सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के एक स्कूली छात्र को 14 साल की लड़की का अश्लील वीडियो बनाने के मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया है। लड़की ने जब वीडियो वायरल हुआ तो दबाव में आकर सुसाइड कर लिया था। यह मामला सामने आने के बाद आरोपी पर आईपीसी की धारा 305 और 509 और पोक्सो अधिनियम की धारा 13 और 14 के तहत मामला दर्ज किया गया था।
इस साल 10 जनवरी को जुवेनाइल कोर्ट हरिद्वार (JJB) ने कानून का उल्लंघन करने वाले बच्चे की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जेजेबी के फैसले को बरकरार रखे जाने के बाद लड़के ने अपनी मां के ज़रिए से जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा हाईकोर्ट का फैसला
जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मिथल की पीठ ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा। नाबालिग पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 305 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और 509 के साथ पोक्सो अधिनियम की धारा 13 और 14 के तहत मामला दर्ज किया है।
नाबालिग लड़के के वकील लोक पाल सिंह ने तर्क दिया कि नाबालिग के माता-पिता उसकी देखभाल के लिए मौजूद हैं और उसे जुवेनाइल होम भेजने से अच्छा है उनकी देखभाल में रखा जाए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मामले के रिकॉर्ड की सावधानीपूर्वक जांच के बाद, उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करने का फैसला किया।
पिछले साल लड़की 22 अक्तूबर को गायब हो गई थी और वह कुछ दिन बाद मृत अवस्था में पाई गई थी। मामला जब उत्तराखंड हाई कोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने 1 अप्रैल को अपने फैसले में लड़के को अनुशासनहीन बताया और उसे जमानत देने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने तब स्कूल से मिली रिपोर्ट, जांच रिपोर्ट आदि को आधार बनाकर उसे कस्टडी में ही रखने के आदेश दिए थे।
