्यता का विरोध किया था। याचिका में कहा गया था, ‘UCC एक्ट, 2024 और इसके तहत बने नियमों के तहत रजिस्ट्रेशन करने की अनिवार्यता उन्हें हेटेरोसेक्सुअल पहचान को स्वीकार करने के लिए मजबूर करती है। इसके साथ ही, अपने परिवारों में देखे गए दुखी वैवाहिक जीवन और घरेलू हिंसा के अनुभवों से उन्हें यह भरोसा हुआ है कि सम्मान और आजादी पर आधारित रिश्ता चुनना ज्यादा बेहतर है बजाय इसके कि हम परंपरागत ढांचे में बंधें।’

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आगे क्या कहा इस याचिका में?

याचिका में कहा गया है, ‘जोड़ों के लिए डर और चिंता की बात यह है कि UCC एक्ट, 2024 के तहत सजा और जेल जाने का खतरा है। यह सजा 27 जनवरी, 2025 से एक महीने बाद यानी 27 फरवरी 2025 से लागू होगी और इसके बाद उत्तराखंड में रहने वाले ऐसे लिव-इन जोड़ों पर लागू होंगी जो सेक्शन 381(1) के तहत रजिस्टर नहीं कराते।’ याचिकाकर्ताओं ने अदालत से अनुरोध किया कि लिव-इन रिश्तों के गैर-पंजीकरण पर कोई कठोर कार्रवाई न की जाए। 

याचिका दायर करने के बाद इस जोड़े को दक्षिणपंथी संगठनों से हमले का डर सताने लगा। यह डर तब और बढ़ गया जब एक वकील ने उन्हें इस बारे में दोबारा सोचने को कहा।

लड़के ने कहा कि याचिका में हमारे नाम हैं और हमारी जांच की जाएगी। लेकिन वृंदा ग्रोवर ने हमसे कहा कि हम पीछे न हटें। 

अदालत ने क्या कहा?

28 फरवरी को कोर्ट में उनकी याचिका पर सुनवाई के दौरान उत्तराखंड हाई कोर्ट ने कहा कि जो लोग इस कानून से परेशान हैं, वे कोर्ट आ सकते हैं। उत्तराखंड हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि क्या इसमें बदलाव किया जा सकता है? कोर्ट का यह रुख 10 दिन पहले दिए गए उस बयान से बिल्कुल अलग था, जब अदालत ने एक अन्य याचिकाकर्ता जोड़े से कहा था, “…आप बिना शादी किए बेशर्मी से साथ रह रहे हैं, आपकी निजता का क्या हनन हो रहा है?”

अदालत के नरम रुख के बावजूद यह जोड़ा उनके खिलाफ आने वाले किसी भी फैसले के लिए तैयार है। यह पूछे जाने पर कि अगर वे हार गए तो क्या वे लिव-इन रिलेशनशिप के लिए रजिस्टर करेंगे, लड़की कहती है, ‘पता नहीं। हमें कुत्तों और मेरी दवाओं का खर्च भी उठाना है और बाहर जाने के लिए पैसे नहीं हैं।’ लेकिन लड़का कहता है कि कितनों को वृंदा ग्रोवर जैसा मौका मिलता है? वह कहता है कि मैं पहाड़ी हूं और यहां से बाहर नहीं जाऊंगा।